बीजेपी को बड़ा झटका, टीडीपी संसद में लाएगी अविश्वास प्रस्ताव
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य की दर्जा दिलाने की मांग अब तूल पकड़ने लगा है। जी हां, टीडीपी ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा तो पहले ही खोल दिया था, लेकिन अब मामला गरम हो चुका है। बता दें कि आम बजट आने के बाद जब आंध्र प्रदेश के लिए कुछ नहीं निकला तो बीजेपी की सहयोगी टीडीपी उससे खफा हो गई, जिसके बाद दोनों ही पार्टियों ने एकजुट रहने की पूरी कोशिश की लेकिन मामला दिन ब दिन बढ़ता ही गया। अब आलम यह हो गया है कि मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की पूरी तैयारी हो चुकी है। आइये जानते हैं कि हमारे इस रिपोर्ट में क्या खास है?
जी हां, एनडीए से अलग थलग हुई टीडीपी ने अब बीजेपी से पूरी तरह से समर्थन वापस ले लिया है। इतना ही नहीं सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन भी करेगी, जिससे मोदी सरकार बैकफुट पर आ सकती है। बताते चले कि नायडू ने विधानसभा में कहा कि वो सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी, क्योंकि मोदी सरकार ने आंध्र की जनता के साथ धोखा किया है। दरअसल, जगन मोहन रेड्डी ने नायडू को पत्र लिखकर अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने की अपील की है, तो इसके अलावा टीआरएस भी राज्य को विशेष दर्जे की मांग कर रही है, ऐसे में संसद में बड़ा हंगामा देखने को मिल सकता है।
जगन मोहर रेड्डी की पार्टी फिलहाल इस कोशिश में जुटी हुई है कि वो कैसे विपक्षी दलों को एकजुट करें। बता दें कि अविश्वास पत्र को पारित करने के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन होना जरूरी है, ऐसे में जगन मोहन के पास बड़ी चुनौती है। बताते चलें कि जगन मोहन विपक्षी दलों को पत्र लिखकर समर्थन देने की अपील कर रहे हैं, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मोहन समर्थन एकत्र कर पाते हैं या नहीं, ये तो खैर वक्त ही बताएगा।
क्या कहता है नियम?
दरअसल, अविश्वास पत्र को पारित कराने के लिए कुछ नियम होते हैं, तो चलिए जानते हैं कि आखिर वो क्या नियम है? बता दें कि नियमों के मुताबिक, अविश्वास पत्र को लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन वाईएसआर कांग्रेस के किसी भी सांसद को सदन में पेश करने की अनुमति देंगी, जिसके बाद इस प्रस्ताव के समर्थन में करीब 50 सांसदो को खड़ा होना होगा। इन सबके बाद ही अागे की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। लेकिन बात यही नहीं थमती है, क्योंकि इसके बाद भी एक झोल है, वो ये है कि ये प्रस्ताव संसद में तभी ही पेश हो सकता है, जब संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चल रही हो, ऐसे में वाईएसआर कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि शुक्रवार को संसद में किसी भी प्रकार का हंगामा न हो, क्योंकि तभी इस प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है।