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भूलकर भी इस दिन पीपल को ना चढ़ाएँ जल वरना बने रहेंगे जीवनभर ग़रीब, जानें

हिंदू धर्म में कई चीज़ों की पूजा की जाती है। इनमें से पेड़ भी एक है। भारत में सदियों से पेड़-पौधों की पूजा की जाती रही है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार पीपल का पौधा सबसे ज़्यादा पूजनीय होता है। पीपल के पेड़ को विश्ववृक्ष, चैत्य वृक्ष और वासुदेव के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार पीपल के हर एक हिस्से में देवताओं का निवास होता है। यहाँ तक कि इसके पत्ते-पत्ते में देवता निवास करते हैं। इसके पत्ते में भगवान विष्णु का वास माना जाता है।

पीपल की पवित्रता के हैं वैज्ञानिक कारण:

ऋग्वेद में अश्वत्थ की लकड़ी के पात्रों का उल्लेख मिलता है। अथर्ववेद और छंदोग्य उपनिषद में इस वृक्ष के नीचे देवताओं का स्वर्ग बताया गया है। इस पेड़ की पूजा के ना केवल धार्मिक बल्कि कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। इसके साथ ही कुछ नियम भी हैं। जो व्यक्ति इन नियमों के हिसाब से पीपल की पूजा करता है, उसके जीवन में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं रहती है, जबकि इन नियमों को अनदेखा करके पूजा करने वाला कंगाल हो जाता है। आज हम आपको पीपल के पेड़ की पूजा के कुछ वैज्ञानिक और धार्मिक कारण और नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं।

पीपल की पूजा के धार्मिक कारण:

श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्ण के कहा है कि में वृक्षों में पीपल हूँ। पीपल की जड़ में ब्रह्मा जी, मध्य में भगवान विष्णु और अग्र भाग में साक्षात शिव जी निवास करते हैं। स्कन्द पुराण के अनुसार पीपल के मूल में विष्णु जी, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान श्रीहरि, और फलों में सभी देवताओं का निवास होता है। भारत में प्राचीनकाल से ही पेड़-पौधों में देवी-देवताओं का निवास माना गया है। इसी वजह से पीपल के पेड़ को देवता मानकर पूजा जाता है।

वैज्ञानिक कारण:

विज्ञान के अनुसार दिन में ज़्यादातर पेड़ आक्सीजन छोड़ते हैं और कार्बनडाईआक्साइड ग्रहण करते हैं। जबकि रात में आक्सीजन लेते हैं और कार्बनडाईआक्साइड छोड़ते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि रात के समय किसी पेड़ के नीचे नहीं सोना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार पीपल ही एक ऐसा पेड़ है जो हर समय ही आक्सीजन छोड़ता है। इसी वजह से पीपल के पेड़ के पास किसी भी समय जाया जा सकता है। इससे कोई नुक़सान नहीं होता है।

पीपल की पूजा से मिलने वाला फल:

ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति पीपल के पेड़ में जल चढ़ाता है और उसकी पूजा करके परिक्रमा करता है, उसके जीवन की सभी इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं। इसके आलवा शत्रुओं का भी नाश हो जाता है। पीपल की पूजा से सुख-सम्पत्ति, धन-धान्य, ऐश्वर्य, संतान सुख, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पीपल के पेड़ की पूजा करने से ग्रह दोष, पितृदोष, कालसर्प दोष, विष योग और अन्य ग्रहों के दोषों का निवारण हो जाता है।

मान्यता के अनुसार अमावस्या और शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान जी की पूजा-अर्चना और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। पीपल के नीचे हर रोज़ सरसों के तेल का दीपक जलाना शुभ होता है। अगर किसी वजह से हर रोज़ दीपक नहीं जला पाते हैं तो शनिवार की रात को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक ज़रूर जलाना चाहिए। इससे जीवन में ख़ुशहाली आती है और हर जगह सफलता मिलती है।

भूलकर भी ना करें ये काम:

हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार शनिवार को पीपल के पेड़ पर लक्ष्मी जी का निवास माना जाता है। उस दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना शुभ माना जाता है, वहीं रविवार के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना मना है। जो लोग ऐसा करते हैं, उनके जीवन में आर्थिक तंगी आ जाती है। भूलकर भी पीपल के वृक्ष को नहीं काटना चाहिए। जो लोग ऐसा करते हैं, उनके पितरों को कष्ट मिलता है और वंशवृद्धि में रुकावट आती है। किसी विशेष काम से विधिवत नियमानुसार पूजा करने के लिए पीपल की लकड़ी काटना अशुभ नहीं होता है।

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