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इसी जगह पर भस्मासुर के डर से छुपकर बैठे थे भगवान शिव, अब इस जगह के रहस्य से उठेगा पर्दा

हिंदू धर्म में अनेक देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि हिंदू धर्म में लगभग 33 करोड़ देवी-देवता है, लेकिन कुछ ही देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में त्रिदेव के नाम से प्रसिद्ध ब्रह्मा, विष्णु और महेश में से महेश यानी भगवान शिव की पूजा सबसे ज़्यादा की जाती है। यही वजह है कि पूरे देश में भगवान शिव के सबसे ज़्यादा मंदिर देखने को मिलते हैं। भगवान शिव को भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह एक बार जिसके ऊपर प्रसन्न हो गए, उसका जीवन बदल जाता है।

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भगवान शिव के भक्त केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मौजूद हैं। समय-समय पर इनके भक्त भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में इनकी पूजा-अर्चना करने के लिए आते रहते हैं। विश्व के कुछ ऐसे देश भी हैं, जहाँ भगवान शिव के अति प्राचीन मंदिर भी स्थित हैं। विश्व के कोने-कोने के लोग भगवान शिव में अपार श्रद्धा रखते हैं। भगवान शिव के बारे में देश में कई कथाएँ प्रचलित हैं। अक्सर आपको देश के कई शिव मंदिरों में ऐसे लोग मिल जाएँगे जो शिव से सम्बंधित पौराणिक कथाओं को सुनाते रहते हैं। आज इसी कड़ी में हम भी आपको भगवान शिव से जुड़े एक महत्वपूर्ण रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं।

आज हम आपको भगवान शिव के एक प्रसिद्ध धाम के बारे में बताने जा रहे हैं, इसे भगवान शिव के भक्त जोगेश्वर धाम के नाम से जानते हैं। आपको बता दें यह पवित्र स्थान बुंदेलखंड के बाँदकपुर में स्थित है। यहाँ पर स्थित भगवान शिव के शिवलिंग का आकार दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले इस शिवलिंग का आकार एक मुट्ठी भर था, लेकिन अब यह बढ़कर इतना हो गया है कि इसे हाथों में समेटना भी मुश्किल हो गया है। जोगेश्वर धाम जाने का रास्ता रूपनाथ धाम से होकर गुज़रता है।

रूपनाथ मंदिर की सीढ़ियों से आगे बढ़ने पर एक छोटा सा मंदिर दिखाई देता है जो पहाड़ों के बीच में बना हुआ है। इस स्थान के बारे में लोगों का कहना है कि यह वही जगह है, जहाँ भस्मासुर के डर से भगवान शंकर छुपकर बैठे थे। उस समय यह जगह एक गुफा हुआ करती थी जो आज मंदिर बन गया है। इस मंदिर में एक शिवलिंग भी स्थित है, जिसे स्वयंभू के नाम से जाना जाता है। मान्यता के अनुसार जब भगवान शंकर इस जगह से चले गए थे तो यह शिवलिंग ज़मीन से अपने आप निकला था। तब से लेकर आज तक लोगों का इस जगह के प्रति अपार श्रद्धा देखी जा रही है।

इस शिवलिंग के पीछे एक गुफा का रास्ता है जो बाँदकपुर तक जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसी गुफा के रास्ते से होते हुए भगवान शंकर भी बाँदकपुर गए थे। हालाँकि अब यह रास्ता बंद हो चुका है। लोगों के अनुसार कलयुग की शुरुआत होते ही यह रास्ता पत्थरों के खिसकने की वजह से बंद हो गया था। लेकिन अभी कुछ समय पहले तक यह जगह थोड़ी सी खुली हुई थी। यहाँ लोगों का आना-जाना भी लगा हुआ था। गाँववालों के अनुसार गुफा के रास्ते से बाँदकपुर की दूरी 15 किलोमीटर है।

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