यूपी उपचुनाव को लेकर अखिलेश-जयंत में हुआ समझौता, बीजेपी को मिलेगी कड़ी टक्कर
उत्तर प्रदेश में कोई चुनाव हो..और वो सुर्खियां न बटोरे, ये तो अब संभव ही नहीं है। जी हां, गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव के बाद एक बार फिर से दो सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, जिसकी वजह से सियासी दांव पेंच खेले जाने शुरू हो चुके हैं। बीजेपी समेत सभी विपक्षीय पार्टियां इस उपचुनाव को जीतना चाहती है, जिसकी कवायद अखिलेश यादव ने शुरू कर दी है। अखिलेश ने गोरखपुर और फूलपुर की तरह यहां भी मास्टरस्ट्रोक फेंकने की तैयारी में है। बता दें कि अखिलेश एक बार फिर से गठबंधन की ताकत को आजमाना चाहते हैं, जिसकी वजह से उन्होंने जयंत से समझौता किया। चलिए जानते हैं कि हमारे इस रिपोर्ट में क्या खास है?
बीजेपी को हराने के लिए सभी विपक्षीय पार्टियां एकजुट होती हुई नजर आ रही है। जी हां, पार्टियां बीजेपी को हराने के लिए एक दूसरे समझौता करती हुई नजर आ रही है। यूपी में गठबंधन ही नहीं महागठबंध देखने को मिल सकता है, लेकिन इस सबके बीच कांग्रेस बिल्कुल अकेली पड़ सकती है, क्योंकि यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव भले ही राहुल से दोस्ती की बात करते हैं, लेकिन अब दोनों की दोस्ती में पहले जैसी मिठास नहीं देखने को मिल रही है। कैराना और नुरपुर उपचुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी और आरएलडी के बीच समझौता हुआ है।
दोनों के बीच इस समझौता का औपचारिक ऐलान मायावती की मंजूरी के बाद ही किया जाएगा, क्योंंकि अखिलेश मायावती को बिल्कुल भी नाराज नहीं करना चाहते हैं, यही वजह है कि दोनों ही पार्टियां फूंक फूंक के कदम रखती हुई नजर आ रही है। कैराना और नुरपुर उपचुनाव में आरएलडी और सपा के बीच समझौता न होते होते हो गया, क्योंकि अखिलेश ने यह ऐलान किया था दोनों ही सीटों से उनके ही उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे, जिसकी वजह से आरएलडी नाराज दिखी थी।
मिली जानकारी के मुताबिक, दोनों नेताओं ने अपने बीच के सभी मतभेदों को दूर कर लिया है, जिसके बाद पार्टी हित मेें फैसला लेते हुए दोनों के बीच समझौता हो गया है। अखिलेश यादव मायावती से इस बारे में बात करने के बाद इसकी औपचारिक ऐलान करेंगे, जिसके बाद यह पता चलेगा कि दोनों सीटों पर से किस पार्टी का उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा या किसका नहीं? आरएलडी और सपा के इस समझौते के बाद कांग्रेस पार्टी अलग थलग हो गई, क्योंकि पार्टी आरएलडी को समर्थन देने के मूड में थी, ऐसे में अब देखने वाली बात यह होगी कि पार्टी का अगला कदम क्या होगा?