एमपी के साधु संत बिगाड़ सकते हैं बीजेपी की कुड़ली, मुश्किल में शिवराज सरकार
मंत्रिमंडल में बाबाओं को शामिल करने के पीछे भले ही शिवराज सरकार ये सोच रही होगी कि उन्होंने साधु संतो को अपने खेमे में कर लिया है, लेकिन हुआ शिवराज की सोच से उल्टा। जी हां, एमपी का साधु संत समाज पूरी तरह से अलग थलग दिख रहा है। इस समाज का कहना है कि सरकार ने उनसे किये एक भी वादो को पूरा नहीं किया, इसके अलावा उसने बाबाओं को मंत्री बनाकर भी गलत किया है। बता दें कि साधु संतो की ये नाराजगी बीजेपी की कुंडली भी बिगाड़ सकती है। तो आइये जानते हैं कि हमारे इस रिपोर्ट मेंं क्या खास है?
जानकारों की माने तो यह नाराजगी बीजेपी का सूबे में गणित बिगाड़ सकते हैं, ऐसे में बीजेपी को इसको लेकर अभी से एलर्ट हो जाना चाहिए, नही तो एमपी चुनाव का नतीजा कुछ भी हो सकता है। दरअसल, साधु संतो की नाराजगी इस बात से है कि सरकार ने उनकी मांगो को नहीं पूरा किया, जिसकी वजह से वो प्रदर्शन भी कर सकते हैं। बताते चलें कि साधु संतों का यह समाज पिछले साल भी धरने पर बैठा था, जिसके बाद सरकार ने दिलासा दिलाया था कि वो उनकी मांगो का मान लेंगे, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ, जिसकी वजह से वो बहुत ही ज्यादा नाराज है।
बताते चलें कि प्रदेश के साधु-संत समाज में नाराजगी इस बात की नहीं है कि पांच बाबाओं को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया, बल्कि उनकी नाराजगी इस बात को लेकर है कि जिस मांग को लेकर 15 साल से साधु संत समाज लड़ रहा है, उसे सरकार ने आज तक पूरा नहीं किया गया है, ऐसे में इनका कहना है कि एक बार फिर से वो एक बड़े पैमाने पर प्रदर्शन कर सकते हैं, जिसकी वजह से सरकार को दिक्कत हो सकती है। बाबाओं को भी मंत्री बनाने को लेकर भी इस समाज ने अप्रत्यक्ष रूप से सरकार को आड़े हाथोंं भी लिया है।
इस समाज का कहना है कि सरकार कोई भी फैसला लेने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है, लेकिन बाबाओं को मंत्री का दर्जा देने के पहले मुख्यमंत्री को कम से कम संत समिति अथवा धर्मसमाज से भी राय-मशविरा करना था, पर सरकार ने ऐसा नहीं किया, इससे उनकी नाराजगी और भी ज्यादा बढ़ सकती है। अब बीजेपी को चाहिए कि वो इनकी बातों को न सिर्फ सुने बल्कि कड़े कदम भी उठाए, ताकि एमपी विधानसभा चुनाव में उसके सामने कोई बड़ी मुसीबत न आन पड़े।