पीएम मोदी अगर 2019 में नहीं बने दोबारा प्रधानमंत्री, तो जानिए क्या होगा देश का हाल
भारत के प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का चार साल का कार्यकाल पूरा होने वाला है, ऐसे में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर देश में राजनीति और अटकलों का बाजार गरमाने लगा है। नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की दोबारा सत्ता पर काबिज होने को लेकर जहां कयास लगाए जा रहे हैं वहीं, कांगेस के शासन में वापसी के आसार पर भी चर्चाएं हो रही है। वैसे ये तो देश की आंतरिक राजनीति है पर लोकसभा चुनाव के परिणाम का देश की आर्थिक स्थिति और अंतरार्ष्ट्रीय साख पर क्या असर होगा ये देखना और जानना भी जरूरी है। दरअसल आर्थिक विशेषज्ञों की माने तो 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अगर भाजपा को जीत नहीं मिल सकी और मोदी दोबारा प्रधानमंत्री नहीं बनते हैं तो इससे देश की आर्थिक ग्रोथ को बड़ा झटका लगेगा।
जी हां, राजनीति से इतर अगर आर्थिक मसलों पर नजर डाली जाए तो देश की आर्थिक प्रगति के लिए पीएम मोदी का दोबारा भारत का प्रधानमंत्री बनना बेहद जरूरी है। दरअसल ये किसी राजनीतिक पार्टी विशेष की राय नहीं बल्कि वैश्विक ब्रोकरेज हाउस सीएलएसए के इक्विटी विश्लेषक क्रिस्टोफर वुड का अपना आर्थिक विश्लेषण हैं। क्रिस्टोफर वुड ने अपने साप्ताहिक नोट ‘ग्रीड एंड फियर’ में ये लिखा है कि अगर नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री नहीं बनते हैं तो इससे भारत की आर्थिक ग्रोथ को झटका लगेगा।
रूपया होगा कमजोर, बढ़ेगी महंगाई
वुड का कहना है कि इससे शेयर बाजार लुढ़क सकता है और रुपया पहले से और अधिक कमजोर हो सकता है। जिससे निवेशकों को शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड्स में किए गए अपने निवेश पर नकारात्मक रिटर्न मिलेगा। इसके साथ ही कमजोर रुपए की वजह से देश में महंगाई भी बढ़ने की आशंका है, क्योंकि इससे तेल का आयात काफी महंगा हो जाएगा। वुड के अनुसार, ‘भारत में जो निवेश चक्र अभी शुरू हो रहा है, उससे बैंकिंग सिस्टम को एनपीए की समस्या से निजात पाने में मदद मिलेगी। ऐसे में अगर मोदी दोबारा पीएम बनते हैं तो इससे लंबी अवधि के दौरान, भारतीय शेयर बाजार सबसे ज्यादा लाभ देने वाले साबित होंगे’।
भारत ऐसे बन सकता है मजबूत अर्थव्यवस्था वाला देश
वहीं इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के उप प्रबंधक डेविड लिप्टन का भी कहना है कि अगर भारत में आर्थिक नीतियों का सही प्रबंधन कर लिया गया और तो भारत जल्द ही मजबूत अर्थव्यवस्था वाला देश बन सकता है। डेविड का कहना है कि एक कुशल के नेतृत्व के जरिए अगर भारत में आर्थिक नीतियों को सही ढ़ग से लागू किया जाए तो ऐसे सुधारों से समावेशी वृद्धि को बल मिलता है जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूत मिलती । डेविड कहते हैं कि, ‘पहले ही मेरे हिसाब से ये 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है पर इसमें जनसंख्या व वृद्धि दर के हिसाब से और अधिक संभावनाए हैं।
डेविड के अनुसार, भारत में लागू किए गए कुछ आर्थिक सुधारों के परिणाम अब सामने भी आने लगे हैं जिससे लोगों को फायदा भी हुआ है और जल्दी ही इसका असर गरीबी में कमी के आंकड़ों में दिखेगा। ऐसे में इस तरह के और कदम उठाने की जरूरत सामने आई है। डेविड का कहना है कि भारत की प्रगति के लिए हालांकि अभी बहुत कुछ किया जाना है, ताकि बैंकिंग प्रणाली को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाए रखने और एनपीए की पुरानी समस्या से निपटने में कभी कोई दुविधा ना हो।