700 साल पुराने इस पेड़ का किया जा रहा है इंसानों की तरह इलाज, डॉक्टरों ने लगायी ग्लूकोज़ की बॉटल
नई दिल्ली: भारत एक बहुत बड़ा और विविधता से भरा हुआ देश है। इस देश में कई धर्मों, समुदायों और जातियों के लोग मिलकर रहते हैं। भारत में कई राज्य हैं और हर राज्य की अपनी अलग-अलग संस्कृति है। भारत में वैसे तो कई धर्मों को मानने वाले लोग हैं, लेकिन सबसे ज़्यादा लोग हिंदू धर्म को मानते हैं। आपको बता दें हिंदू धर्म परम्पराओं का बहुत ज़्यादा महत्व होता है। हिंदू धर्म में कई तरह की परम्पराओं का पालन किया जाता है। हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के साथ ही नदियों, जंगलों और पहाड़ों की भी पूजा की जाती है।
आपको जानकार हैरानी होगी कि हिंदू धर्म में के अनुसार प्रकृति की इन चीज़ों को भी मनुष्यों के बराबर ही महत्व दिया गया है। जहाँ इस आधुनिक युग में लोग तेज़ी से जंगलों को मिटाने पर तुले हुए हैं, वहीं कुछ लोग जंगलों को बचाने के लिए ख़ुद को भी क़ुर्बान करने से पीछे नहीं हटते हैं। कई जगहों पर पेड़ों का ख़याल लोगों से ज़्यादा रखा जाता है। हाल ही में तेलंगाना के महबूबनगर जिले में एक पुराने बरगद के पेड़ का इलाज ठीक उसी तरह से किया जा रहा है, जिस तरह से एक इंसान का इलाज किया जाता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें इस पुराने बरगद के पेड़ को दुनिया का दूसरा सबसे पुराना पेड़ माना जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 700 साल पुराने इस बरगद के पेड़ की हालत ख़राब है और इसे बचाने के लिए संघर्ष चल रहा है। पेड़ को जीवित करने के लिए सलाइन की बॉटल चढ़ाई गयी है। वनस्पति विज्ञान के जानकार लोग इस पेड़ को केमिकल की चढ़ा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस पेड़ पर दिमकों ने हमला कर दिया और दिमकों ने इस पेड़ को खोखला कर दिया है।
बरगद के पेड़ में कीटनाशक की सैकड़ों बोतलें इसी उम्मीद में लटकायी गयी हैं कि शायद पेड़ फिर से ठीक हो जाए। इंजेक्शन की मदद से कीटनाशकों को पेड़ की शाखाओं और तनों में पहुँचाया जा रहा है। आपको बता दें 700 साल पुराना यह पेड़ महबूबनगर के पिल्लामर्री इलाक़े में स्थित है। यह पेड़ तीन एकड़ ज़मीन में फैला हुआ है। इस पेड़ को दुनिया का सबसे विशालकाय पेड़ भी माना जा रहा है। यही वजह है कि इस पेड़ को देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी भी आते रहते हैं। पेड़ की हालत को ध्यान में रखते हुए अभी यहाँ लोगों के आने-जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
पेड़ की हालत को सुधारने के लिए वन विभाग के अधिकारियों ने सलाइन ड्रिप में इंजेक्शन कई केमिकल भी मिलाए हुए हैं, इसी तरह से सैकड़ों बोतलें तैयार की गयी हैं। पेड़ के इलाज के लिए बोतलों को दो-दो मीटर पर इंजेक्शन लगाकर लटकाया गया है। इसके साथ ही पेड़ का इलाज कई अन्य तरीक़ों से भी किया जा रहा है। पेड़ को सहारा देने के लिए पेड़ के आस-पास कंक्रीट का स्ट्रक्चर भी बनाया गया ही। जिले के ज़िलाधिकारी रानल्ड रॉस व्यक्तिगत तौर पर पेड़ के इलाज की देख-रेख कर रहे हैं। अब तो यह देखने वाली बात ही है कि इतने इलाज के बाद पेड़ को बचाया जा सकेगा या नहीं।