1998 विश्वकप में भारत की जीत का ये हीरो आज भैंस चराने को है मजबूर, इतनी बुरी हो गई है हालत
भारत में मैच के करोड़ों दीवाने हैं. भारत में करोड़ों की संख्या में लोग मैच का लुत्फ़ उठाते हैं. हर बार क्रिकेट मैच में कोई न कोई नया चेहरा देखने को मिल ही जाता है. इन नए चेहरों ने कभी अपनी बैटिंग तो कभी अपनी बॉलिंग से लोगों को इम्प्रेस करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. क्रिकेट एक ऐसा प्लेटफार्म भी है जहां नए-नए खिलाड़ियों को अपना हुनर दिखाने का मौका मिलता है. लेकिन अगर लोगों से पूछा जाए कि क्रिकेट की दुनिया में वह किसे अपना भगवान मानते हैं तो सबकी जुबान पर एक ही नाम आएगा और वह है सचिन तेंदुलकर का नाम. सचिन के अलावा ऐसे कई खिलाड़ी हैं जिन्हें दर्शक बहुत पसंद करते हैं. विरेंद्र सहवाग, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली ऐसे कुछ खिलाड़ी हैं जिन्हें आज भी दर्शक देखना पसंद करते हैं.
लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हैं जो अच्छा परफॉर्म करने के बावजूद आज एक गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं. आज हम एक ऐसे ही खिलाड़ी की बात करने जा रहे हैं. 1998 के वर्ल्ड कप में भालाजी डामोर नाम का एक स्टार खिलाड़ी उभरकर सामने आया था.
1998 विश्वकप के हीरो थे भालाजी डामोर
भालाजी डामोर 1998 में खेले गए दृष्टिबाधित (ब्लाइंड) विश्व कप में भारतीय टीम के हीरो थे. लेकिन अभी वह ऐसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं जिसके बारे में जानकर आपको यकीन नहीं होगा. आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि वर्तमान में भालाजी पशु चराने को मजबूर हैं. आज वह अपना गुजर बसर करने के लिए भैंस चराते हैं. भालाजी एक ऑलराउंडर खिलाड़ी थे और साल 1998 में अपने बेहतरीन परफॉरमेंस के चलते भारतीय टीम को सेमी फाइनल तक पहुंचाने में सफल हुए थे.
गाय-भैंस चराने को हैं मजबूर
भालाजी एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं और विश्वकप में अपने अच्छे प्रदर्शन के बाद उन्हें उम्मीद थी कि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इस विश्व कप को बीते 19 साल बीत गए हैं और 19 साल के बाद आज भी भालाजी की स्थति वैसी की वैसी बनी हुई है. वह आज भी आर्थिक तंगी के साथ जीने को मजबूर हैं. इतने शानदार प्रदर्शन के बाद भी उन्हें सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली. भालाजी आज भी भैंस चराने व खेती से जुड़े छोटे-मोटे काम करने को मजबूर हैं.
सर्वाधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड है दर्ज
बता दें भालाजी गुजरात के ऑलराउंडर खिलाड़ी हैं और उनके नाम भारत की ओर से सर्वाधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड भी दर्ज है. बात दें कि भालाजी अब तक अपने 125 मैचों में 3125 रन बना चुके हैं और 150 विकेट भी चटका चुके हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि भालाजी पूरी तरह से दृष्टिबाधित हैं और भारत की तरफ से कुल 8 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं. अपने अच्छे प्रदर्शन के बाद उन्हें उम्मीद थी कि सरकार उनकी मदद करेगी और उन्हें नौकरी मिल जाएगी जिससे वह अपने परिवार का गुजारा कर सकेंगे. लेकिन इतने साल बाद भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली. आज भी स्थिति वैसी ही है जैसे पहले थी. उनका स्पोर्ट कोटा और विकलांग कोटा भी उनके कुछ काम नहीं आ सका.
हमें तो लगता है कि भारत सरकार और बीसीसीआई को ऐसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के भविष्य के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए और आर्थिक मदद देना चाहिए. आपकी क्या राय है कमेंट द्वारा हमें जरूर बताएं.