भगवान शिव साक्षात विराजमान है इस गुफा में, दर्शन करने वाला नहीं आता लौटकर
आप सभी लोगों ने किस्से कहानियों में या फिर किसी से यह बात जरूर सुनी होगी कि भगवान शिव जी अभी भी इस दुनिया में है और वह कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार कैलाश पर्वत पर भगवान शिव जी, माता पार्वती जी और उनके दोनों पुत्र कार्तिकेय और श्री गणेश जी रहते हैं अगर हम भगवान शिव जी से जुड़े तीर्थ स्थल की बात करें तो अमरनाथ और केदारनाथ का सबसे पहले ख्याल मन में आता है परंतु आपको भगवान शिव जी से जुड़े एक और महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के विषय में जानकारी देने वाले हैं जिसके बारे में शायद कोई ही व्यक्ति होगा जो इस विषय में जानता होगा हम जिस तीर्थ स्थल की बात कर रहे हैं वह शिवखोड़ी गुफा है जिस गुफा में भगवान शिव जी अपने परिवार के साथ विराजमान हैं आज हम आपको इस लेख के माध्यम से इस गुफा के महत्व के बारे में बताने वाले हैं।
भगवान शिव जी का घर कहे जाने वाला शिवखोड़ी गुफा जम्मू कश्मीर राज्य के जम्मू से कुछ दूरी पर रया जिला है उस जिले में शिवखोड़ी गुफा स्थित है यह स्थल भगवान शिव जी के प्रमुख पूजनीय स्थलों में से एक माना जाता है ऐसा कहा जाता है कि इस गुफा में भगवान शिव जी साक्षात विराजमान है और इस गुफा का दूसरा छोर अमरनाथ गुफा में खुलता है इस पवित्र गुफा की लंबाई 150 मीटर है ऐसा भी कहा जाता है कि गुफा के अंदर भगवान शिव का 4 फीट ऊंचा शिवलिंग विराजमान है इस गुफा में सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि शिवलिंग के ऊपर प्राकृतिक तौर पर पवित्र जल की धारा बहती है इस गुफा में शिवलिंग के साथ-साथ पिण्डियां भी विराजित है उन पिण्डियों को शिव माता पार्वती भगवान कार्तिकेय और गणपति भगवान के रूप में पूजा की जाती है धार्मिक कथाओं के अनुसार इस गुफा को भगवान शंकर जी ने खुद बनाया था।
पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार भस्मासुर ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी भस्मासुर की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए तब भस्मासुर ने शिव जी से यह वरदान मांग लिया कि वह जिसके ऊपर भी हाथ रखे वह भस्म हो जाए तब शिवजी ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसको यह वरदान दे दिया जब भस्मासुर को यह वरदान प्राप्त हुआ तब वह शिव जी को भस्म करने के लिए ही उनके पीछे दौड़ने लगा भस्मासुर से बचने के लिए शिव जी को उससे युद्ध करना पड़ा था भगवान शिव जी और भस्मासुर के बीच घमासान युद्ध हुआ था भस्मासुर भी युद्ध के दौरान हार नहीं मान रहा था और भगवान शिव जी भस्मासुर का वध करने में समर्थ नहीं थे इसीलिए उन्होंने यह गुफा बनाई थी और यहां पर छुप गए थे जिससे भस्मासुर उनको ढूंढ ना सके शिव जी ने इस गुफा का निर्माण खुद किया था जो आज के समय में शिवखोड़ी के नाम से जाना जाता है।
जब भगवान शिव जी इस गुफा में छुपे हुए थे तब भगवान विष्णु जी ने मोहिनी का रूप धारण किया और भस्मासुर को आकर्षित करने में लग गए मोहिनी का रूप देखकर भस्मासुर सब कुछ भूल गया और वह उनके मोहिनी रूप को देखकर मोहित हो गया और मोहिनी के साथ नृत्य करने लगा नृत्य करते करते भस्मासुर ने अपने ही सिर पर हाथ रख लिया और हाथ रखते ही भस्म हो गया जब भस्मासुर ने स्वयं को ही भस्म कर लिया तब जाकर भगवान शिव जी उस गुफा से बाहर निकलें।
भगवान शिव जी द्वारा बनाया गया इस गुफा का अंतिम छोर दिखाई नहीं देता है ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी इस गुफा में स्थित शिवलिंग या पिंडियों के दर्शन करके गुफा में आगे की तरफ बढ़ता है वह कभी भी वापस नहीं आता है ऐसा भी कहा जाता है कि अंदर जाकर यह गुफा दो भागों में विभाजित हो जाती है जिसका एक छोर अमरनाथ गुफा में खुलता है और दूसरे छोर की जानकारी किसी को भी नहीं है ऐसा माना जाता है कि इस गुफा के अंदर भगवान शिव जी साक्षात विराजमान है।