यूपी उपचुनाव नतीजें: ऐसा ही हाल रहा तो 2019 में कमजोर हो जाएगी बीजेपी
उत्तर प्रदेश उपुचनाव के नतीजों की तस्वीरें धीरे धीरे साफ होती दिखाई दे रही है, जिसमें बीजेपी को बड़ा झटका लगता हुआ नजर आ रहा है। जी हां, यूपी की दो सीटों पर उपचुनाव की वोटिंग की गिनती जा रही है, ऐसे में अब तक नतीजों में बीजेपी काफी पीछे चल रही है, जोकि बीजेपी के लिए बुरी खबर है। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी ने यूपी 80 में से 73 सीटें जीती थी, लेकिन सीएम योगी दो सीटों में से एक सीट भी नहीं बचाते नजर आ रहे हैं। आइये जानते हैं कि हमारे इस रिपोर्ट में क्या खास है?
जी हां, प्रदेश में सियासी हलचलें तेज हो चुकी है, क्योंकि दशकों बाद सीएम योगी का किला ढहने के कगार पर आ चुका है। बता दें कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ 1998 से गोरखपुर के सांसद थे, जिन्होंने सीएम पद को संभालते हुए सांसद पद से इस्तीफा दिया था, जिसके बाद उनकी सीट पर 11 मार्च को वोटिंग हुई, जिसपे नतीजें की गिनती आज यानि बुधवार को हो रही है, लेकिन नतीजें सीएम योगी के हक में जाते नहीं दिख रहे हैं। बता दें कि यूपी की दोनों सीटों पर बीजेपी की हार होती दिखाई दे रही है, जोकि सीएम योगी के लिए शर्मनाक है।
2014 का लोकसभा चुनाव बीजेपी ने मोदी के नेतृत्व में जीता था, तो वहीं दूसरी तरफ यूपी का सीएम पद संभालने के बाद से उनका कद बहुत ऊंचा हो गया है। यहां तक त्रिपुरा में लेफ्ट का किला ढहाने में भी योगी को श्रेय दिया जाता है, लेकिन योगी अपने ही गढ़ में अपनी साख बचाने में नाकाम साबित हुए, जोकि उनके लिए काफी शर्मनाक की बात है।
तो क्या 2019 में कमजोर हो जाएगी बीजेपी?
गोरखपुर और फूलपुर के नतीजों को देखा जाए तो इससे यही लग रहा है कि यूपी में बीजेपी धीरे धीरे कमजोर होने लगी है। याद दिला दें कि एक साल पहले ही यूपी विधानसभा में प्रचंड जीत हासिल करने वाली बीजेपी अपना सबसे पुराना गढ़ बचाने में नाकाम रही है, जोकि उसके लिए खतरने की घंटी दिखाई दे रही है। बता दें कि गोरखपुर की जनता जो एकतरफा वोटिंग करती आती थी योगी के लिए उसका अचानक से बदल जाना बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकती है। इतना ही नहीं, जानकारों का मानना है कि इसका असर सीधे सीधे 2019 के लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है, जोकि बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है।
बता दें कि यूपी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी काफी आगे चल रही है। इतना ही नहीं समाजवादी पार्टी दोनों ही सीटों पर कब्जा करने के कगार पर तेजी से आगे बढ़ रही है। ऐसे में यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि अखिलेश अपनी खोई हुई लोकप्रियता को फिर से बनाने में कामयाब हो रहे हैं, तो वहीं योगी जिन्हे 2024 में पीएम पद के लिए उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा था वो धीरे धीरे कमजोर होते हुए नजर आ रहे हैं।