इस मुस्लिम देश में आज भी मौजूद है समुद्र मंथन से निकला हुआ अमृत कलश, जानें सच्चाई
अमृत कलश: भारत एक विविधता से भरा हुआ देश है। यहाँ कई धर्म, जाति और संस्कृति के लोग एक साथ रहते हैं। भारत में सबसे ज्यादा हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग हैं। हिन्दू धर्म में कई प्राचीन कहानियां हैं, जिनका जिक्र धर्मशास्त्रों में भी मिलता है। हालाँकि आज के इस आधुनिक युग में कुछ लोग इन कहानियों पर यकीन नहीं करते हैं, लेकिन धर्म में आस्था रखने वाले लोग आज भी इन कहानियों को सच मानते हैं। इन्ही में से एक प्रचलित कहानी है समुद्र मंथन की।
समुद्र मंथन से सबसे अंत में निकला था अमृत कलश:
समुद्र मंथन की कहानी के बारे में तो आप जानते ही होंगे। देवताओं और राक्षसों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया था। ऐसा कहा जाता है कि आज भी समुद्र में कई राज दफ्न हैं। समुद्र मंथन अमृत प्राप्ति के लिए किया गया था। समुद्र मंथन के दौरान ऐसा समझौता हुआ था कि मंथन से निकलने वाली चीजों पर सबका हक होगा। एक बार में निकलने वाली चीज एक पक्ष को मिलेगी और दूसरी बार में निकलने वाली चीज दूसरे पक्ष को मिलेगी। समुद्र मंथन का काम चलता रहा और अंत में समुद्र से अमृत कलश निकला।
कलश में हजारों सालों से रखा हुआ है एक द्रव्य:
अमृत कलश निकला और देवताओं ने उसका पान किया, लेकिन उसके बाद अमृत कलश का क्या हुआ किसी को नहीं मालूम है। लेकिन मुस्लिम देश इंडोनेशिया में एक ऐसा मंदिर है, जहाँ आज भी अमृत कलश होने का दावा किया जा रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें इंडोनेशिया के कंडी सुकुह नाम के इस प्राचीन मंदिर में एक ऐसा कलश रखा हुआ है, जिसमें पिछले हजारों सालों से एक द्रव्य रखा हुआ है। लोगों की मान्यता है कि यह अमृत है जो हजारों सालों में भी नहीं सूखा है।
कलश के ऊपर लगा हुआ है पारदर्शी शिवलिंग:
लोगों का मानना हा कि यह वही अमृत कलश है जो समुद्र मंथन में निकला था। इस कलश पर एक शिवलिंग भी बना हुआ है। आपको बता दें मंदिर की एक दीवार पर महाभारत का आदिपर्व भी अंकित है। 2016 में इंडोनेशिया का पुरातत्व विभाग मरम्मत का कार्य करवा रहा था, उसी समय इस मंदिर की दीवार से जो मिला उसे देखकर एक्सपर्ट्स की राय मंदिर के बारे में हमेशा के लिए बदल गयी। आपको बता दें एक्सपर्ट्स को एक ताम्बे का कलश मिला जिसके ऊपर एक पारदर्शी शिवलिंग भी लगा हुआ था। इस कलश के अन्दर एक खास तरह का तरल पदार्थ भरा हुआ है।
इस्लाम से ख़तरा होने की वजह से छुपा दिया गया होगा कलश को:
शोध के दौरान यह बात सामने आई कि ताम्बे के बर्तन से इसे खास तरह से जोड़ा गया है ताकि इसे किसी भी तरह से खोला ना जा सके। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह कलश जिस दीवार से मिला है, वहां अमृत मंथन की चित्रकारी भी की गयी है। मंदिर की एक दीवार पर आदिपर्व का होना भी हैरानी में डालता है। कार्बन डेटिंग के हिसाब से यह कलश बारहवीं सदी का बताया जा रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें उस समय यह देश पूर्ण रूप से हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था। लेकिन 15 सदी में जब इस्लाम से खतरा हुआ होगा तो इस बहुमूल्य चीज को मंदिर की दीवार में छुपा दिया गया होगा। आपको बता दें इस कलश और शिवलिंग के साथ ही कई अन्य कीमती रत्न मिले हैं।