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दम्पति एक साथ नहीं करते हैं इस मंदिर में पूजा, नहीं तो हो जाते हैं अलग, जानिए क्यों है ऐसा?

भारत को अगर मंदिरों का देश भी कहा जाए तो यह ग़लत नहीं होगा। भारत के हर गली-मुहल्ले में कई देवी-देवताओं के मंदिर हैं। लेकिन इनमें से कई मंदिर अपनी ख़ासियत की वजह से पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी हिंदू धर्म को मानने वाले लोग इन मंदिरों में दर्शन करने के लिए आते हैं। भारत के कई मंदिरों में अलग-अलग तरह की परम्पराओं का पालन भी किया जाता है। किसी मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित होता है तो किसी मंदिर में पूजा करने के लिए पुरुष नहीं जा सकते हैं।

कुछ मंदिरों में ऐसी-ऐसी मान्यताएँ होती हैं, जिनके बारे में सुनकर यक़ीन ही नहीं होता है कि किसी मंदिर में इस तरह की भी मान्यताएँ हो सकती हैं। एक तरफ़ जहाँ ऐसा माना जाता है कि अगर दम्पति साथ में जाकर मंदिर में पूजा करते हैं तो यह परिवार की सुख-शांति के लिए अच्छा होता है, वहीं किसी जगह पर ऐसी भी मान्यता है कि दम्पति का साथ में मंदिर जाना अशुभ होता है। जी हाँ आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहाँ इस तरह की अनोखी मान्यता का पालन किया जाता है।

एक साथ पूजा करने पर हो जाती है कोई अनहोनी घटना:

हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं, इस मंदिर में दम्पति एक साथ पूजा नहीं कर सकते हैं। इस मंदिर में दम्पति का साथ में पूजा करना वर्जित है। हिमांचल प्रदेश के शिमला में श्राई कोटि माता का मंदिर है। श्राई कोटि माता का यह मंदिर शिमला के रामपुर नामक जगह पर बना हुआ है। इस मंदिर की मान्यता है कि यहाँ पर दम्पति एक साथ पूजा-पाठ नहीं कर सकते हैं। अगर कोई दम्पति ऐसा करता है तो उसके साथ कोई अनहोनी घटना हो जाती है। आपको बता दें श्राई कोटि माता मंदिर के नाम से यह मंदिर पूरे हिमांचल में प्रसिद्ध है।

इस मंदिर में दम्पति एक साथ जा सकते हैं, लेकिन एक बार में केवल एक ही दर्शन कर सकता है। जो भी दम्पति यहाँ जाते हैं, वह अलग-अलग समय पर माता के दर्शन करते हैं। इस मंदिर की मान्यता के अनुसार एक बार भगवान शिव ने अपने दोनो पुत्रों गणेश और कार्तिकेय को ब्रह्मांड का चक्कर लगाने के लिए कहा था। कार्तिकेय ब्रह्मांड का चक्कर लगाने निकल पड़े, जबकि गणेश जी ने शिव-पार्वती का चक्कर लगाकर कहा कि माता-पिता के चरणों में ही सारा ब्रह्मांड स्थित है। जब तक कार्तिकेय ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर आते गणेश जी का विवाह भी हो चुका था।

कार्तिकेय ने जीवन भर विवाह ना करने का लिया संकल्प:

इस घटना से कार्तिकेय बहुत ग़ुस्सा हुए और उन्होंने कभी विवाह ना करने का संकल्प लिया। श्राई कोटि माता मंदिर के दरवाज़े पर आज भी गणेश जी अपने पत्नी के साथ स्थापित हैं। कार्तिकेय जी के विवाह ना करने के संकल्प से माता पार्वती को बहुत ज़्यादा ग़ुस्सा आया और उन्होंने कहा कि जो भी पत्नी-पत्नी एक साथ यहाँ उनके दर्शन को आएँगे वो एक-दूसरे से अलग हो जाएँगे। इसी वजह से इस मंदिर में दम्पति एक साथ पूजा नहीं करते हैं। सदियों से यह मंदिर लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर समुद्र तल से 11000 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ जानें के लिए घने जंगल के बीच से होकर गुज़रना पड़ता है।

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