‘सार्क’ में ‘बेइज्जत’ पाकिस्तान भारत के खिलाफ कर रहा है ये बड़ी साजिश!
दिल्लीः दुनिया में अलग-थलग करने की भारत की स्ट्रैटजी का जवाब देने के लिए पाकिस्तान नए रास्ते तलाश रहा है। उरी हमले के बाद भारत समेत 5 देशों ने इस्लामाबाद में होने वाली सार्क समिट का बायकॉट कर दिया था। इसके बाद पाकिस्तान अब भारत के दबदबे वाले 8 देशों के साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (सार्क) के मुकाबले चीन के साथ साउथ एशियन इकोनॉमिक अलायंस बनाना चाहता है। इसके लिए पाकिस्तान ने खाका बनाना शुरू कर दिया है। ‘दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन’ सार्क में भारत के प्रभाव को कम करने की अपनी मुहिम के तहत पाकिस्तान इसमें चीन सहित ईरान और आस-पास के पश्चिम एशियाई गणराज्यों को शामिल कर एक वृहद दक्षिण एशिया आर्थिक संगठन के निर्माण की संभावना तलाश रहा है। Pakistan seeks bigger saarc alliance.
चीन, ईरान को शामिल करने की कर रहा है कोशिश (Pakistan seeks bigger saarc alliance)–
पाकिस्तान के अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, साउथ एशियन रीजन में इस नए फ्रंट को खड़ा करने की तैयारियों का खुलासा न्यूयॉर्क में मौजूद पाकिस्तान के पार्लियामेंट्री डेलिगेशन ने किया है। रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान से एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने पिछले सप्ताह वाशिंगटन की अपनी पांच दिवसीय यात्रा के दौरान इस विचार को उभारा। सीनेटर मुशाहिद हुसैन सैयद की मीडिया के साथ हुई बातचीत का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया, ‘एक वृहद दक्षिण एशिया पहले ही उभर चुका है।’ उन्होंने कहा, ‘इस वृहद दक्षिण एशिया में चीन, ईरान और आस पास के पश्चिम एशियाई गणराज्य शामिल होंगे।’
आर्थिक सहयोग के बहाने कर रहा है गठजोड़ –
पाक के एक अन्य डिप्लोमैट ने बताया, ‘ये प्लानिंग पाक को दुनिया से अलग-थलग करने की भारत की स्ट्रैटजी को काउंटर करने के लिए है। इससे नवाज सरकार को काफी मदद मिलने की उम्मीद है। ‘ हुसैन ने यह भी बताया कि – “चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर साउथ एशिया को सेंट्रल एशिया के साथ जोड़ने का अहम रूट है। ग्वादर पोर्ट इसमें अहम रोल निभा सकता है। हम चाहते हैं कि भारत भी इसे ज्वाइन करे।”
सार्क सम्मेलन रद्द होने के बाद शुरु की नई कवायद –
रिपोर्ट के अनुसार, ‘भारत ने जब यह घोषणा की थी कि वह इस्लामाबाद में प्रस्तावित समूह के 19वें शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा तब उसने पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया।’ पाकिस्तान की ओर से लगातार हो रहे सीमा पार आतंकवाद का हवाला देते हुए भारत ने पिछले महीने यह घोषणा की थी कि ‘मौजूदा परिस्थितियों में भारत सरकार इस्लामाबाद में प्रस्तावित शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने में अक्षम है।’ भारत के अलावा दक्षेस के चार अन्य सदस्यों – बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और अफगानिस्तान ने भी शिखर सम्मेलन से खुद को अलग कर लिया था।
सार्क में भारत के प्रभाव से पाक चिंतित –
रिपोर्ट के अनुसार, ‘दक्षेस के आठ सदस्य देशों में अफगानिस्तान और बांग्लादेश भारत के सबसे मजबूत सहयोगी हैं जबकि भूटान भारत से चारों ओर से घिरा है और वह भारत के किसी कदम का विरोध जताने में सक्षम नहीं है। मालदीव, नेपाल और श्रीलंका के पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध हैं, लेकिन भारत का मुकाबला करने के लिए वे काफी नहीं हैं।’ रिपोर्ट में एक वरिष्ठ राजनयिक का हवाला देते हुए इस बात की पुष्टि की गई है कि पाकिस्तान बहुत सक्रियता से एक नई क्षेत्रीय व्यवस्था की मांग कर रहा है।
भारत के असर को कम करने की कोशिश –
एक अन्य राजनयिक ने कहा, ‘पाकिस्तान को उम्मीद है कि जब भारत अपने फैसले उन पर थोपने की कोशिश करेगा तो इस नई व्यवस्था से उसे कुशलता से इससे निपटने के लिए अधिक मौका मिलेगा।’ रिपोर्ट में वाशिंगटन में मौजूद राजनयिकों का हवाला देते हुए कहा गया है कि प्रस्तावित व्यवस्था से चीन भी सहमत है क्योंकि चीन भी क्षेत्र में भारत के बढ़ते प्रभुत्व से चिंतित है।
अफगानिस्तान को लेकर चिंता –
इसमें यह भी कहा गया है कि दक्षिण एवं पश्चिम एशियाई क्षेत्रों को जोड़ने वाला कोई भी कारोबारी लिंक अफगानिस्तान के लिए फायदेमंद है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘अफगानिस्तान ने 2006 में दक्षेस की सदस्यता के लिए आवेदन दिया था और एक साल बाद वह दक्षेस का सदस्य बना था जिससे दक्षिण एशिया की परिभाषा पर एक रोचक बहस छिड़ गई थी क्योंकि अफगानिस्तान पश्चिम एशियाई देश है।’ राजनयिक ने इस बात का हवाला देते हुए कहा, ‘पश्चिम एशिया के कई ऐसे देश हैं जिनके भारत और ईरान के साथ मजबूत संबंध हैं, लेकिन पाकिस्तान के साथ रिश्ते अच्छे नहीं हैं।’