खूख़ार नक्सली और 130 जवानों के बीच अकेली तैनात है ये लड़की, 30 साल से बंद काम को करा रही है पूरा
रायपुर – हमारे देश में आतंकवाद के बाद नक्सलवाद सबसे बड़ी चुनौती है। नक्सलवाद भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। आपको जानकर हैरानी होगी देश के 180 जिलों यानी भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा नक्सलवादियों या माओवादियों के कब्जे में है। देश के 10 राज्य (उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश) नक्सल प्रभावित हैं। एक अनुमान के मुताबिक, कुल 30 हजार नक्सलियों के पास आधुनिक हथियार मौजूद है। आपको बात दें कि पिछले साल अप्रैल में नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा इलाके में दो बड़े हमले किए थे, जिनमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे। लेकिन, ऐसे मुश्किल हालात और खूख़ार नक्सलवादियों के बीच देश का आंतरिक सुरक्षा को मजबुती दे रही हैं 130 जवानों में अकेली तैनात महिला हैं।
क्या है रावघाट रेल प्रोजेक्ट
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ का रावघाट रेल प्रोजेक्ट से कही ज्याजा नक्सली हमलों और घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है। ये यहां मौजूद नक्सलियों का खौफ की है कि 30 साल तक इस प्रोजेक्ट पर काम भी शुरू नहीं हो सका। इस प्रोजेक्ट के पहले चरण में दल्ली राजहरा से रावघाट तक रेल लाइन बिछाना तय किया गया है। सरकार ने इसे साल 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। आपको बता दें कि दल्ली राजहरा से लेकर जगदलपुर तक पूरे ट्रैक के आसपास नक्सलियों भारी संख्या में मौजूद रहते हैं। जिससे यहां तैनात जवानों को हमेशा जान का खतरा रहता है।
रावघाट रेल प्रोजेक्ट केन्द्र सरकार के बड़े प्रोजेक्ट्स में से एक है। गौरतलब है कि इस प्रोजेक्ट पर साल वर्ष 2011 में काम शुरू हुआ उस वक्त इसके विरोध में नक्सलियों ने गुदुम और भानुप्रतापपुर के बीच ठेका एजेंसी के तीन पोकलेन जला दिए थे। इसके बाद साल 2013 में उन्होंने दो ट्रक डंपर जला दिये थे। इससे पहले कई बार नक्सली एजेंसी के स्टॉफ को वहां से भगा चुके हैं। नक्सली प्रभावित इस इलाके में काम करना जवानों और पुलिस के लिए काफी मुश्किल है। ऐसे में एक महिला इन दिनों खुब सुर्खियां बटोर रही हैं।
ये हैं 130 जवानों में अकेली तैनात महिला
130 जवानों में अकेली तैनात महिला इन दिनों सुर्खियों में हैं। इस प्रोजेक्ट को सफलता से पूरा करने के लिए एसएसबी के करीब 130 जवानों की कंपनी को असिस्टेंट कमांडेंट निहारिका सिन्हा लीड कर रही हैं। वो 130 जवानों में अकेली तैनात महिला हैं। निहारिका की कंपनी करीब हर रोज 7-8 किलोमीटर तक के इलाके में घुमती है और वहां चल रहे काम को सुरक्षा देती है। इस परियोजना को सेल के भिलाई स्टील प्लांट को चालू रखने के लिए शुरु किया गया है। यहां 791.93 मिलियन टन अयस्क होने का अनुमान लगाया गया है।
निहारिका गरियाबंद के फिंगेश्वर गांव की रहने वाली हैं। निहारिका के अलावा एसएसबी में छत्तीसगढ़ से कोई नहीं है। एसएसबी में आने से पहले निहारिका भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली में काम करती थी। निहारिका ने बताया कि एसएसबी ज्वाइन करने के बाद से वो काफी बदल गई है। जहां वो कभी छिपकली से डरा करती थी, अब हथियार, गोला-बारुद और तमाम तरह के खतरों का डट कर सामना करती हैं।