हजारों साल पुराने इस मंदिर में चुनरी बांधने से हो जाती है व्यक्ति की हर इच्छा पूरी, जानें
बारा देवी मंदिर: भारत एक धार्मिक देश है। वैसे तो यहाँ सभी धर्मों के लोग आपस में मिल-जुलकर प्यार से रहते हैं। लेकिन यहाँ हिन्दू धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार 33 करोड़ देवी-देवता हैं। लेकिन इनमें से कुछ ही ऐसे देवता हैं, जिनकी पूजा सभी लोग करते हैं। इन्ही में से एक हैं जगत जननी शक्ति की देवी माँ दुर्गा। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा की आराधना करने वाले व्यक्ति के जीवन में कभी कोई परेशानी नहीं आती है।
मंदिरों में छुपे हुए हैं कई हैरान करने वाले रहस्य:
हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ का बहुत ज्यादा महत्व होता है। केवल पूजा-पाठ करने से ही किसी व्यक्ति को लाभ नहीं मिलता है, मन में सच्चाई और अच्छाई भी होनी चाहिए। जिन लोगों के मन में छल-कपट होता है, उनके पूजा का भी कोई लाभ नहीं मिलता है। भारत में हिन्दू धर्म के कई मंदिर देखने को मिल जायेंगे। इनमें से कुछ मंदिर इतने प्राचीन हैं, कि उनके बारे में किसी को नहीं पाता है। इन प्राचीन मंदिरों में कई रहस्य भी छुपे हुए हैं, जो सभी को हैरान कर देते हैं।
1700 साल पुराना है बारा देवी मंदिर का इतिहास:
18 मार्च यानी आज से ही चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। चैत्र नवरात्र के पहले दिन ही हिन्दू नववर्ष मनाया जाता है। नवरात्री के पहले दिन माँ दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है। नवरात्री के इस पावन मौके पर हम आपको कानपूर के एक अत्यंत प्राचीन मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं कानपुर के हजारों साल पुराने बारा देवी मंदिर की। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह लगभग 1700 साल पुराना है। बारा देवी का यह अद्भुत और प्राचीन मंदिर कानपूर के दक्षिणी इलाके में स्थित है।
मनोकामना पूरी होने पर लोग खोल देते हैं चुनरी:
जनकारी के अनुसार कानपूर के दक्षिणी क्षेत्र में ज्यादातर इलाकों के नाम बारा देवी के नाम पर ही रखे गए हैं। इन इलाकों में बर्रा 01 से लेकर बर्रा 09 और बिन्गवा और बारासिरोही शामिल है। साथ ही बर्रा विश्व बैंक का नाम भी बारा देवी के नाम पर रखा गया है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहाँ लोग अपनी मनोकामना मानकर चुनरी बांधते हैं। जिस व्यक्ति की मन्नत पूरी हो जाती है, वह चुनरी खोल देता है। यह परम्परा सदियों से चली आ रही है। इस मंदिर पर लोगों का अटूट विश्वास है।
पिता के क्रोध से बचने के लिए एक साथ भाग गयी घर से:
हैरानी की बात यह है कि यह मंदिर इतना पुराना है कि इसके असली इतिहास के बारे में किसी को जानकारी नहीं है। मंदिर के लोगों के अनुसार जब एएसआई की टीम ने मंदिर का सर्वेक्षण किया तो उन्होंने बताया कि मंदिर की मूर्ति लगभग 15-17 सौ साल पुरानी है। मंदिर के पुजारी के अनुसार इस मंदिर को लेकर एक कथा भी प्रचलित है। एक बार अपने पिता से अनबन होने और उनके कोप से बचने के लिए 12 बहने एकसाथ घर से भाग गयी। सारी बहने किदवई नगर में मूर्ति बनकर स्थापित हो गयी। पत्थर की यही बहने बाद में बारा देवी के नाम से जानी जानें लगीं। कहा जाता है कि बहनों के श्राप की वजह से उनके पिता भी पत्थर के बन गए।