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जाने कैसे एक संत ने केवल पानी की शीशी से दूर कर दिया महिला की सबसे बड़ी परेशानी

धर्मशास्त्रों में हमेशा एक चीज़ से बचने के लिए कहा जाता है, वह है क्रोध। क्रोध के बारे में कहा जाता है कि यह इंसान का दुश्मन होता है। जो लोग क्रोध करने वाले होते हैं, वो ख़ुद का तो नुक़सान करते ही हैं अपने आस-पास रहने वाले लोगों को भी नुक़सान पहुँचाते हैं। जब कोई व्यक्ति क्रोधित होता है तो उसका विवेक भी काम नहीं करता है। वह अपने सोचने-समझने की शक्ति खो देता है। यही वजह है कि इसे इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन कहा जाता है।

 

क्रोध को जितना जल्द हो सके क़ाबू कर लेना चाहिए, वरना सबकुछ बर्बाद हो जाता है। आज हम आपको एक महिला की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसकी सबसे पड़ी परेशानी क्रोध करना थी। महिला न ए अपनी सबसे बड़ी परेशानी से किस तरह मुक्ति पायी, इसके बारे में जानकर यक़ीनन आप भी क्रोध आने पर अपने क्रोध को इसी तरह से शांत करेंगे। क्रोध सबकुछ जलाकर ख़ाक कर देता है। इस प्रसंग में बताया गया है कि हर व्यक्ति अपने क्रोध पर इस तरह से क़ाबू पा सकता है।

 

बहुत समय पहले की बात है। शांति नाम की एक महिला थी, जो बहुत ही क्रोधी स्वभाव की थी। उसे हर समय क्रोध आता था। जब वह क्रोधित होती थी तो वह यह नहीं देखती थी कि उसके सामने कौन है? वह कुछ भी बोल देती थी। उसकी इस आदत से उसके परिजनों के साथ ही पूरा मुहल्ला भी परेशान रहता था। जब उसका क्रोध शांत होता तो उसे अपनी हरकत पर पछतावा होता था। एक बार उस नगर में एक संत का आगमन हुआ। महिला संत से मिलने गयी। महिला ने संत से कहा महाराज मेरे क्रोध करने की आदत की वजह से सभी मुझसे दूर हो गए हैं।

 

में चाहकर भी अपनी इस आदत को नहीं बदल पा रही हूँ। संत ने महिला को एक शीशी दिया और कहा कि इस दवा को पीने से तुम्हारा क्रोध धांत हो जाएगा। जब भी तुम्हें क्रोध आए इसे मुँह से लगाकर पीना जब तक तुम्हारा क्रोध शांत ना हो जाए। एक सप्ताह में ही तुम्हारा क्रोध शांत हो जाएगा। महिला ने संत के कहे अनुसार क्रोध आने पर उस दवा को पीना शुरू कर दिया। एक सप्ताह में ही उसका क्रोध काफ़ी कम हो गया। महिला संत के पास गयी और उनसे कहा कि आपने जो दवा दी उससे मेरा क्रोध बहुत कम हो गया है। आप मुझे बताइए ये कौन सी दवा है?

महिला की बात सुनकर संत ने उसे बताया कि जिस शीशी में तुम दवा समझ रही थी, उसमें सिर्फ़ पानी था। चूँकि तुम्हें क्रोध आने पर अपनी वाणी को शांत रखना था, इसलिए क्रोध आने पर इसे पीने के लिए कहा था। जब शीशी तुम्हारे मुँह में होती तो तुम कुछ बोल नहीं पाती और सामने वाला तुम्हारे ग़ुस्से से बच जाता। क्रोध करना हर बार बुरा नहीं होता है, लेकिन ज़्यादा क्रोध करना बहुत ही ख़तरनाक होता है। इसी वजह से हर बात पर क्रोध करना अनुचित होता है। जब भी क्रोध आए मौन रहना सबसे अच्छा उपाय है। मैन शांत रखने से क्रोध से मुक्ति पायी जा सकती है।

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