ये है दुनिया का सबसे अनोखा गांव, जहाँ लोग खाते एक देश में और सोते हैं दूसरे देश में
नई दिल्ली – वैसे तो हमारे देश में ऐसे बहुत से गांव हैं जहाँ की खूबसूरती देखते ही बनती है। लेकिन आज आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जो वाकई में दुनिया का सबसे अनोखा गांव कहा जा सकता है। हम बात कर रहे हैं नागालैंड की राजधानी कोहिमा से 380 किलोमीटर की दूरी पर नार्थ ईस्ट की तरफ स्थित लोंगवा गांव की। वैसे तो यह गांव अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए ज्यादा प्रसिद्ध है। लेकिन, इसकी एक और खासियत है जो इसे दुनिया के बाकी गावों से अलग करती है। दरअसल, इस गांव के लोग दो देश के निवासी हैं। जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा इस गांव के लोगों को दो देशों की नागरिकता प्राप्त है।
इस गांव के लोगों को दो देशों की नागरिकता प्राप्त
क्या आप कभी सोच सकते हैं कि अपने ही देश में कोई ऐसी जगह भी होगी जहां लोग बिना किसी प्रतिबंध के अन्य देशों में आ जा सकते हैं? नहीं ना? लेकिन, हमारे ही देश में ऐसा एक ऐसा गांव है जहां के स्थानीय लोग वीज़ा के बिना किसी दूसरे देश में आसानी से आ जा सकते हैं। इस गांव के लोगों को दो देशों की नागरिकता प्राप्त है।
आपको बता दें कि लोंगवा भारत की पूर्वी अर्तराष्ट्रीय सीमा पर बसा हुआ है। यह गांव इसलिये खास है कि इस गांव के बीचोंबीच से भारत और म्यांमार की अर्तराष्ट्रीय सीमा गुजरती है। जिसकी वजह से यहां के लोगों को दो देशों की नागरिकता मिली हुई है।
लोंगवा गांव – एक गांव, दो देश
नागालैंड, पूर्वोत्तर भारत के सेवन सिस्टर्स के नाम से जाने वाले 7 राज्यों में से एक है जो 11 जिलों से मिलकर बना है। उनमें से मोन जिला राज्य के उत्तरी भाग में स्थित है। मोन जिले के बड़े गांवों में से एक गांव लोंगवा है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत और म्यांमार के बीच बसे इस गांव का आधा भाग भारत में और आधा भाग म्यांमार में पड़ता है।
खास बात ये है कि लोंगवा के बीचोंबीच गुजरने वाली अंर्तराष्ट्रीय सीमा के बावजूद इस गांव के लोगों को दो देशों की सीमाओं में न बांटते हुए दोनों देश की नागरिकता दी गई है। साल 2011 में हुई जनगणना के अनुसार यहां 732 परिवार रहते है जिनकी कुल जनसंख्या 5132 है।
राजा के घर के बीचो-बीच गुजरती है दो देशों की सीमा
यहां कोनियक नागा जनजाति के लोग रहते हैं जो यहां की 16 जनजातियों में सबसे बडी जनजाति है। एक वक्त था जब यहां के कोनियक नागा जनजाति के लोग हेड हन्टिंग (सिर काटकर हत्या) के लिये मशहूर थे। इस जनजाति के मुखिया को अंग कहा जाता है। कोनियक जनजाति का अंग आसपास के 75 गांवों पर राज करता है।
यानि अंग का शासन म्यांमार से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है। हालांकि, सरकार अब इस गांव के विकास पर ध्यान दे रही हैं और कई सरकारी योजनाओं के माध्यम से यहां की जनजातियों को मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया जा रहा है। सरकार ने इन जनजातियों के बच्चों की पढाई के लिए कई स्कूल भी खोले हैं।