कोतवाल की वर्दी में घूम रहे थे लड़का लड़की, पुलिस ने पूछा- तो बोले चिड़िया घर में लगी है ड्यूटी
कंधे पर तीन सितारा, चुस्त और क्रीजदार वर्दी। पैरों में भूरे रंग का चमड़े का चमचमाता हुआ जूता। पुलिस की वर्दी पहने युवक और युवती पूरी शान के साथ लखनऊ के चारबाग स्टेशन में घूम रहे थे। लोग सब नई उम्र में मिली नौकरी की चर्चा कर रहे थे। सबकी नजर उनपर थी, लेकिन जब स्टेशन की सुरक्षा में लगे सिपाहियों की नजर दोनों वर्दीधारी कोतवालों पर पड़ी, तो उनके होश उड़ गए। क्योंकि जिस उम्र में दोनों इंस्पेक्टर बन गए थे उस उम्र में तो लोग बीए भी नहीं कर पाते। लेकिन जब दोनों से पूछताछ हुई तो मामला पूरा खुलकर सामने आ गया। जिससे पुलिस भी सोच में पड़ गई कि इनको जेल भेजे या छोड़ दें। आखिर क्यों हुआ ऐसा पढ़िए इस रिपोर्ट में…
जीआरपी की टीम को चारबाग रेलवे स्टेशन पर एक लड़की और लड़का पुलिस की वर्दी में दिखे जिनकी वर्दी में कई अनियमितताएं थीं। कुछ देर तक इन पर नजर रखने के बाद जब जीआरपी टीम को यकीन हो गया कि दाल में कुछ काला है तो उन्होंने इसकी सूचना सीओ जीआरपी नमिता सिंह को दी। उसके बाद उनसे पूछताछ शुरू हुई तो उन्होंने बताया कि उन्हें डीजीपी मुख्यालय के पास चिड़ियाघर में ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए बुलाया गया है।
सीओ ने जब उन दोनों से पूछताछ की तो पता चला, दोनों वर्दी धारी कोतवाल फर्जीवाड़े का शिकार हुए हैं। जिनको किसी ने धोखे से वर्दी सिलवा कर पहना दिया है। दोनों ने पूछताछ करने पर बताया कि वो कौशांबी से ट्रेन से लखनऊ आए हैं। इसी दौरान दोनों जब चारबाग स्टेशन पर खाकी वर्दी पहनकर घूम रहे थे, और रिक्शा वाले से चारबाग जाने का पता पूछ रहे थे। उनकी कम उम्र के कारण जीआरपी सिपाहियों को इसपर शक हुआ। इंस्पेक्टर नित्यानंद सिंह ने दोनो से पूछताछ शुरू की। इस बीच सूचना मिलते ही सीओ अमिता सिंह भी आ गईं। सीओ ने दोनो से जब पूछा तो पता चला कि युवक अजय प्रकाश कौशांबी के पश्चिम सरीरा स्थित थाना चरवा के अरई सुमेरपुर का रहने वाला है। वह बीएससी पास है। जबकि उसके साथ कौशांबी के ही पूरब सरीरा की रहने वाली बीए पास कलावती थी। दोनों की उम्र 21-21 साल थी। इसी साल दोनों ने बीए पास किया था।
अजय प्रकाश ने बताया कि कौशांबी में कुछ लोग पुलिस में इंस्पेक्टर बनाने के लिए युवकों से रुपये ले रहे हैं। उनसे ही संपर्क किया गया। अजय प्रकाश ने पांच लाख और कलावती ने चार लाख रुपये दिए थे। इन दोनो को कोई ट्रेनिंग भी नहीं करायी गयी। बस पुलिस भर्ती बोर्ड का एक फार्म भरवाया गया। कौशांबी में ही दोनो को बताया गया कि वह इंस्पेक्टर बन गए हैं। उनकी तैनाती लखनऊ के चिड़ियाघर में की गई है। दोनों को वर्दी सिलाकर बैच, बेल्ट और सितारा लगाकर लखनऊ भेजा गया। यहां जब वह नरही जाने के लिए रिक्शा ढूंढ रहे तो पकड़ लिये गए। सीओ जीआरपी अमिता सिंह ने बताया कि फिलहाल मामले की तफ्तीश की जा रही है। फर्जी तरीके से वर्दी पहनने के आरोप में इन दोनों पर मुकदमा दर्ज किया गया है।