भारत के इस ऐतिहासिक क़िले में संभालकर रखा गया है पारस पत्थर, जिन्न करता है पत्थर की रखवाली
अक्सर हमें कई तरह की कहानियाँ बचपन के समय में सुनाई जाती थीं। उनमें से कुछ कहानियाँ सच्ची होती थीं तो कुछ कहानियाँ झूठी होती थीं। उन्ही में से बचपन के दिनों में एक कहानी पारस पत्थर के बारे में भी सुनाई जाती थी। पारस पत्थर के बारे में अक्सर आप सभी ने कई बार सुना होगा। इस पत्थर के बारे में कहा जाता है कि यह एक ऐसा जादुई पत्थर होता है, जो किसी भी धातु को सोने में बदल देता है। इस पत्थर से छूते ही कोई भी धातु सोने की हो जाती है।
हालाँकि ऐसा सच में होता है या नहीं, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है। बचपन में इसके बारे में सभी ने कई कहानियाँ सुनी होंगी, जिसमें इस पत्थर का ज़िक्र रहा होगा। इस पत्थर की ख़ूबी के बारे में जानकार बस हर कोई यही चाहेगा कि काश उसके पास भी यह चमत्कारी पत्थर होता। अब सबसे बड़ा सवाल यह हमारे सामने आता है कि जिस पत्थर के बारे में इतनी कहानियाँ और क़िस्से मशहूर हैं, क्या वह सच में है या बस कहानियों में ही है?
क़िले से पत्थर निकाल पाना नहीं है आसान काम
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आपके इस सवाल का जवाब हाँ है। आज हमारे बीच इसी दुनिया में पारस पत्थर मौजूद है। एक क़िले में इस पत्थर को सुरक्षित रखा गया है और आपको जानकार हैरानी होगी कि यह क़िला कहीं और नहीं बल्कि भारत में ही है। आपको बता दें भोपाल से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित इस क़िले में पारस पत्थर को सुरक्षित रखा गया है। यही वजह है कि हर साल यहाँ काफ़ी लोग खुदाई के लिए पहुँच जाते हैं। लेकिन क़िले से इस पत्थर को निकाल पाना कोई आसान काम नहीं है।
राजा ने छिन जाने के डर से पारस पत्थर को फेंक दिया तालाब में
आप सोच रहे होंगे कि आख़िर क़िले से पत्थर को निकालना आसान काम क्यों नहीं है। आपको बता दें इस पत्थर की रखवाली कोई और नहीं बल्कि जिन्न करता है। भोपाल के पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस क़िले को रायसेन के क़िले के नाम से जाना जाता है। इस पत्थर से संबंधित इतिहास बहुत ही रोचक है। जानकारी के अनुसार इस क़िले के राजा रायसेन के पास पारस पत्थर था, जिसकी वजह से उन्हें कई युद्ध भी लड़ना पड़ा था। एक युद्ध में राजा पराजित हुए और पत्थर के छिन जाने के डर से उन्होंने इसे एक तालाब में फेंक दिया। युद्ध के दौरान राजा की मृत्यु हो गयी।
अब तक नहीं उठ पाया सच्चाई से पर्दा
राजा की मौत के बाद क़िला एकदम वीरान हो गया। ऐसा कहा जाता है कि आज भी पारस पत्थर इसी क़िले में कहीं ना कहीं मौजूद है और उसकी रखवाली एक जिन्न करता है। हालाँकि यहाँ जिन्न है या नहीं उसके कोई सबूत नहीं मिले हैं, लेकिन यहाँ कई लोग पारस पत्थर की खोज में आते रहते हैं, उसके कई सबूत मौजूद हैं। कुछ लोग यहाँ पारस पत्थर की तलाश के लिए तांत्रिकों का भी सहारा लेते हैं। आपको जानकार हैरानी होगी कि पुरातत्व विभाग भी पारस पत्थर की तलाश में जुटी हुई है। लेकिन उन्हें अभी तक कुछ नहीं मिला है। कुछ लोगों का यहाँ तक कहना है कि चूँकि इस पत्थर की रक्षा जिन्न करता है, इसलिए यहाँ जो भी पत्थर की तलाश में आता है, वह अपना मानसिक संतुलन भी खो बैठता है। आख़िर क्या सच्चाई या अब तक इससे पर्दा नहीं उठ पाया है।