पत्नी पति की विरासत या गुलाम नहीं, साथ रहना या न रहना उसकी मर्जी
महिला की सरक्षा के लिए कई अधिकार दिये जाते हैं। इन अधिकारों में से एक है कि उसकी मर्जी लेकिन पुरूष प्रधान देश में महिलाओं को आज भी अपना गुलाम माना जा रहा है। जी हां, कागजी सच्चाई जो भी हो लेकिन इस बात से नकारा नहीं जा सकता है कि पत्नियों को आज भी भारतीय अपना गुलाम ही समझते हैं, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन पत्नियों को थोड़ी राहत दे सकता है, जो अपने पति की गुलामी करने के लिए मजबूर हैं। ऐसे में चलिए अब आपको बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने किस फैसले में इतना बड़ा आदेश दिया है, तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस रिपोर्ट में क्या खास है?
जी हां, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए पत्नि पति की वस्तु नहीं हैं, जो पति की गुलामी करें। ऐसे में अब यह मामला अब एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। बता दें कि इस मुद्दे पर बहस तो जारी है और सरकार इसको लेकर सजग दिखाई दे रही है, लेकिन वास्तव में आज भी भारतीय महिलाएं अपने घर में अपने विचार भी नहीं रख पाती हैं, हालांकि कहीं जगह इस मामले में थोड़ी राहत है, लेकिन आज भी ऐसी महिलाएं हैं, जो अपने पति के आदेश पर जीने के लिए मजबूर हैं।
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पत्नी पति की गुलाम नहीं है, ऐसे में अब कोई भी पति अपने पत्नि को साथ रहने के लिए भी मजबूर नहीं कर सकता है। पत्नी की अपनी इच्छा होगी तभी हो पति के साथ रहेगी वरना दोनों को तलाक मिल जाएगा। दरअसल, यह मामला एक महिला द्वारा अपने पति पर अत्याचार और जबरदस्ती का था, जिसमें कोर्ट ने कहा कि कोई भी पुरूष महिलाओं को ऐसे ट्रीट नहीं कर सकता है, ऐसे में अब पत्नियों का अधिकार थोड़ा मजबूत हो जाएगा।
शादी होने के बाद महिलाओं को यह अधिकार मिल जाता है कि वो अपने पति के साथ उसके घर में रहे , वो भी पूरे हक के साथ। ऐसे में अब इस अधिकार में यह भी जुड़ गया है कि पत्नी के मंजूरी के बिना पति साथ रहने या उससे शारीरिक संबंध नहीं बना सकता है, फिर चाहे पति की इच्छा क्यों न हो, लेकिन पति ऐसा नहीं कर सकता। अगर पति अपने पत्नी पर किसी भी तरह साथ रहने के लिए मजबूर करता है, तो इस मामले में पति पर क्रिमनल केस चलाया जा सकता है।