ब्रिक्स सम्मेलन: भारत की राह में फिर अड़चन बना चालाक चीन, भारत के सबसे बड़े दुश्मनों का बना हमदर्द
नई दिल्लीः गोवा में 15-16 अक्टूबर को हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत के लिए आतंकवाद का मुद्दा अहम रहा। उरी हमले के बाद भारत ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान को झटका दिया था। अब ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई। Divide over pak terror brics declaration.
गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने आए देशों से आह्वान किया गया कि वह सुनिश्चित करें की उनके क्षेत्र का आतंकवादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। लेकिन पीएम मोदी के कड़े रवैये को देखकर जैसे कयास लगाए जा रहे थे पाकिस्तान को वैसा जवाब नहीं दिया जा सका।
पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच हुई NSG पर बात –
अंग्रेजी अखबार ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ के मुताबिक इस सम्मेलन में भारत को उम्मीद थी कि देश में सक्रिय जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी समूहों का जिक्र किया जाएगा साथ ही सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाया जाएगा। लेकिन चीन की मौजूदगी में ये मुमकिन नहीं हो सका।
ब्रिक्स टीम की अगुवाई कर रहे अमर सिन्हा ने बताया कि भारत में आतंक का कारोबार कर रहे इन दोनों आतंकी संगठनों को घोषणापत्र में जगह नहीं दी गई। जबकि अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों जैसे इस्लामिक स्टेट और जबात-अल-नुस्र का जिक्र घोषणापत्र में किया गया।
गोवा घोषणापत्र में सीमापार आतंक के मुद्दे को जगह नहीं दी गई लेकिन ब्रिक्स के चार अन्य सदस्य देशों रूस, दक्षिण अफ्रीका, चीन और ब्राजील ने उरी हमले की निंदा की। इन देशों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने पर सहमति जताई।
चीनी चाल की पहले से थी उम्मीद –
इस बात की उम्मीद पहले से ही थी कि चीन पाकिस्तान के मुद्दे पर नरम रुख अपनाएगा। लेकिन साथ ही भारत को उम्मीद थी कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आंतकी संगठनों का जिक्र किया जाएगा। इसकी जानकारी देते हुए ब्रिक्स सम्मेलन के सचिव अमर सिन्हा ने बताया कि पाकिस्तान में मौजूद आंतकी संगठनों का निशाना भारत है, इसलिए ब्रिक्स के दूसरे सदस्य देशों के लिए यह कोई चिंता का विषय नहीं है। उन्होंने कहा कि चीन का रुख भारत के लिए काफी निराशाजनक रहा है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय आंतकी समूहों जैसे इस्लामिक स्टेट और जबात-अल-नुसरा का घोषणापत्र में जिक्र किया गया।
उड़ी हमले की तीखी निंदा –
ब्रिक्स के चार सदस्यों रूस, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ने एकजुट होकर जम्मू कश्मीर के उड़ी में सेना के कैंप पर हुए हमले की तीखी निंदा की। इन देशों ने द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय, दोनों स्तरों पर आतंकवाद के खिलाफ पार्टनरशिप को मजबूत करने पर सहमति जताई। लेकिन इसके बावजूद गोवा घोषणा पत्र में सीमा पार आतंकवाद का जिक्र तक नहीं किया जा सका।
ब्रिक्स का घोषणा पत्र –
इस घोषणा पत्र में कहा गया कि हम हाल में भारत समेत कुछ ब्रिक्स देशों में हुए हमले की कड़ी निंदा करते हैं। हम हर तरह के आंतकवाद का पुरजोर विरोध करते हैं और सैद्धांतिक, धार्मिक, राजनीतिक, नस्लीय और किसी भी अन्य वजहों से की गई किसी भी तरह की आतंकवादी गतिविधियों को उचित नहीं ठहराया जा सकता। हमने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से मुकाबले के लिए द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर सहयोग मजबूत करने पर सहमति जताई है। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक ब्रिक्स के सदस्यों ने सीसीआईटी को तेजी से अपनाने पर भी जोर दिया है।