यहाँ मशीनगन लेकर होती है गौ माता की रक्षा, उनके लिए अपनी जान भी दे सकते हैं ये लोग – जानिए कौन?
नई दिल्ली – गायों को लेकर पिछले कुछ सालों से हमारे देश में खूब चर्चा होती है। बात चाहे बूचड़खानों पर रोक लगाने की हो या फिर गो-मांस की वजह से किसी को मारने पीटने की हो, कुछ सालों से बवाल बढ़ता ही रहा है। गाय को लेकर राजनीति काफी दिनों से गर्म रही है। गो मांस और गो तस्करी जैसे मुद्दों पर धार्मिक संगठनों के अलावा सरकार ने भी कई ऐसे कदम उठाये जो गो रक्षा के लिए जरुरी था। लेकिन, अगर आपको ऐसा लगता है कि सिर्फ हमारे देश में ही गाय को लेकर इतनी संवेदनशीलता दिखाई जाती है, तो आप गलत है। मुंडारी एक ऐसा समुदाय है जो अपनी जान पर खेलकर गो रक्षा करता है। मुंडारी समुदाय गौ रक्षा करता है और इसके लिए वो किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं।
दक्षिण अफ्रीकी देश सूडान
मुंडारी समुदाय गौ रक्षा करता है। एक दक्षिणी अफ्रीकी है जिसका नाम सूडान है। अफ्रीका महाद्वीप के केंद्र में स्थित यह देश हाल ही में आजाद हुआ है। इस देश को साल 2011 में आजादी मिली। सूडान के हालात बिल्कुल सिरीया जैसे ही हैं। यहां भी जातीय हिंसा में हर रोज सैकड़ों लोग मारे जाते हैं। लेकिन, कई सालों तक गृह युद्ध जैसी स्थिति में यहां के लोग गो रक्षा के लिए भारत से ज्यादा संवेदनशील है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक यहां के करीब 20 लाख लोग गृह युद्ध के कारण विस्थापित हो गए और हजारों लोगों की जान चली गई।
कौन है मुंडारी समुदाय
लेकिन, इन मुश्किल हालातों में यहां एक ‘मुंडारी’ समुदाय है जो हिंसा से दूरा रहा और अपने मवेशियों की रक्षा के लिए बंदुक तक उठा ली। मुंडारी समुदाय गौ रक्षा करता है। मुंडारी दक्षिण सूडान की राजधानी जूबा के उत्तर में नील नदी के किनारे पर बसे चरवाहों को कहा जाता है। इनकी सबसे बड़ी बात ये है कि ये गो रक्षा या अपने मवेशियों की रक्षा के लिए अपनी जान तक की परवाह नहीं करते। मुंडारियों के लिए गाय उनकी आत्मा के समान है। हालांकि, मुंडारी अपने यहां गाय को अंकोले-वातुसी कहते हैं। यहां की गाये अमूमन आठ फुट तक ऊंची होती हैं और इनकी कीमत करीब 500 डॉलर तक होती है।
कैसे मुंडारी समुदाय गौ रक्षा करता है?
आपको जानकर हैरानी होगी कि मुंडारी अपने मवेशियों के साथ ही सोते हैं। क्योंकि, अधिक कीमती होने के कारण हमेशा चोरी का खतरा रहता है इसलिए वो इनकी रक्षा के लिए बंदूक का इस्तेमाल भी करते हैं। अमूमन गृह युद्ध के बीच शांति से रहने वाले मुंडारी अपने मवेशियों की रक्षा के लिए हथियार उठाने पर मजबूर हो गए। वो अपने मवेशियों विशेषकर गायों की रक्षा अपनी जान देकर भी चुकाने को तैयार रहते हैं। आपको बता दें दक्षिण सूडान विश्व का सबसे बाद में आजाद हुआ देश है और 2011 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से बहुत बड़े पैमाने पर परिवर्तन देखा गया है। गृहयुद्ध और जनजातीय संघर्षों के चलते संयुक्त राष्ट्र कि रिपोर्ट के मुताबिक 20 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो गए। लेकिन, यहां का मुंडारी समुदाय हज़ारों विपरीत परिस्थियों के बावजूद अपने मवेशियों की रक्षा के लिए तैयार है।