जानिए आखिर भगवान् शिव ने क्यूँ किया अपने ही पुत्र का वध !
वैसे तो भगवान् शिव को लेकर बहुत सी पुरानी कथाएं प्रचलित है . पर आज जो कथा हम आपको बताने जा रहे है वो शायद आपने पहले कभी नहीं सुनी होगी . ये तो सब जानते ही है कि भगवान् शिव के दो पुत्र थे . एक तो भगवान् गणेश और दूसरे कार्तिकेय. पर क्या आप जानते है कि इन दोनों के इलावा भी भगवान् शिव का एक और पुत्र था जिसका नाम अंधक था . जिस तरह भगवान् गणेश के जन्म की कथा दिलचस्प है . उसी तरह शिव जी के पुत्र अंधक के जन्म को लेकर भी कई धारणाएं पायी जाती है . चलिए यहाँ जानते है कि क्या वाकई अंधक – अंधकासुर भगवान् शिव का पुत्र था . यदि सच में उनका पुत्र था तो उसका जन्म कैसे हुआ और उसका अंत अपने पिता भगवान् शिव द्वारा ही क्यूँ हुआ ?
1. शिव पारवती का भृमण..
एक बार भगवान् शिव और पारवती जी घूमते घूमते काशी पहुँच गए . उस समय शिव जी अपना मुह पूर्व दिशा की और करके बैठे थे . तब अचानक पारवती जी ने आकर शिव जी की आंखे बन्द कर दी और पुरे संसार में अँधेरा छा गया . इसी वजह से शिव जी को अपनी तीसरी आंख खोलनी पड़ी . जिससे संसार में तो रौशनी हो गयी . पर उस समय गर्मी के कारण पारवती जी को पसीना आने लगा .
2. ऐसे हुआ जन्म..
जब पारवती जी को शिव जी के तीसरी आँख खोलने के कारण पसीना आने लगा तब उसी पसीने की बूंदो से एक बालक का जन्म हुआ . जिसका चेहरा बहुत भयानक था . उसे देख कर भगवान शिव से पारवती जी ने उस बालक की उत्पत्ति के बारे में पूछा . तब शिव जी ने उसे अपना ही पुत्र बताया . अंधकार के कारण पैदा होने की वजह से उसका नाम अंधक पड़ गया . इसके बाद जब दैत्य हिरण्यक्ष ने शिव जी से पुत्र प्राप्ति का वर माँगा तब उन्होंने अंधक को ही उन्हें पुत्र रूप में दे दिया . इसलिए अंधक का पालन पोषण असुरो के बीच ही किया गया . फिर वह असुरो का राजा अंधकासुर बना .
3. अंधकासुर का वरदान ..
असुरो का राजा बनने के बाद जब अंधक ने तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान माँगा . तो उसने ये वरदान माँगा कि वो केवल तब ही मरे जब वो अपनी माँ को बुरी नज़र से देखे . इसका कारण ये था कि अंधक जानता था कि उसकी कोई माँ नहीं है . इसलिए वो कभी मर नहीं सकता . इस वरदान को पाने के बाद अंधक लगातार देवताओ को हराता गया और तीनो लोकों का राजा बन गया .
4. शिव जी ने किया वध अंधकासुर का ..
फिर जब अंधक ने सब कुछ हासिल कर लिया तो उसके मन में शादी करने का विचार आया . फिर जब उसे पता चला कि तीनो लोकों में सबसे सुंदर स्त्री पारवती जी है . जिनका विवाह शिव जी से हो चुका है . फिर भी अंधक पारवती जी के पास गया . उन्हें शादी के लिए विवश करने लगा . पारवती जी के मना करने पर उन्हें जबरदस्ती ले जाने लगा . फिर पारवती जी ने शिव जी का ध्यान किया और शिव वहां प्रगट हुए . तब शिव जी ने बताया कि वो ही उसके असली माता पिता है . अब वरदान के मुताबिक शिव जी ने उसी क्षण अंधक का वध कर दिया . अंधक एक पल में ही मर गया .
वैसे तो हमारे पुराणों में अंधक को शिव जी का पुत्र बताया गया है . पर एक अन्य मत के अनुसार अंधक को कश्यप ऋषि और दिति का पुत्र बताया गया है . जिसका वध शिव जी ने ही किया था . अब इन दोनों कथाओ के अनुसार फ़िलहाल तो अंधक को शिव जी का ही पुत्र माना जाता है . पर हमारी पुरातन कथाओ की सच्ची और सही पुष्टि तो कोई नहीं दे सकता सिवाय भगवान् के . इसलिए अगर हम शास्त्रो को ही सच मान कर चले तो ही बेहतर होगा .