18 अप्रैल, अक्षय तृतीया पर 11 साल बाद बन रहा सवार्थ सिद्धी योग,ऐसे पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं
हिंदु धर्म में वैशाख माह के शुक्ल पक्ष को मनाए जाने वाले अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया से तात्पर्य ऐसी तिथि से है जिसका कभी क्षय नहीं होता है, इसलिए इस दिन किए जाने वाले हर कार्य का शुभ और अच्छा फल मिलता है। इस बार अक्षय तृतीया 18 अप्रैल को मनाई जाएगी और ज्योतिष गणना के अनुसार इस बार लगभग 11 साल बाद अक्षय तृतीया पर 24 घंटे का सर्वार्थसिद्धि योग का महासंयोग बन रहा है। ऐसे में ये अक्षय तृतीया और भी फलदायी होने वाली है, इस दिन किए गए मांगलिक कार्य का विशेष लाभ मिलेगा। चलिए जानते हैं कि आप इस 24 घंटे के सर्वार्थसिद्धि योग का पूरा लाभ कैसे उठा सकते हैं..
अक्षय तृतीया का पौराणिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं की माने तो सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ भी इसी तिथि से हुआ है, वहीं भगवान विष्णु का पृथ्वीलोक पर नर-नारायण, ह्रयग्रीव और परशुराम के रूप में अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था। ऐसे में इस दिन बद्रीनाथ की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी-नारायण के दर्शन किए जाते हैं। यही वजह है कि प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायाण के कपाट भी इसी दिन से ही खुलते हैं। वहीं धार्मिक ग्रंथों की माने तो इसी शुभ दिन माता मधुरा और भगवान शिव के अवतार भगवान सुंदरेषा का विवाह हुआ था, ऐसे में इसी दिन को विवाह करने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है।
क्या है सर्वार्थ सिद्धि योग
इस बार अक्षय तृतीया जिसे आखा तीज भी कहते हैं, 18 अप्रैल की सुबह 4:47 मिनट से शुरू होकर रात 3:03 बजे तक रहेगी। ज्योतिष के विद्वानों की माने तो इस अक्षय तृतीया पर 11 साल बाद 24 घंटे का सर्वार्थसिद्धि योग का महासंयोग बनने जा रहा है।वास्तव में सर्वार्थ सिद्धि योग किसी शुभ कार्य को करने का सबसे शुभ मुहूर्त होता है। इस मुहूर्त में जातक को पूजा अनुष्ठान, शादी-विवाह या कोई भी मांगलिक कार्य करने के लिए समय और काल का विचार नहीं करना पड़ता है । ये मुहूर्त सभी मांगलिक कार्य विवाह, गृह निर्माण, गृह प्रवेश, देव प्रतिष्ठा, या नया व्यापार शुरू करने के लिए विशेष का शुभ होती है। ऐसे में इस अक्षय तृतीया पूरा दिन सभी तरह के कार्यों के लिए मंगल रहेगा। आप जो भी शुभ कार्य करेंगे उसका दूगना लाभ आपको मिलेगा।
ऐसे मिलेगा लाभ
ये दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है, ऐसे में इस दिन उनकी पूजा-अर्चना से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे श्रीहरि की विशेष कृपा मिलती है। इसलिए इस दिन सुबह स्नानादि से शुद्ध होकर पीले वस्त्र धारण करने चाहिए और फिर अपने घर के मंदिर में या किसी पूजा स्थल पर विष्णु जी को तुलसी, पीले फूलों की माला या पीले पुष्प अर्पित करें।इसके बाद धूप-अगरबत्ती और ज्योत जलाकर एक पीले आसन पर बैठ जाए और विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु चालीस पढ़ें। आखिर में विष्णु जी की आरती करें। पूजा करने के बाद विष्णु जी के नाम से गरीब-दीन दुखियों को भोजन कराएं या फिर यथा शक्ति दान दें। इस तरह से भगवान विषणु की गई पूजा और दान-आदी अत्यंत फलदायी होता है। ऐसा करने से मनुष्य की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
बिना कुंडली मिलान कर सकते हैं विवाह
शास्त्रों की माने तो ऐसा दिन विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त होता है। यानि इस दिन विवाह करने के लिए किसी तरह के मुहुर्त या दोष-काल को नहीं देखना पड़ता है। बल्कि ये पूरा दिन ही पवित्र होता है । ऐसे में आप इस दिन बिना किसी कुंडली मिलान के ही शादी कर सकते हैं। दरअसल इस दिन के लिए मान्यता है कि ये इतना पवित्र होता है कि ग्रहों का प्रभाव भी खुद ही खत्म हो जाता है।
खरीदारी के लिए है बेहद शुभ
वहीं ये दिन सोने और चांदी की खरीददारी के लिए भी शुभ माना जाता है । मान्यता है इस दिन सोना या कोई भी धातु खरीदना बहुत शुभ फल देता है। साथ ही इस दिन बर्तन, वाहन और मकान भी खरीदना भी शुभ होता है।