CJI के खिलाफ विपक्ष लाया महाभियोग का प्रस्ताव, जानिये क्या है पूरी प्रक्रिया?
मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस समेत तमाम विपक्ष पार्टियां महाभियोग का नोटिस राज्यसभा वेकैंया नायडू को सौंप चुकी हैं। जी हां, इस प्रक्रिया की तैयारी काफी दिनों से चल रही है, लेकिन जस्टिस लोया केस पर फैसला आने पर एक बार फिर चर्चा शुरू हो चुकी है। बता दें कि शुक्रवार को राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आज़ाद के कमरे में इस मामले पर तमाम विपक्षीय दलों की बैठक बुलाई गई थी, जिसके बाद इसको लेकर बड़ा फैसला लिया गया। आइये जानते हैं कि हमारे इस रिपोर्ट में क्या खास है?
जस्टिस लोया केस के खिलाफ जांच को खारिज करने के बाद एक बार फिर से विपक्ष सुप्रीम कोर्ट से काफी नाराज दिख रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की बात की जा रही है। इस बार कांग्रेस काफी मूड में दिख रही है, जिसकी वजह से राहुल गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस पार्टी ने इस बार दीपक मिश्रा के खिलाफ नोटिस उपराष्ट्रपति को सौंप दिया है, ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि इस पर आगे की क्या प्रक्रिया होगी?
बताते चलें कि कांग्रेस का साथ देने के लिए 7 विपक्षीय दल शामिल हुए तो वहीं टीएमसी और राजद पार्टी ने इस पूरे मसले से दूरी बनाये रखा। राजद पार्टी का इस मामले दूर होना घर में शादी होना बताया जा रहा है, तो वहीं टीएमसी की बात करे तो टीएमसी कांग्रेस पार्टी से दूरी बनाए ही रखती है। बता दें कि अब इस मामले में वेकैंया नायडू यह फैसला लेंगे कि रिपोर्ट को खारिज किया जाए या फिर उसे स्वीकार किया जाए।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर क्या है आरोप?
याद दिला दें कि इस दीपक मिश्रा जब से मुख्य न्यायधीश के पद पर काबिज हुए हैं, तब से कांग्रेस को खटक रहे हैं, ऐसे में उन पर इन बातों का आरोप लगाया गया है…
1.बता दें कि दीपक मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का फायदा उठाया है। उनका अचारण पद के अनुरूप नहीं है। इसके साथ प्रसाद ऐजुकेशन ट्रस्ट में फायदा उठाने का आरोप।
2.प्रसाद ऐजुकेशन ट्रस्ट का मामला सामने आने के बाद दीपक मिश्रा ने न्यायिक चांज खारिज कर दी।
3. इसके अलावा बैक डेटिंग का आरोप भी आरोप लगाया है।
4.फर्जी एफिडेविड, सुप्रीम कोर्ट जज बनने के बाद 2013 में जमीन को सरेंडर करने का आरोप।
5.संवेदनशील घटनाओं को चुनिंदा बेंच को सौंप देने के अलावा कई और आरोप दर्ज किये गये हैं।
क्या है पूरी प्रक्रिया
आपको बता दें कि चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश करने के लिए लोकसभा में 100 सांसदों और राज्यसभा में 50 सदस्यों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है, जिसके बाद प्रस्ताव संसद के किसी एक सदन में पेश किया जाता है। बता दें कि यह प्रस्ताव राज्यसभा चेयरमैन या लोकसभा स्पीकर में से किसी एक को सौंपना पड़ता है, इसके बाद स्पीकर या चेयरमैन इस बात का फैसला लेता है कि नोटिस पर चर्चा होगी या नहीं। ऐसे में कांग्रेस समेत विपक्षीय दलों के 71 सासंदो ने इस पर साइन किया है, लेकिन मजेदार बात यह है कि मनमोहन सिंह ने साइन नहीं किया।
चर्चा के बाद यह तय होता है कि जस्टिस पर लगे सारे आरोप अगर सही पाये जाते हैं तो मामला राष्ट्रपति के पास जाता है। इसके बाद राष्ट्रपति यह तय करते हैं कि जस्टिस को पद से हटाया जाया या नहीं। बता दें कि राष्ट्रपति का यह विशेषाधिकार होता है कि वो जस्टिस के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।