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दलितों की बढ़ती नाराजगी से बीजेपी के किले में दरार, पार्टी हाईकमान में टेंशन की लहर

यूं तो दलितोंं को लेकर देश में सियासत शुरू से होती हुई आ रही है, लेकिन इस बार सियासत अपने चरम पर है। जी हां, 2 अप्रैले के आंदोलन के बाद से दलितों को लेकर पार्टियां सतर्क हो चुकी है। बता दें कि दलितों का वोटबैंक कोई भी पार्टी नहीं छोड़ना चाहती है, यही वजह है कि इस समय देश में सभी दलित हितेषी का चोला पहनकर घूम रहे है। किसका चोला असली या किसका नकली, ये तो कोई बता नहीं सकता है, लेकिन देश में फिलहाल सभी नेता दलित हितेषी है। सियासत इस बात को लेकर नहीं है कि कौन दलित हितेषी है या कौन नहीं बल्कि सियासत इस बात पर है कि दलितों को अपनी तरफ किस हथकंडे से किया जाए?

यूपी बीजेपी के पांच सांसदो का नाराज होना बीजेपी के लिए खतरे की घंटी मानी जा रही है, जिसकी वजह से बीजेपी हाईकमान में टेंशन की लहर देखने को मिल रही है। दलित सांसदो को मनाने के लिए आनन फानन में अमित शाह कर्नाटक छोड़कर यूपी का दौरा करेंगे। माना जा रहा है कि अमित शाह यूपी के दलित सांसदो को खुश करने के लिए मास्टर कार्ड खेल सकते हैं, ताकि इसका जरा सा भी असर 2019 में नहीं देखने को मिले। बताते चलें कि पार्टी के लिए दलितों का नाराज होना बहुत ही ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है, क्योंकि यूपी में 2014 में दलितो ने बीजेपी को वोट दिया था, ऐसे में अब इनकी नाराजगी पार्टी वोट बैंक पर भी असर डाल सकती है।

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भले ही इन दिनों कर्नाटक चुनाव में व्यस्त हो लेकिन वो यूपी को किसी भी कीमत पर हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं, क्योंकि अखिलेश और मायावती का गठबंधन पार्टी के लिए पहले से ही मुसीबत बना है, ऐसे में अगर ये  दलित सांसद भी पार्टी से खफा रहे तो यूपी बीजेपी के भविष्य पर बड़ा संकट आ सकता है। बता दें कि यूपी की 80 सीटों में से 60 सीटों पर दलितों का राज है, ऐसे में अगर पार्टी हाईकमान इसको अभी नहीं संभालेगी तो बाद में मुसीबत हो जाएगी।

अब बीजेपी इस संकट की घड़ी से निपटने के लिए महादलित पिछड़ों के लिए बड़ा मास्टर कार्ड खेलेगी ताकि न तो सांसद खफा रहे औऱ न ही कोई। इससे बीजेपी को दो बड़ा फायदा होगा तो विपक्ष की एकजुटता पर करारा जवाब होगा तो वहीं दूसरी तरफ दलितों का  वोट बैंक बीजेपी के तरफ और भी ज्यादा आ जाएगा। इसके अलावा बीजेपी इस कार्ड से दलित विरोधी छवि को भी दूर करना चाह रही है।

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