5 बार सांसद और 4 बार विधायक रहा यह व्यक्ति कर चुका है 58 शादियाँ,भूल चुका है कई पत्नियों के नाम
सही कहा जाता है कि यह दुनिया जितनी बड़ी है, उससे भी ज़्यादा यहाँ विचित्र तरह के लोग रहते हैं। आपको इस दुनिया में कई तरह के लोग देखने को मिल जाएँगे। कुछ अच्छे होते हैं कुछ बुरे होते हैं। कुछ लोग तो इतने ज़्यादा अजीब होते हैं कि उनके बारे में लोग कहानियाँ सुनाने लगते हैं। जी हाँ आपने अपने जीवन में कई तरह के लोगों को देखा होगा लेकिन आज हम आपको जिस व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं, उसके बारे में जानने के बाद आप भी उसकी कहानियाँ लोगों को सुनाएँगे।
भारत देश बहुत बड़ा है। यहाँ राजनीतिज्ञों के ठाठ-बाट देखते ही बनता है। यहाँ कुछ ऐसे भी राजनेता हैं जो अपनी राजशाही ठाठ की वजह से पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। इन्हें इनके पहनावे से लेकर इनकी लाइफ़स्टाइल के लिए जाना जाता है। लेकिन इन्ही राजनेताओं के बीच कुछ ऐसे भी राजनेता हैं जिन्हें उनकी सादगी के लिए जाना जाता है। ये लोग अपना जीवन बिना किसी दिखावे के सादगी से जीना पसंद करते हैं। हम बात कर रहे हैं देश के एक ऐसे राजनेता की जिसके बारे में लोग कहानियाँ सुनाते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें हम जिस राजनेता की बात कर रहे है, वह कोई और नहीं बल्कि बागुन सुंबरुई हैं जो 1967 से झारखंड के चाईबासा से 5 बार सांसद और 4 बार विधायक रह चुके हैं। 83 साल के बागुन दो चीज़ों के लिए ख़ूब जाने जाते हैं। गर्मी हो या सर्दी हर समय यह केवल अपने बदन पर धोती लपेटते हैं और दूसरी इन्हें इनकी शादियों के लिए भी जाना जाता है। आपको जानकार काफ़ी हैरानी होगी कि बागुन ने अब तक 1 या 2 नहीं बल्कि पूरी 58 शादियाँ की है। अब हालत यह हो गयी है कि बागुन अपनी कई बिबियों के नाम भी भूल गए हैं।
बागुन बताते हैं कि पहले यहाँ मेला लगा करता था। इसमें शामिल होने वाले कारोबारी कई आदिवसी लड़कियों के साथ ज़्यादती करते थे। इसी वजह से कई लड़कियाँ प्रेगनेंट भी हो जाती थीं। ऐसी लड़कियों को मैंने अपना नाम देना शुरू किया और उनको सहारा दिया। कई लड़कियों ने मुझे अपना पति बताकर नौकरी की। जब उनको कोई साथी मिला तो मुझे छोड़कर चली गयी। कई लड़कियाँ मेरी ज़िंदगी में आयी और गयी, मैं कितनों का नाम याद रखता। मुझे ना ही किसी के आने पर ऐतराज़ था ना ही किसी के जाने पर।
बागुन के जीवन की कई ऐसी कहानियाँ हैं, जिनके ऊपर कई फ़िल्में आसानी से बनायी जा सकती हैं। बागुन बताते हैं कि उनके नाम का अर्थ सारगर्भित है। हो भाषा में बाँ का अर्थ होता है फ़ू और गुन का अर्थ होता है गुण, यानी जिसके अंदर फूलों का गुण होता है, उसे बागुन कहते हैं। आपको बता दें बागुन के शरीर पर पूरे साल सिर्फ़ धोती ही रहती है।
बागुन का कहना है कि धोती पहनकर ही गांधी जी ने इस देश को आज़ाद करवा दिया। बिनोव भावे भी खुले बदन ही रहते थे। मैंने बिहार, छत्तीसगढ़, पक्षिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड की लड़ाई की थी, उसके बाद से ही मैं खुला बदन रहने लगा।