रविन्द्र कौशिक उर्फ़ ब्लैक टाइगर– एक जासूस जिसने पाकिस्तानी सेना में मेजर बनकर पाक की उड़ाई नींद
नई दिल्लीः पाकिस्तान में जिंदगी की जंग हारने वाले सरबजीत हमेशा ही भारतीय मीडिया में सुर्खियों में रहे और उनके ऊपर बॉलीवुड फिल्म भी बन चुकी है। सरबजीत को लेकर हमेशा ये विवाद रहा कि वे भारतीय जासूस थे या नहीं, लेकिन सरबजीत सिंह का मामला जासूसी की दुनिया की तरफ ध्यान जरूर खींचता है। Ravindra Kaushik Urf Black Tiger – An Indian Spy RAW.
आज हम आपको एक भारतीय जासूस की सच्ची कहानी बताने जा रहे हैं, जो पाकिस्तान गया, पाकिस्तानी सेना में भर्ती हुआ और मेजर तक बन गया था। पर वो एक दिन पकड़ा गया। और भारत सरकार ने किसी तरह की कोई मदद नहीं की और उसे भारत का नागरिक मानने से भी इंकार कर दिया। यहां तक कि उसकी मौत के बाद उसकी लाश भी देश में नहीं लाई गई। यह कहानी है भारतीय जाबांज जासूस ‘रविन्द्र कौशिक’ उर्फ ‘ब्लैक टाइगर’ की। माना जाता है कि सलमान खान की फिल्म ‘एक था टाइगर’ रवींद्र कौशिक की ज़िंदगी से प्रेरित थी। ये भी कहा जाता है कि तत्कालीन गृहमंत्री एसबी चव्हाण ने उन्हें ‘ब्लैक टाइगर’ का नाम दिया था।
कौन था रविन्द्र कौशिक उर्फ़ ब्लैक टाइगर (Black Tiger – An Indian Spy) –
राजस्थान के श्रीगंगानगर ज़िले के रहने वाले कौशिक ने 23 वर्ष की आयु में स्तानक की पढ़ाई करने के बाद ही भारतीय खुफ़िया एजेंसी रॉ में नौकरी शुरू की।
पाकिस्तान जाने से पहले दिल्ली में रॉ ने करीब 2 साल तक उनकी ट्रेनिंग चली। पाकिस्तान में किसी भी परेशानी से बचने के लिए उसका खतना किया गया। उसे उर्दू, इस्लाम और पाकिस्तान के बारे में जानकारी दी गई। ट्रेनिंग समाप्त होने के बाद मात्र 23 साल की उम्र में रविन्द्र को पाकिस्तान भेज दिया गया। पाकिस्तान में उसका नाम बदलकर नवी अहमद शाकिर कर दिया गया।
साल 1975 में कौशिक को भारतीय जासूस के तौर पर पाकिस्तान भेजा गया था और उन्हें नबी अहमद शेख़ का नाम दिया गया। पाकिस्तान पहुंच कर कौशिक ने कराची के लॉ कॉलेज में दाखिल लिया और कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की। कौशिक को वहां एक पाकिस्तानी लड़की अमानत से प्यार भी हो गया। दोनों ने शादी कर ली और उनकी एक बेटी भी हुई। कौशिक ने अपनी जिंदगी के 30 साल अपने घर और देश से बाहर गुजारे।
इस दौरान पाकिस्तान के हर कदम पर भारत भारी पड़ता था क्योंकि उसकी सभी योजनाओं की जानकारी कौशिक की ओर से भारतीय अधिकारियों को दे दी जाती थी।
साथी ने ही दिया धोखा, भारत सरकार ने नहीं दिया साथ –
1983 में कौशिक का राज खुल गया। दरअसल, रॉ ने ही एक अन्य जासूस कौशिक से मिलने पाकिस्तान भेजा था जिसे पाकिस्तानी खुफ़िया एजेंसी ने पकड़ लिया। पूछताछ के दौरान इस जासूस ने अपने बारे में साफ़ साफ़ बता दिया और साथ ही कौशिक की पहचान को भी उजागर कर दिया। हालांकि कौशिक वहां से भाग निकले और उन्होंने भारत से मदद मांगी, लेकिन भारत सरकार पर आरोप लगते हैं कि उसने उन्हें भारत लाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई।
आखिरकार पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने कौशिक को पकड़ लिया और सियालकोट की जेल में डाल दिया। वहां न सिर्फ उनका शोषण किया गया बल्कि उन पर कई आरोपों में मुकदमा भी चला। उसके पिता इंडियन एयरफोर्स में अफसर थे। रिटायर होने के बाद वे टेक्सटाइल मिल में काम करने लगे। रविंद्र ने जेल से कई चिट्ठियां अपने परिवार को लिखीं। वह अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों की कहानी बताता था। एक खत में उसने अपने पिता से पूछा था कि क्या भारत जैसे बड़े मुल्क में कुर्बानी देने वालों को यही मिलता है?
वहां रवींद्र कौशिक को लालच दिया गया कि अगर वो भारतीय सरकार से जुड़ी गोपनीय जानकारी दे दें तो उन्हें छोड़ दिया जाएगा। लेकिन कौशिक ने अपना मुंह नहीं खोला, पाकिस्तान में कौशिक को 1985 में मौत की सजा सुनाई गई जिसे बाद में उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया। वो मियांवाली की जेल में रखे गए और 2001 में टीबी और दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई।
ब्लैक टाइगर को हमारा सलाम (Black Tiger – An Indian Spy) –
उनका जीवन अब भी रॉ के अधिकारियों को प्रेरित करती है और उन्हें अब भी भारत के बेहतरीन खुफिया एजेंट के रुप में याद किया जाता है, जिसने मौत तक अपने देश की सेवा की। रविन्द्र कौशिक हमेशा एक सच्चे भारतीय सैनिक रहेंगे, जिसने बिना किसी स्वार्थ के अपना जीवन देश के नाम कुर्बान कर दिया। ब्लैक टाइगर – हम सभी भारतीयों की ओर से इस महान भारतीय योद्धा सलाम!