अखिलेश पर दिखने लगा संगत का असर, बुआ को खुश करने के लिए मनाएंगे अंबेडकर जयंती
उत्तर प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मिया तेज हो चुकी हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव हर हाल में बीजेपी को यूपी से उखाड़ फेंकने के मूड में दिखाई दे रहे हैं, इसके लिए वो हर संभव कोशिश कर रहे है। इन दिनों अखिलेश यादव दिल्ली में है, ऐसे में सियासी गलियारों में अटकलें भी तेज हो चुकी हैं। दरअसल, अखिलेश दिल्ली विपक्ष को एकजुट करने की तैयारी के लिए गये हैं। अखिलेश दिल्ली जाने से पहले बुआ को खुश कर गये। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस रिपोर्ट में क्या खास है?
14 अप्रैल को बाबा साहेब यानि अंबेडकर जयंती है, ऐसे में इस मौके को खास बनाने के लिए अखिलेश यादव ने नया फरमान जारी किया है। जी हां, अखिलेश यादव ने मायावती को खुश करने के लिए अंबेडकर जयंती को खास तरीके से मनाने का ऐलान किया है। अखिलेश ने सभी जिलाध्यक्षों को निर्देश दिया है कि वो इस बार अपने अपने जिला में अंबेडकर जयंती को धूमधाम से मनाएं। हालांकि, अखिलेश पहले भी अंबेडकर जयंती को मनाते थे, लेकिन इस बार को इसे खास तरीके से मनाएंगे।
सूबे में जब से समाजवादी पार्टी औऱ बहुजन समाजवादी पार्टी करीब आएं है, तब से ही लोहिया और अंबेडकर के नारे एक साथ लगने लगे हैं। वरना ये दोनों ही पार्टियां एक दूसरे को अपना जानी दुश्मन मानती थी, लेकिन ये अखिलेश की कोशिशों का ही नतीजा है। गौर किया जाए तो यह पता लगता है कि बतौर सीएम रहते हुए अखिलेश ने मायावती को अक्सर बुआ कह कर ही पुकारा है, तो ऐसे में अब जब भतीजा मुश्किल में है, तो बुआ तो आशीर्वाद देंगी ही, ऐसे में अब अखिलेश मायावती के आशीर्वाद के सहारे बीजेपी को उखाड़ फेंकने के मूड में हैं।
बताते चलें कि उपचुनाव में जीत से अखिलेश पूरी तरह से गदगद दिखाई दे रहे हैं, ऐसे मे वो अब ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहते हैं, जिससे उन्हें नुकसान हो। यही वजह है कि अखिलेश अब एक एक कदम फूंक फूंक के तो रख ही रहे हैं, साथ ही इस बात का भी विशेष ध्यान रख रहे हैं कि कहीं उनके किसी भी कदम से मायावती को बुरा न लग जाएं, क्योंकि आगामी चुनाव में दोनों पार्टियां एक साथ चुनाव लड़ेंगी। इतना ही नहीं, मायावती भी ऐसी कोई भूल नहीं कर रही है, जिससे अखिलेश को बुरा लग जाए।
बहरहाल, अखिलेश और मायावती की ये दोस्ती अपने इरादों में कामयाब हो पाती है या नहीं, ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन दोनों के साथ आने से बीजेपी में डर का माहौल देखने को मिल रहा है, भले ही बीजेपी इसे सिरे से नाकार रही हो, लेकिन डर तो उसके मन में साफ साफ देखने को मिल रहा है।