भारत के इस मंदिर में महिलाओं नहीं बल्कि पुरुषों का जाना था मना, लेकिन हुआ कुछ ऐसा कि फिर….
भारत एक धार्मिक देश है, यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है। भारत में कई धर्मों के लोग साथ मिलकर रहते हैं। यहाँ सबसे ज़्यादा हिंदू धर्म को मानने वाले लोग हैं। यही वजह है कि यहाँ आपको हर जगह मंदिर देखने को मिल जाएँगे। भारत के कुछ शहर ऐसे भी हैं, जिनकी पहचान केवल मंदिरों की वजह से है। लोग उन जगहों पर जाकर भगवान से अपने सुखी जीवन की प्रार्थना करते हैं। भारत के कई मंदिर बहुत ही पुराने हैं। कई मंदिरों के इतिहास के बारे में भी जानकारी नहीं है।
कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जो अपने रहस्यों के लिए जाने जाते हैं। आजतक उन मंदिरों के रहस्यों का ख़ुलासा नहीं हो सका है। कुछ जानकार लोगों का कहना है कि अगर भारत के इन प्राचीन मंदिरों का ख़ुलासा हुआ तो पूरी दुनिया बिना हैरान हुए नहीं रह पाएगी। भारत में वैसे तो कई मंदिर हैं, लेकिन इनमें से कुछ बहुत ही प्रसिद्ध हैं। हर रोज़ इन मंदिरों में लाखों हज़ारों लोग जाते हैं और हर रोज़ करोड़ों का चढ़ावा भी चढ़ाते हैं। भारत के इन मंदिरों में बहुत ज़्यादा धन रखा हुआ है।
भारत को पूरे विश्व में अपनी संस्कृति और परम्परा के लिए जाना जाता है। यहाँ सदियों से परम्पराओं का पालन किया जाता रहा है। इनमें से कुछ परम्पराएँ समय के साथ बदली भी हैं, जबकि कुछ सदियों से वैसी ही चली आ रही हैं। भारत की कुछ परम्पराएँ अच्छी भी हैं और कुछ परम्पराओं की वजह से लोगों को बहुत नुक़सान भी उठाना पड़ता है। आज भी भारत के कई जगहों पर परम्पराओं के नाम पर महिलाओं को वो काम करने नहीं दिया जाता है, जिन्हें पुरुष पूरी आज़ादी के साथ करते हैं। आज भी भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जहाँ महिलाओं का जाना वर्जित है।
लेकिन आज हम आपको भारत के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहाँ महिलाओं का नहीं बल्कि पुरुषों का जाना वर्जित है। जी हाँ यह भले ही सुनकर आपको अजीब लग रहा होगा, लेकिन यही सच्चाई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं, वह ओडिशा के सतभाया गाँव में स्थित है। हम बात कर रहे हैं पंचबाराही मंदिर की। जानकारी के अनुसार इस मंदिर में लगभग 400 सालों से पुरुषों का जाना वर्जित है। लेकिन हाल ही में एक ऐसी घटना हुई, जिसकी वजह से सैकड़ों साल पुरानी यह परम्परा टूट गयी।
प्राचीन परम्परा के अनुसार इस मंदिर को आपदा से बचाने के लिए यहाँ केवल महिलाएँ ही जाती थी। यहाँ पूजा करने वाली से लेकर पूजा करवाने वाली तक सभी महिलाएँ होती थी। रीति-रिवाज के अनुसार इस मंदिर में केवल विवाहित महिलाएँ ही पूजा करने के लिए जाती थी। लेकिन पिछले कुछ दिनों में मंदिर के अंदर समुद्र का पानी घुस गया। मंदिर की मूर्तियों को सुरक्षित रखने के लिए मंदिर को किसी दूसरे स्थान पर स्थापित करने का निर्णय लिया गया। मूर्तियाँ काफ़ी भारी थी, इसलिए उन्हें उठाने के लिए मंदिर के अंदर पुरुषों को घुसाया गया। जानकारी के अनुसार मूर्तियों का वज़न लगभग 1.5 टन था। इस मंदिर की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि यहाँ पुजारियों की संख्या हमेशा पाँच होती है और सभी की सभी दलित समुदाय से होती हैं।