ऐतिहासिक सफलता-INS अरिहंतः जल-थल-वायु से परमाणु हमला करने में सक्षम हुआ भारत
नई दिल्लीः इंडियन नेवी की ताकत अब और ज्यादा बढ़ गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में बनी पहली न्यूक्लियर आर्म्ड सबमरीन आईएनएस अरिहंत को बेहद खामोशी से नेवी के बेड़े में शामिल कर लिया है। इसके मुताबिक सबमरीन को इसी साल अगस्त में बेड़े में शामिल किया गया। दिसंबर 2014 से इसके गहन परीक्षण चल रहे थे। India nuclear triad ins arihant.
3500 किलोमीटर दूर तक लगेगा दुश्मनों पर निशाना –
यह पनडुब्बी 83 एमडब्ल्यू प्रेशराइज्ड लाइट वाटर रिएक्टर पर काम करती है। इसके जरिए 750 और साढ़े तीन हजार किलोमीटर दूर तक निशाना लगाया जा सकेगा। हालांकि अमरीका, रूस और चीन की तुलना में यह क्षमता कम है। इन देशों के पास 5000 किलोमीटर तक मार कर सकने वाली सबमैरीन लॉन्चड बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। अरिहंत मिलने से भारत दुनिया का ऐसा छठा देश बन गया है जिन्होंने खुद न्यूक्लियर आम्र्ड सबमरीन बनाई है। अब तक 5 देशों अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन के पास ही न्यूक्लियर ऑम्र्ड सबमरीन थीं।
‘अरिहंत’ होगी पहली न्यूक मिसाइल सबमरीन –
अरिहंत नौसेना में शामिल की जाने वाली पांच न्यूक्लियर मिसाइल सबमरीन में से पहली है। इसे विशाखापट्टनम में बनाया गया है और वहीं इसका डीप सी डाइविंग टेस्ट परीक्षण भी किया गया। परमाणु संपन्न पनडुब्बी की खास बात यह होती है कि दुश्मन को महीनों तक पता चले बिना इससे परमाणु हमले की जवाबी कार्रवाई की जा सकती है। 6 हजार टन वजनी अरिहंत हालांकि अभी तक पूरी तरह से तैनाती के लिए तैयार नहीं हैं। रक्षा मंत्रालय और नेवी की ओर से भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।
पिछले साल एक अक्टूबर को आया रूस का डाइविंग सपोर्ट शिप- आरएफएस एप्रन डीप सी डाइव और लॉन्च से जुड़े टेस्ट में अरिहंत के साथ था। आईएनएस अरिहंत में 750 किमी और 3500 किमी क्षमता वाली मिसाइलें हैं। हालांकि अमेरिका, रूस और चीन की तुलना में इनकी क्षमता कम है, क्योंकि इनके पास 5000 किमी से ज्यादा क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइल मौजूद हैं।
अरिहंत में लगी मिसाइल का कोडनेम है ‘K’ –
हालांकि मीडिया में आई रिपोर्ट्स को मानें तो कुछ समय में अरिहंत पनडुब्बी में बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम को लगाने में थोड़ा वक्त लगेगा। इन मिसाइलों को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर कोडनेम ‘के’ दिया गया है। इनमें दो तरह की मिसाइलें लगेंगी। पहली K-15 SLBM, जिसकी क्षमता 750 किमी है, जबकि दूसरी K-4 जो 3500 किमी दूर तक के लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम है। अरिहंत को 750 किलोमीटर रेंज वाली के 15 और 3,500 किलोमीटर रेंज वाली 4 बैलिस्टिक मिसाइलों से भी लैस किया जाएगा।
दुनिया की नजरों से इसे क्यों छिपाया जा रहा –
इसी साल विशाखापट्टनम में इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू ऑर्गनाइज किया गया था। इसमें कई देशों की नेवी ने हिस्सा लिया था। नरेंद्र मोदी और प्रणब मुखर्जी भी इस फ्लीट को देखने आए थे। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भारत ने इस प्रोग्राम में अरिहंत को इसलिए शामिल नहीं किया, क्योंकि फॉरेन वॉर शिप्स में सेंसर और सर्विलांस डिवाइसेस मौजूद थीं। ये अरिहंत के फीचर्स को ट्रेस कर सकती थीं। नेवी इसके हर फीचर को बिल्कुल सीक्रेट रखना चाहती है।