महाभारत की अनसुनी घटना….क्या सच में पाण्डवों ने खाया था अपने मृत पिता के शरीर का मांस?
ऋषि वेदव्यास द्वारा रची हुई महाभारत को हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा महाकाव्य मन जाता है। महाभारत कथाओं का भण्डार है, इसमें हजारों कहानियाँ है जिनके बारे में लोग जानते भी हैं और नहीं भी। इनमे से कुछ घटानाओं को पढ़कर लोगों को विश्वास नहीं होता है लेकिन ऐसा नहीं है कि वह सच नहीं है। यह घटना भी उन्ही में से एक है जिसके बरे में कम लोग ही जानते हैं और जो जानते हैं उनको विश्वास करने में मुश्किल होती है। यह महाभारत से युद्ध के पहले की घटना है और यह अपने तरह की इकलौती घटना है जो इतिहास में दुहराई नहीं गई। (Pandav eat meat story)
प्राचीन रामायण के अनुसार:
पुरानी महाभारत में लिखी घटना महाराजा पांडू और उनकी पत्नी माद्री के लिए गंगा किनारे अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई। सोने के घड़ों से पानी लाकर उनके शरीर को पवित्र किया गया फिर चन्दन का खुसबूदार लेप लगाकर सफ़ेद चमकीले कपड़े में लपेटा गया। कपड़े में लिपटे महाराज ऐसे दिख रहे थे जैसे अभी वह जीवित हों और सो रहे हों। इसके बाद पंडित के आदेश पर चिता में आग लगाई गई, चिता को जलता देखकर अम्बालिका जोर- जोर से चिल्लाने लगीं ‘मेरे बेटे- मेरे बेटे’ और चिल्लाते हुए बेहोश होकर जमीं पर गिर गयीं। यह देखकर आस – पास के सभी लोगों ने उनकी मदद की और उन्हें उठाया। धृतराष्ट्र, विदुर, भीष्म, पांडव और कुरु की सभी महिलाएँ रो रही थी। पांडवों ने 12 दिनों तक शोक मनाया और रोते रहे।
दक्षिण भारत की दंतकथा के अनुसार(Pandav eat meat?) :
यह कहानी महाभारत के पुराने ग्रंथों में नहीं मिलेगी इसे अभी कुछ दिनों पहले ही जोड़ा गया है। इस घटना का जिक्र दक्षिण भारत की एक लोक कथा में किया गया है। कृष्ण की अमरता का राज भी इसी से सम्बंधित है। इसके अनुसार पांडवों ने अपने मृत पिता का मांस खाया था। जैसा की सभी जानते हैं राजा पांडू के पाँच पुत्र थे, युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव। युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन, कुंती के गर्भ से जन्मे थे तथा नकुल और सहदेव माद्री के गर्भ से, लेकिन इनमे से कोई भी राजा पांडू के वीर्य से नहीं जन्मा था। क्योंकि पांडू को अभिशाप मिला था कि अगर वह सम्भोग करेंगे तो वह मर जायेंगे। चूँकि पांडव उनके वीर्य से नहीं जन्मे थे इसलिए उनकी सारी खूबियाँ, अमरता, ज्ञान, कौशल, वीरता और युद्ध नीति उनके पुत्रों में नहीं आ सकी थी। इसलिए पांडू ने अपने पुत्रों को यह आदेश दिया कि मृत्यु के बाद उन्हें जलाया ना जाये बल्कि सभी पुत्र मिलकर उनका मॉस खाएं जिससे उनके अन्दर उनकी सारी खूबियाँ आ जाये और वह अमर एवं अधिक बुद्धिमानी बन सकें। उनके पुत्रों ने सोचा की क्या किया जाये, कैसे कोई अपने पिता का मांस खा सकता है। जैसे ही पांडू की मृत्यु हुई वह तुरंत कृष्ण आ गए और पांडवों को मांस खाने से रोक दिया।
कृष्ण ने उन्हें समझाया कैसे अपने पिता का मांस खा सकते हो तुम यह एक अमानवीय कृत्य है। सभी लाश के पास से हट गए, वहाँ केवल सहदेव थे। कृष्ण ने सहदेव को नहीं देखा और जैसे ही पाण्डव वहाँ से गए वे तुरंत मृत पांडू के शरीर के अन्दर घुस गए। कृष्ण अन्दर से ही उनको खाने लगे। इसी दौरान सहदेव ने लाश की छोटी उंगली खा ली, सहदेव को मालूम चल गया की कृष्ण अन्दर से खा रहे हैं। सहदेव ने कृष्ण को मन किया लेकिन कृष्ण तब तक नहीं निकले जब तक उन्होंने शरीर का हर हिस्सा ना खा लिया हो। निकलकर कृष्ण ने सहदेव को धमकाया कि आगे इस घटना का जिक्र किसी से किया तो वह उसके सर के हजार टुकड़े कर देंगे। इसी के बाद से कृष्ण अमर और सबसे ज्ञानी बन गए, उन्हें वर्तमान, भूत और भविष्य के बारे में सबी जानकारी होने लगी। सहदेव को भी भविष्य देखने की शक्ति मिल गयी थी, पांडू की अंगुली खाने के कारण।
दूसरी मान्यता (Pandav Eat meat Story):
एक अन्य मान्यता के अनुसार पांडू के शरीर को सभी भाइयों ने मिलकर खाया था लेकिन सहदेव ने सबसे ज्यादा खाया था। सहदेव ने अपने पिता की इच्छा को मानते हुए उनके मस्तिष्क के तीन हिस्से खाये थे। पहले टुकड़े को खाते ही सहदेव को भूत का ज्ञान प्राप्त हुआ, दूसरे टुकड़े को खाने के बाद वर्तमान का ज्ञान और तीसरे टुकड़े को खाते ही भविष्य का ज्ञान प्राप्त हो गया। इसी वजह से सहदेव अपने पाँचों भाइयों में सबसे ज्यादा बुद्धिमान थे। उन्हें और कृष्ण को महाभारत के युद्ध का परिणाम पहले से ही पता था।
अब सच्चाई क्या है इसके बारे में नहीं कहा जा सकता क्योंकि एक ही बात के बारे में अनेक प्रकार की मान्यताएं प्रचलित हैं तो भ्रम ज्यादा होता है।