इस मंदिर में शाम के बाद इंसान बन जाता है पत्थर.. पौराणिक मान्यता है हैरान करने वाली
भारत चमत्कार और आस्था का देश माना जाता है.. देश में कई सारे मंदिर ऐसे हैं जो अपने चमत्कारों और पौराणिक मान्यताओं के लिए जान जाते हैं .. आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में बेहद अनोखी मान्यता प्रचलित है । दरअसल हम बात कर रहे हैं राजस्थान स्थित किराडू मंदिर कि जिसे राजस्थान का खुजराहों भी कहा जाता है। राजस्थान का ये मंदिर अपने कामुक कलाकृतियों और बेहतरीन शिल्प के साथ ही एक हैरान करने वाले रहस्य के लिए भी जाना जाता है.. असल में इस मंदिर को लेकर ये पौराणिक मान्यता चली आ रही है कि अगर कोई व्यक्ति इस मंदिर में शाम के बाद यानी की दिन ढ़लने के बाद प्रवेश करता है तो वो पत्थर का बन जाता है । चलिए जानते हैं इस पौराणिक मान्यता के पीछे के रहस्य को..
राजस्थान का खुजराहों कहलाता है
वैसे आमतौर पर माना जाता है कि मध्यप्रदेश के खजुराहो जैसा दूसरा कोई मंदिर भारत में नहीं है, उसके शिल्प और मंदिर परिसर में बने कलाकृतियों को लोग अदितीय बताते हैं पर ये बात पूरी तरह सच नहीं है, क्योंकि खजुराहो की तरह ही राजस्थान में भी एक मंदिर है जो कि अपने विशिष्ठ कलाकृतियों के लिए जाना जाता है। राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित किराडू मंदिर भी देखने में खजुराहो जैसा ही है.. यही वजह है कि लोग इसे राजस्थान का खुजराहों कहते हैं।
शाम के बाद में कोई नहीं जाता इस मंदिर में
इस मंदिर के शिल्प के साथ इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता भी बेहद रोचक है .. दरअसल इस मंदिर में शाम के बाद कोई भी प्रवेश नहीं करता है क्योंकि इसके बारे में सदियों से ये मान्यता चली आ रही है कि यहां शाम के बाद अगर कोई रूकता है या प्रवेश करता है तो वो व्यक्ति पत्थर का बन जाता है या फिर उसकी मौत हो जाती है.. इसी डर के चलते शाम होते ही ये पूरा क्षेत्र विरान हो जाता है।
इसके पीछे की कहानी कुछ ऐसी है
दरअसल इस मंदिर के सुनसान रहने के पीछे एक कहानी है.. यहां के लोगों का मानना है कि सदियों पहले एक महाऋृषि अपने शिष्यों के साथ इस जगह पर आए थे और यहां विचरण के दौरान उनके सभी अनुनानियों की तबीयत खराब हो गई और उस समय इस जगह के किसी व्यक्ति ने ऋषि की सहायता नहीं कि , बस एक कुम्हारन ने ही उनकी यथाशक्ति मदद की थी। ऐसे में जब ऋृषि इस गांव से जाने लगें तो उन्होनें पूरे गांव को श्राप दिया कि जिस जगह पर इंसानियत है ही नहीं है वहां के इंसानो को पत्थर का ही बन जाना चाहिए।
श्रापित है ये मंदिर
इसके साथ ही उस ऋृषि ने पूरे गांव को श्राप दे दिया कि शाम होने तक गांव के सभी लोग पत्थर के बन जाएंगे, वहीं ऋृषि ने उस कुम्हारन को गांव से जाने के लिए कहा और साथ ही ये हिदायत भी दी कि जाते वक्त वो वापस मुड़ कर ना देखे… माना जाता है कि ऋषि के श्राप के बाद धीरे-धीरे सभी लोग पत्थर के बनते गए और जब वो कुम्हारन गांव से जा रही थी तो उसने भी पीछे मुड़कर देख लिया .. ऐसे में वो भी उसी स्थान पर पत्थर की बन गई। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी में हुआ था और उसके बाद ही मिले श्राप के कारण यहां पर वीरानियत छा गई।
वैसे इस इस कहानी में कितनी सच्चाई है ये हम तो नहीं कह सकते हैं। पर आज भी यहां के लोग इस मान्यता को मान रहे हैं। बात ये भी है कि क्या सचमुच किराडू मंदिर में शाम को रुकने पर कोई पत्थर बन सकता है ये जानने के लिए वहां जाने का जोखिम भला कौन उठाए, इसलिए पुरानी मान्यता की सच्चाई को जाने बिना ही लोग उसे मानते चले आ रहे हैं।