बच्चों से जुड़े ये अंधविश्वास हर घर में है कायम, जिनका सच जानना है बेहद जरूरी
हमारे देश में तरह-तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं, लोग अपने घर-परिवार की सुख-शांति के लिए कई कोई भी उपाय करने से नहीं चुकते हैं। ऐसे में जब बात बच्चों की हो तो अंधविश्वास और भी गहरा हो जाता है। बच्चो के मोह में लोग उनकी सुरक्षा के लिए तरह तरह के जतन करते हैं। दरअसल हमारे समाज में बच्चों के रख-रखाव से सम्बंधित कई सारी ऐसी मान्याताएं प्रचलित हैं जिन्हे लोग बिना सोचे-समझें करते रहते हैं जबकि वास्तव में कुछ मान्यताएं बच्चों के लिए हितकारी नहीं होती हैं, बल्कि उल्टे इनसे बच्चों को नुकसान पहुंचता है। इसलिए इस तरह की प्रचलित मान्यताओं को अपनाने से पहले उनका सच जानना बेहद जरूरी है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ मिथको का खतरनाक सच बताने जा रहे हैं।
काजल बचाता है ‘बुरी नजर’ से
वैसे ये लगभग हर घर में देखने को मिलता है कि औरतें अपने बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिए उनकी आंखों में गहरा काजल लगाती हैं। जबकि वास्तव में ये खतरनाक होता है, इसके बारे में नेत्र विशेषज्ञों का कहना है कि ये बच्चों की आंखो के लिए जहां सीधे तौर पर नुकसानदायक होता है वहीं, काजल से सीसे का जहर फैलने की सम्भावना होती है.. ये सीसा हड्डियों में जमा होता है और रक्त के निर्माण में अवरोध खड़ा करता है। सीसे का ही ये दुष्प्रभाव है कि इससे बच्चों में अक्सर लकवा, शारीरिक और मानसिक वृद्धि में रूकावट जैसे लक्षण हो जाते हैं। ऐसे में अगर आपको फिर भी ये लगता है कि बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिये काजल लगाना जरूरी है तो ये सिर्फ बच्चों के माथे पर ही लगाएं।
बच्चों के पास हमेशा एक नुकीली चीज रखना
वहीं बच्चों को बुरी नजर और साए से बचाने के लिए लोग चाकू या लोहे की कोई नुकुली चीज हमेशा उनके पास रखते हैं.. मान्यता है कि इससे बच्चे पर बुरी आत्माओं का साया नहीं पड़ता है। पर वास्तव ये ऐसा करके आप अपने बच्चों की जान और भी जोखिम में डालते हैं क्योंकि बच्चों के नजदीक ऐसी धारदार चीजे रखना खतरनाक साबित हो सकता है। छोटे बच्चों को हर चीज खिलौना ही लगता है ऐसे में इस तरह की नुकीली या धारदार वस्तुएं उन्हें नुकसान पहुंचा सकती हैं।
नवजात को शहद चटाना
हमारे यहां ये मिथक प्रचलित है कि बच्चा पैदा होने के बाद उसे शहद जरूर चटाया जाना चाहिए जबकि वास्तव में ऐसा नहीं करना चाहिए। दरअसल शहद में क्लोस्ट्रिडियम बोटुलिनम नामक जीवाणु के बीजाणु हो सकते हैं।ऐसे में इससे बोटुलिज्म नामक गंभीर तरह की फूड पॉइजनिंग हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक बच्चा एक साल का न हो जाए, उसे शहद नहीं दिया जाना चाहिए।
बच्चे के सोते वक्त पंखा न चलाएं
वहीं एक ये भ्रम भी प्रचलित है कि अगर कोई बच्चा सो रहा है तो पंखा नहीं चलाना चाहिए। यहां तक कि लोगों का मानना है कि ऐसा करने से बच्चे की असामयिक मौत हो सकती है। जबकि वास्तव में इसके पीछ कोई वाजिब तर्क नहीं है। बल्कि इससे तो बच्चा ओवरहीटिंग का शिकार हो सकता है। क्योंकि जब बड़े गर्मी बर्दाश्त नहीं कर सकते तो बच्चे कैसे कर सकते हैं। ऐसे में मौसम अनुसार बच्चे को हवा और ठंडक मिलनी भी जरूरी है।
गले में लहसुन की कलियों की माला
वहीं बच्चे को सर्दी-जुकाम से बचाने के लिए यह घरेलू नुस्खा भी आम है कि लहसुन की कलियों की माला पहनाने से बच्चे की सर्दी दूर हो जाती है। ऐसे में ये समझना जरूरी है कि लहसुन का आंतरिक सेवन ही सर्दी-जुकाम से राहत दिलाता है ना कि बाहरी प्रयोग। वहीं दूसरी तरफ लहसून के सम्पर्क में बच्चे की बेहद सेंसिटिव स्किन पर रैशेस भी हो सकते हैं।