आपका स्मार्टफोन आपको दे सकता है ये 5 बीमारियां, बचने के लिए हैं जरूरी कुछ सावधानियां
दिन पर दिन विकसित होती तकनीकि ने हमारी लाइफस्टाइल पूरी तरह बदल कर रख दी है.. आज हमारी मूलभूत आवश्यकताओं में रोटी, कपड़ा और मकान के साथ मोबाइल, टैबलेट, लैपटॉप कम्प्यूटर, जैसे गैजेट्स भी शामिल हो गए हैं। खासकर मोबइल पर हमारी निर्भरता इतनी हो गई है, अब सुबह सागने के साथ ही रात में सोने तक ये हमारे साथ में रहता है। वहीं आजकल तो स्मार्टफोन का जमाना आ गया है, ऐसे में बड़ो से लेकर बच्चों तक सभी स्मार्टफोन के दिवाने हो गए हैं, पर वहीं स्मार्टफोन की ये लत हमारे सेहत पर भारी पड़ रही है, ये हमे मानसिक रूप के साथ शारीरिक रूप से भी बीमार बना रहा है। आज हम आपको स्मार्टफोन के अधिक इस्तेमाल से होने वाले ऐसे ही कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानना आपके लिए बेहद जरूरी हैं, क्योंकि हो सकता है कि शायद आप भी इसके शिकार हो या होने वाले हैं। इसलिए समय रहते ही उचित सावधानी और बचाव बेहद जरूरी है, तो चलिए जानते हैं स्मार्टफोन से होने वाले नुकसान के बारे में..
दरअसल स्मार्टफोन के स्क्रीन पर कई तरह के कीटाणु रहते हैं, जिन्हें आंखों से देखना मुश्किल होता है। जबकि ये स्मार्टफोन अक्सर हमारे हाथों मे रहता है, ऐसे में ये कीटाणु स्मार्टफोन के जरिए हमारे शरीर और स्किन के सम्पर्क में आते हैं और शरीर में प्रवेश कर जहां कई तरह की घातक बीमारियों को कारण बनते हैं, वहीं इसकी वजह से आपको स्किन एलर्जी जैसी समस्या से भी जूझना पड़ सकता है। इसलिए जरूरी है कि इस्तेमाल से पहले और बीच-बीच में स्मार्टफोन को सही तरीके साफ कर लिया जाए। हो सके तो इसे हमेशा कवर कर रखे ताकि ये बाहरी धूल और प्रदूषण से बचा रह सके और उसके साथ-साथ आप भी बीमारियों से बचे रह पाए।
स्मार्ट फोन के रेडिएशन की वजह सिरदर्द और कई तरह की मानसिक समस्याएं उपज रही हैं.. दरअसल अक्सर हम सोते समय अपना फोन तकिए के नीचे या सिर के पास रख देते हैं और ऐसे में इससे निकलने वाले रेडिएशन सीधे हमारे दिमाग पर असर करते हैं जिसके फलस्वरूप कई तरह की मानसिक समस्याएं उपजती हैं। इसलिए अगर अगर आप इन तरह की समस्याओं से बचे रहना चाहते हैं तो सोते वक्त अपने मोबाइल को खुद से दूर रखकर सोएं, खासकर सिर के पास तो बिल्कुल ही ना रखें।
टेक्स्ट नेक, मोबाइल और टैबलेट जैसे डिवाइस के लगातार इस्तेमाल से होने वाली शारीरिक समस्या है, इस शब्द का सबसे पहले 2008 में एक अमेरिकी कायरोप्रैक्टर डॉ. डीन फिशरमैन ने किया था, असल में मोबाइल और दूसरे तकनीकी-गैजेट के अधिक इस्तेमाल से गलत पॉश्चर के कारण गर्दन और रीढ़ की हड्डी पर बार-बार दबाव पड़ता जो कि बाद में बड़ी समस्या के रूप में बदल जाता है। टेक्स्ट नेक सिंड्रोम की स्थिति काफी नई है और धीरे-धीरे ये एक बड़ी समस्या में तब्दील हो रही है, ऐसे में इसके ख़तरों के बारे में अभी लोगों को अभी अंदाज़ा नहीं लगा है। इसलिए इससे पहले कि आप इसके शिकार बने, इसके प्रति सावधान हो जाएं.. लगातार गर्दन झुकाकर मोबाइल में ना लगे रहें।
स्मार्टफोन की स्क्रीन की रोशनी, आंखों को काफी नुकसान पहुंचाती है। इसकी लाइट और फॉन्ट साइज आंखों पर सीधा असर डालती हैं, जिससे आंखो में जलन और दर्द होने के साथ नजर की कमजोरी का भी सामना करना पड़ सकता है, इसलिए जरूरी है कि मोबाइल फोन का कम से कम इस्तेमाल किया जाए , खासकर इसकी रोशनी से अपनी आंखें बचाकर रखें।
मोबाइल फोन का रेडिएशन प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, खासकर पुरूषो में इसकी वजह से शुक्राणुओं की गुणवत्ता और संख्या पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए मोबाइल फोन के अत्यधिक इस्तेमाल से बचना चाहिए।