यहाँ छिपा कर रखा गया था भगवान कृष्ण का दिल, लाखों लोग आते हैं देखने, एक गलती से जा सकती है जान
हमारा भारत देश देवी देवतायों की जन्म भूमि माना जाता है. यहाँ सदियों पहले भगवान रहते थे. इस बात का पता हमे पुराणिक ग्रंथों से लगता है. यहाँ के लोग काफी धार्मिक स्वभाव के हैं और मिल जुल कर रहना पसंद करते हैं. देवी देवतायों की इस धरती पर आज भी कईं ऐसे राज़ हैं, जिन पर से पर्दा उठाना आम इंसान के बस की बात नहीं है. आज भी कईं धार्मिक स्थलों पर अलोकिक शक्तियां महसूस की गई है जिन्हें ना चाहते हुए भी विज्ञान मानता चला आ रहा है. वहीँ आज हम आपको एक ऐसी अद्भुत जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी सच्चाई से शायद आप वाकिफ नहीं हैं. हालांकि, सच्चाई जानकर आपको थोडा आश्चर्य जरुर होगा लेकिन यह एकदम सत्य घटना है.
साइंस के इस दौर में हम इंसान बचपन से ही महाभारत और रामायण के किस्से कहानियां टीवी के पर्दे पर देखते चले आ रहे हैं. घर के बड़े बुजुर्गों से हमने कई बार भगवान द्वारा दिखाई गई अलौकिक शक्तियों के बारे में सुना होगा. हालांकि हम 21वीं सदी पर पहुंच चुके हैं लेकिन इन पौराणिक कथाओं के सबूत आज भी हमें कहीं ना कहीं देखने को जरूर मिल ही जाते हैं. इन सबूतों के चलते कई बार हमारे मन में इनके प्रति जिज्ञासाएं उम्र जाती हैं और हम इसके पीछे का सच जानने को बेताब हो जाते हैं.
बात महाभारत की करें तो श्री कृष्ण का नाम सबसे पहले आता है. आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि चुनाव 14 जुलाई से देश में कृष्ण रथ यात्रा का सिलसिला शुरु हो चुका है. आज हम आपको भगवान कृष्ण और जगन्नाथ से जुड़े एक ऐसे किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आपके पैरों तले से जमीन खिसक जाएगी. दरअसल यह किस्सा जगन्नाथ की मूर्ति और भगवान श्रीकृष्ण की मौत से जुड़ा हुआ है.
भारत के उड़ीसा प्रांत में स्थित जगन्नाथ पुरी को हिंदू धर्म में सबसे अधिक पवित्र स्थल यानी चार धामों में से एक धाम माना जाता है. कुछ लोग इसे भगवान विष्णु का स्थल भी मानते हैं. भगवान जगन्नाथ के इस मंदिर से जुड़ी कई सारी रहस्यमई घटनाएं हैं जिन पर से आज तक कोई पर्दा नहीं उठा पाया है. कुछ लोगों के अनुसार इस मंदिर में मौजूद भगवान जगन्नाथ मूर्ति के अंदर स्वयं भगवान ब्रह्मा विराजमान हैं.
हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं में लिखा है कि ब्रह्मा श्रीकृष्ण के नश्वर शरीर में रहते थे. जब भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु हुई तो पांडवों ने उनके शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया. इस अंतिम संस्कार के दौरान भगवान कृष्ण का बाकी शरीर जलकर राख बन गया लेकिन उनका दिल जलता ही रहा. ऐसे में पांडवों ने उस दिल को जल में प्रवाहित करने का निर्णय लिया और जल में जाते ही उस दिल ने लट्ठे का रूप धारण कर लिया.
जल में प्रवाहित होते होते यह दिल आखिर का राजा इंद्रदुम के पास जा पहुंचा. राजा इंद्रद्युम्न भगवान जगन्नाथ के परम भक्तों में से एक थे. उन्होंने इस दिल को जगन्नाथ की मूर्ति के अंदर रख दिया. उस दिन से लेकर आज तक वह दिल भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के भीतर लट्ठे के रूप में मौजूद है. हालांकि हर 12 वर्ष के बाद भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को बदल दिया जाता है लेकिन यह लट्ठा उसी मंदिर में मूर्ति के बीचो-बीच रख दिया जाता है.
गौरतलब है कि इस गड्ढे को आज तक कोई नहीं देख पाया है क्योंकि मूर्ति को बदलने का पूरा काम मंदिर के पुजारी को सौंपा जाता है. जब पुजारी जी से इस रहस्य के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मूर्ति की अदला-बदली के दौरान उनकी आंखों और हाथ पर पट्टी बांधकर ढक दिया जाता है ताकि वे उस लड़के को ना देख पाए लेकिन उन्होंने अक्सर उस लड़के को छूकर महसूस किया है. कुछ पुजारियों के अनुसार यह मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति मूर्ति के अंदर स्थित ब्रह्मा जी को देख ले तो उसकी उसी समय मृत्यु हो जाती है. ऐसे में जिस दिन मूर्ति को बदलना होता है उसे दिन में पूरे शहर की बिजली बंद कर दी जाती है.