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यह कीड़ा है दुनिया का सबसे दुर्लभ और महँगा कीड़ा, बिकता है 30 लाख रुपए किलो की दर से, जानें

नई दिल्ली: प्रकृति रचित इस दुनिया के बारे में समझ पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। प्रकृति ने इस दुनिया में इंसानों के साथ ही कई तरह के जीव-जंतुओं को भी बनाया है। इसमें से कुछ जीव ऐसे भी हैं, जिनके बारे में काम लोगों को ही जानकारी है। इसके साथ ही ये जीव इतने दुर्लभ है कि इन्हें कहीं-कहीं ही देखा जा सकता है। इसी वजह से इन जीवों को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आज हम आपको एक ऐसी ही दुर्लभ और महत्वपूर्ण चीज़ के बारे में बताने जा रहे हैं।

इस दुनिया में कई तरह की अनोखी चीज़ें मौजूद हैं। इनमें से कुछ चीज़ें बहुत ही ज़्यादा महँगी हैं। महँगाई की बात की जाए तो ऐसी चीज़ों की कोई कमी नहीं है, जो बहुत ज़्यादा महँगी हों। आब बाज़ार जाते हैं और कूच पैसों में ही थैला भरकर सामान लाते हैं। वहीं कुछ ऐसी चीज़ें भी हैं जो बेशक़ीमती हैं, आप बाज़ार थैला भर पैसा भरकर ले जाते हैं और उस एक चीज़ को ख़रीदकर लाते हैं। महत्व और उपलब्धता के हिसाब से चीज़ों की क़ीमत भी बदल जाती है।

आपने दुनिया में कई महँगी चीज़ें देखी होंगी, लेकिन क्या आपने यह सोचा है कि कोई कीड़ा भी बहुत महँगा बिक सकता है। जी हाँ हम हीरे-जवाहरात की बात नहीं कर रहे हैं, हम एक कीड़े की बात कर रहे हैं, जो इतना महँगा बिकता है, जिसकी क़ीमत जानकार आप हैरान हो जाएँगे। आपकी जानकारी के लिए बता दें हम जिस कीड़े की बात कर रहे वह 26-30 लाख रुपए प्रति किलो की दर से बिकता है। हैरानी की बात यह है कि इतना महँगा होने के बाद भी इस कीड़े को ख़रीदने के लिए लोगों की होड़ लगी रहती है।

आप भी सोच रहे होंगे कि आख़िर इस कीड़े में ऐसा क्या ख़ास है जो यह दुनिया का सबसे महँगा कीड़ा माना जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें भूरे रंग के इस कीड़े की लम्बाई लगभग 2 इंच होती है। यह कीड़ा हिमालय की दुर्लभ पहाड़ियों में पाया जाता है। यह कीड़ा देखने में कुछ-कुछ पौधे की तरह लगता है। यही वजह है कि लोग इसकी तलाश में दिन-रात जंगलों में भटकते रहते हैं। आपको जानकार हैरानी होगी कि इस कीड़े से बहुत महँगी दवाई बनाई जाती है, इसी वजह से लोग इसके लिए पागल रहते हैं।

आपको बता दें इस दुर्लभ कीड़े का इस्तेमाल वियाग्रा की तरह किया जाता है। इस कीड़े की मदद से शारीरिक क्षमता बढ़ाने का काम किया जाता है। इसके साथ ही इस कीड़े का इस्तेमाल साँस और गुर्दे की बीमारी के इलाज के लिए भी किया जाता है। इस कीड़े के नाम यासार्गुम्बा है। इतना महँगा होने के बाद भी इसकी मुँहमाँगी बोली लगती है। इसे कुछ लोग हिमलायी वियाग्रा के नाम से भी जानते हैं। इस कीड़े का जीवन केवल छः महीने का होता है। मरने के बाद ये कीड़े जंगलों के बीच पौधों के बीच बिखरे पड़े रहते हैं। इन्हें इकट्ठा करके सुखाया जाता है फिर इसका पाउडर बनाया जाता है।

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