Trending

एक बुजुर्ग कैब ड्राइवर ने देर रात जो लड़की के लिए किया , वो ये दोनों कभी नहीं भूल पाएंगे !

हम अक्सर सुनते है कि हौंसलों की कभी हार नहीं होती पर आपको अगर  लगता है कि हौंसले केवल जवानों या आज की युवा पीढ़ी में ही देखने को मिल सकते है तो आप गलत है क्योंकि आज एक बुजुर्ग ने हौंसलो की वो मिसाल कायम की है कि आप भी उसे सलाम करे बिना नहीं रह पाएंगे . आज जब हमारे देश में इंसानियत बिलकुल खत्म होती जा रही है वही दूसरी तरफ इस कैब ड्राइवर यानि टैक्सी ड्राइवर ने इंसानियत शब्द को नया अर्थ दिया है . अब आप सोच रहे होंगे कि भला इस ड्राइवर ने ऐसा क्या किया जो हम इसकी इतनी तारीफ कर रहे है.  तो आईये हम आपको बताते है इस टैक्सी ड्राइवर का शाबाशी भरा कारनामा जिसे सुन कर आपको भी इस पर गर्व होगा .

टैक्सी ड्राइवर ने दिखाई समझदारी

दरअसल बात कुछ समय पहले की घटना है एक बुजुर्ग टैक्सी ड्राइवर जो सालों से टैक्सी चला कर ही अपने परिवार का पालन पोषण करता था और उसका कहना था कि मैं भले ही बूढा हो गया हूँ पर मैं आज भी खुद ही कमाता हूँ . टैक्सी चलाने का एक्सपीरियंस कैसा होता है ये मैं अच्छी से समझ गया हूँ, क्योंकि मेरा हर रोज़ नजाने कितने ही लोगों से पाला पड़ता है . कुछ लोग भले होते है जो अच्छे से बात करते है तो हमें भी लगता है कि हम इंसान है और कुछ ऐसे भी होते है जो तेज़ चलाने के लिए हम पर चिल्लाते है . पर ट्रैफिक इतना ज्यादा होता है कि परेशानी हो ही जाती है . मैंने इस शहर की अच्छाई भी देखी है और बुराई भी .

एक रात करीब 12 या 12 :30 का समय होगा जब मैं अपनी टैक्सी में बैठा था तो मैंने सड़क के दूसरे किनारे पर देखा कि एक लड़की जो बस स्टॉप से आगे की तरफ बढ़ रही थी . शायद वो अपने घर की तरफ ही जा रही थी और उसकी उम्र 25 वर्ष से भी कम होगी . मैं उस लड़की को बड़े ध्यान से देख रहा था और वो इसलिए क्योंकि वो लड़की काफी परेशान थी और डरी हुई सी चुपचाप जा रही थी .

अचानक मैंने देखा कि कुछ 2 ,3 लोग न केवल उस लड़की का पीछा कर रहे है बल्कि उसे छेड़ रहे है और सीटियां भी बजा रहे है . लड़की को जाता देख उन्होंने अपने चलने की स्पीड और तेज़ कर दी . मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ. ऐसे हालात में मैंने टैक्सी का हॉर्न जोर जोर से बजाना शुरू कर दिया और हॉर्न की आवाज़ से वो लोग चौकन्ने हो गए और वहां से भाग निकले.

ड्राइवर की दरियादिली ..

फिर जैसे ही मैंने अपनी टैक्सी सड़क के दूसरे किनारे ली तो उस लड़की को मैंने कहा कि आओ मैं तुम्हे टैक्सी में घर छोड़ देता हूँ . वो लड़की काफी डरी हुई थी और बुरी तरह सहमी ही थी . हालांकि उसका घर केवल दो तीन मिनट की दुरी पर ही था . इसलिए मैं चुपचाप गाडी चलाता रहा और जब कार्नर के पास उसका घर आया तो उसने गाडी से निकल कर मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए और रोने लगी .

उसने कहा कि आज आपने जो किया है उसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद . मैंने उस लड़की को कहा भी कि अगर कोई और भी होता तब भी मैं ऐसे ही मदद करता पर फिर भी वो लड़की रोते रोते शुक्रिया कर रही थी . फिर उसने मुझे बाहर रुकने को भी कहा और अंदर से एक मिठाई का डिब्बा लेकर मुझे दे दिया . कहा कि ये आप अपने परिवार को दे देना . मैं उस लड़की को भले ही जानता नहीं था पर उसकी मदद करके जो सुकून मुझे मिला है वो बिलकुल वैसा ही है जैसे एक पिता अपनी बेटी की रक्षा करता है और मुझे नहीं लगता कि मैं इस घटना को कभी भूल पाऊंगा.

अब आप ही बताईये क्या सिर्फ अच्छा बोलने से ही सुकून मिलता है या कुछ अच्छा करने से भी तसल्ली मिलती है . जरुरी नहीं कि केवल मार पीट से ही आप दूसरो की मदद कर सकते है बल्कि समझदारी दिखा कर भी दूसरो की सहायता की जा सकती है जैसे कि इस बुजुर्ग ने किया . आज यदि इस बुजुर्ग ने अपनी इंसानियत न दिखाई होती तो शायद वो लड़की सुरक्षित न होती .इसलिए उनके लिए एक सलामी तो जरुरी है .

Back to top button