नेशनल फिल्म अवॉर्ड विवाद में कूदे सिन्हा ‘जो हुआ बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण था’
नेशनल फिल्म अवॉर्ड का आयोजन गुरूवार को किया गया। इस बार का फिल्म अवॉर्ड विवादों से घिरा देखने को मिला। जी हां, कई विजेताओं ने अवॉर्ड लेने से ही इनकार कर दिया, जिसके बाद अब उनके पक्ष में बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा कूद पड़े हैं। सिन्हा नेशनल फिल्म अवॉर्ड के दौरान जो कुछ भी हुआ उसके लिए खेद जताते हुए बड़ा बयान दिया। सिन्हा हर मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखते हुए नजर आते हैं, ऐसे में उनका यह बयान भी काफी ट्रेंड हो रहा है। चलिए जानते हैंं कि हमारे इस रिपोर्ट में क्या खास है?
गुरूवार को आयोजित हुए नेशनल फिल्म अवॉर्ड के दौरान 68 विजेताओं ने पुरस्कार लेने से साफ इनकार कर दिया। इन विजेताओं की नाराजगी यह है कि इन्हें पुरस्कार समारोह में बुलाकर इनका अपमान किया गया। परंपरा के मुताबिक, इन विजेताओं को पुरस्कार राष्ट्रपति के हाथों ही दिया जाता है, लेकिन इस बार यह परंपरा टूटती हुई नजर आई। जी हां, 131 विजेताओं में से राष्ट्रपति ने सिर्फ 11 विजेताओं को ही अपने हाथों से पुरस्कार दिया, जिसकी वजह से बाकि विजेता नाराज दिखाई पड़े, ऐसे में यह फिल्म अवॉर्ड विवादों से अछूता नहीं रहा, अब शत्रुघ्न सिन्हा ने इसको लेकर बड़ा बयान दिया है।
सिन्हा ने विजेताओं के दर्द को साझा करते हुए कहा कि जो भी हुआ, बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था और इसे टाला जा सकता था, पर मैं राष्ट्रपति को व्यक्तिगत रूप से जानता हूं, वो बहुत ही अच्छे इंसान है, ये सब गलतफहमी की वजह से हुआ, पर जो भी हुआ बहुत गलत हुआ। सिन्हा ने कहा कि इस बार फिल्म अवॉर्ड में परंपरा कैसे टूट गई, क्या राष्ट्रपति के पास विजेताओं को पुरस्कार देने के लिए समय नहीं था, जबकि महिला राष्ट्रपति से लेकर सभी राष्ट्रपतियों ने इस परंपरा का पालन किया। सिन्हा ने व्यंग्य कसते हुए कहा कि ये तो वैसा ही हो गया जैसे घर पर आएं मेहमानों को दो तरह का भोजन देना।
बीजेपी सांसद ने यह नहीं कहा कि स्मृति ईरानी से पुरस्कार दिलवाना गलत है, जबकि उनके कहने का यह मतलब है कि विजेताओं को राष्ट्रपति के हाथों से पुरस्कार दिलाने के लिए आंमत्रित किया गया था, ऐसे में उनका अपमान करना बहुत ही गलत है, क्योंकि देश के कलाकार राष्ट्रीय गौरव है, पर दुर्भाग्यवश राष्ट्रपति के पास इनके लिए टाइम नहीं है। याद दिला दें कि विजेताओं का कहना था कि जिस सरकार के पास हमारे लिए टाइम नहीं है, उस सरकार का अवॉर्ड लेना हमारा अपमान है, जिसकी वजह से 68 विजेताओं ने पुरस्कार को लेने से मना कर दिया।