जब मुख्यमंत्री को देखते ही दूल्हा-दुल्हन को छोड़कर भागे परिजन, सीएम को करना पड़ा ऐसा
आज के समय में शादी समारोह में बड़े नेताओं की उपस्थिति गौरव की बात है.. हर कोई चाहता है कि उनके घर के आयोजन में प्रतिष्ठित राजनेता और जानेमाने लोग शामिल हों। इसके लिए लोग बकायदा ऐसे गढ़मान व्यक्तियों को आमंत्रित करते हैं पर पहले के जमाने में ऐसा नहीं होता था… तभी निजी समारोह पूरी तरह निजी होता था .. ऐसे में 60 के दशक में एक शादी समारोह में मुख्यमंत्री के पहुंचने पर जो हुआ वो वाकई चौकाने वाला था । आज हम आपको उसी वाक्ये के बारे में बताने जा रहे हैं।
सीएम को किसी ने पानी के लिए भी नहीं पूछा
दरअसल 60 के दशक में एक घटना ऐसी सामने आई थी, जिसमें एक शादी समारोह में मुख्यमंत्री के अचानक पहुंचने पर दूल्हा-दुल्हन के परिजन मंडप छोड़कर ही भाग गए । यहां तक कि मुख्यमंत्री को किसी ने पानी तक का नहीं पूछा। ऐसे में आखिर में वे नव वर-वधू को आशीर्वाद दे वहां से निकल गए। ये घटना सन् 1961 की है जब डॉ. कैलाशनाथ काटजू मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। ऐसे में एक रात वे किसी क्षेत्र का दौरा कर अपने काफिले के साथ भोपाल लौट रहे थे .. रास्ता कच्ची सड़क और अंधेरे के बीच गुजर रहा था । तभी एक गांव से गुजरते हुए उन्हें रोशनी और ढोल-ढमाकों की आवाज में नाचते-गाते कुछ लोग दिखाई पड़े। ऐसे में मुख्यमंत्री ने कार में साथ बैठे वित्तमंत्री मिश्रीलाल गंगवाल से पूछा यहां क्या हो रहा होगा?
गंगवाल ने कहा- शायद कोई शादी-विवाह का आयोजन चल रहा हो! तब मुख्यमंत्री काटजू ने झ़ट से कहा मुझे ये शादी देखनी है। जिस पर गंगवाल चौंके और बोले- आप अगर ऐसे अचानक उस शादी में जाएंगे तो ग्रामीण डर जाएंगे। पर जब काटजू ने फिर भी वहां जाने की बात की तो ड्राइवर को निर्देशित किया गया और ड्राइवर ने गाड़ी रोशनी की दिशा में मोड़ दी। थोड़ी देर में पुलिस की गाड़ियों समेत मुख्यमंत्री का पूरा काफिला गांव के उस छोटे से घर के सामने था, जहां पर वो विवाह हो रहा था।
शादी समारोह में पसर गया सन्नाटा
ऐसे में जैसे ही वहां मौजूद लोगों ने अचानक से मुख्यमंत्री और गाड़ियों से धड़ाधड़ उतरते पुलिस जवानो को देखा वे बुरी तरह डर गए और फिर सारे वयस्क लोग मंडप छोड़कर खेतों की तरफ भाग गए, वहीं बुजुर्ग किसी तरह अपनी-अपनी खाटों से उठकर घर के पीछे जाकर छुप गए, वहीं वहां मौजूद महिलाएं घूंघट डालकर घरों के अंदर जा छुपीं। ऐसे में कुछ ही मिनटों में हाल ये हुआ कि शादी के रौनक और ढोल-ढमाकों की जगह सन्नाटा पसर गया और वहां मंडप में सिर्फ दूल्हा-दुल्हन ही बच गए।
असल में ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि वो एक बाल विवाह था और इसलिए ग्रामीणों को ऐसा लगा कि खुद मुख्यमंत्री ने दबिश दी है। हालांकि बाद में पुलिस के जवान खेतों में भागे परिजनों को बुलाने के लिए भी गए पर वे तो ऐसे भागे थे कि ढूंढे से नहीं मिले।
यहीं वजह थी शादीसमारोह में कोई व्यक्ति बचा ही नहीं था कि मुख्यमंत्री को बैठने को कहे। आखिर में काटजू ने वर-वधू बने बच्चों के सिर पर हाथ फेरा और भेंट देकर वहां से निकल आए । ऐसे में कार में बैठते ही जैसे गंगवाल और मुख्यमंत्री काटजू ने एक-दूसरे की तरफ देखा और हंसी का फव्वारा छूट गया।