आज भी बॉर्डर पर शहीद जवान की आत्मा देती है पहरा, सैलरी और प्रमोशन मरने के बाद भी मिलता है!
भारतीय सेना में जवानों की कोई कमी नहीं है, सब एक से बढ़कर एक जवान हैं। हर किसी की अपनी ख़ासियत है।ऐसा ही एक जवान भारतीय सेना में था जिसकी आत्मा आज भी भारतीय सीमाओं की रक्षा करती है एक ऐसा जवान जिसकी आत्मा भी करती है। इतना ही नहीं उस जवान (Baba Harbhajan Singh) को सैलरी और प्रमोशन भी दिया जाता है। हैं ना आश्चर्य वाली बात लेकिन यह बिलकुल ही सही है।
उस जवान का सिक्किम के गंगटोक के पास मंदिर भी बनाया गया है। उस वीर जवान का नाम हरभजन सिंह था, जिसकी आत्मा आज शरहद की रक्षा करती है। उस जवान की अब पूजा भी की जाती है एवं उन्हें बाबा हरभजन के नाम से जाना जाता है। हरभजन के बंकर जिसे मंदिर कहा जाता है उस में भारी संख्या में सेना के अलावा सैलानी और श्रद्धालु पहुँचते हैं और बाबा हरभजन (Baba Harbhajan SIngh) से अपनी सलामती के लिए पूजा करते हैं। आइये हम आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं….
हरभजन सिंह (Baba Harbhajan Singh) 1968 तक 24 पंजाब रेजीमेंट में जवान थे :
हरभजन सिंह 1968 तक 24 पंजाब रेजीमेंट में जवान थे, अपनी ड्यूटी करते हुए वह एक हादसे में वो शहीद हो गए। हादसा हो जाने के बाद कई दिनों तक उनका पार्थिव शरीर सेना को नहीं मिला। लोगों का कहना है कि एक दिन हरभजन सिंह एक सिपाही के सपने में आये और उसे अपने पार्थिव शरीर का ठिकाना बताया। उस सिपानी ने यह बात अपने सीनियर को बताई और अगले दिन खोज अभियान हुआ। खोज के दौरान जहाँ सपने में जहग बताई गयी थी शहीद हरभजन सिंह (Baba Harbhajan Singh) का पार्थिव शरीर वहीँ पर मिला। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया और जहाँ से हरभजन का पार्थिव शरीर मिला था वहाँ पर एक बंकर बना दिया। बंकर बनने के बाद वहाँ पर पूजा की जाने लगी।
वहाँ के सैनिक यह मानते हैं कि बाबा हरभजन की आत्मा यहाँ के सैनिकों की और यहाँ के शरहद की रक्षा करती है। यह भी पता चला कि अगर चीन कोई चालबाजी करता है तो उसकी खबर बाबा हरभजन तुरंत सैनिकों तक पहुँचा देते हैं। सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि भारतीय सेना हरभजन को आज भी सैलरी और प्रमोशन देती है। भारतीय सेना का यह मानना है कि आज भी हरभजन सिंह अपनी ड्यूटी पर तैनात हैं और सीमा की रक्षा करते हैं।