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जानें! शास्त्रों में क्यों वर्जित है इन लोगों के घर का भेजन ग्रहण करना?

भारतीय परम्परा में प्राचीन काल से ही अपने घर लोगों को खाने पर बुलाते रहे हैं। भारत के हर घर में बने भोजन का अपना एक अलग ही महत्वा होता है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि कोई पर्व- त्यौहार पड़ने पर लोग अपने पड़ोसियों को या अपने रिश्तेदारों को खाने पर बुलाते हैं। शादी जैसे शुभ बेला पर भी लोगों को खाने पर बुलाया जाता है। अभी कुछ सालों में यह भी देखने को मिला है कि बच्चों के जन्मदिन के उपलक्ष्य में भी लोग दावत देने लगे हैं और लोगों को खाने पर बुलाते हैं। बुजुर्गों ने एक कहावत कही है कि “जैसा होए अन्न वैसे बने मन” (Scriptures forbidden)और जिस घर का जैसा खान पान होता है लोगों का व्यवहार भी वैसा ही होता है। मतलब साग- सब्जी खाने वाले लोग मांस खाने वालों की अपेक्षा कम हिंसक होते हैं।

हिन्दूओं के प्राचीन ग्रन्थ गरुण पुराण में भी यह वर्णित है कि किस स्थान पर भोजन करना चाहिए और कहाँ का भोजन नहीं करना चाहिए। आज के आधुनिक दौर में भले ही लोग ओस बात को ना मानें लेकिन गरुण पुराण में यह स्पष्ट किया गया है कि भोजन सही जगह और सही हाथ से बना हुआ ही करना चाहिए नहीं तो व्यक्ति का मन- मस्तिष्क दूषित हो जाता है और संक्रमण की ओर बढ़ने लगता है। आइये जानते हैं शास्त्रों के अनुसार कहाँ- कहाँ और किसके हाथ का भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए।

1- गरुण पुराण के अनुसार व्यक्ति को किसी भी चरित्रहीन स्त्री (ऐसी स्त्री जो अपनी इच्छानुसार अनैतिक कार्यों में लिप्त हो) के हाथ का भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो उस स्त्री द्वारा किये गए सभी पाप व्यक्ति के ऊपर आ जाते हैं।

scriptures forbidden people receiving eat home

Scriptures forbidden – 2

2- आज गरीब आदमी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ब्याज पर पैसे लेता है और उसका ऊँचा ब्याज चुकता है। जो महाजन उनको पैसा देता है, उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर उनका खून चूसता है और वह पाप का भागी होता है। गरुण पुराण के अनुसार ब्याज पर पैसे देने वाले व्यक्ति के यहाँ कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से उसके किये हुए पाप आपके ऊपर आ जाते हैं।

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3- रोगी व्यक्ति के हाथ से बना हुआ खाना या उसके घर में खाना नहीं खाना चाहिए, खासतौर पर उस रोगी के घर जो असाध्य बीमारी से पीड़ित हो। ऐसे व्यक्ति के घर खाना खाने से उसकी बीमारी आपको लग जाती है।

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4- कहा गया है कि क्रोध इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। क्रोध में व्यक्ति अपने साथ- साथ दूसरों का भी नुकसान करता है। गरुण पुराण के अनुसार ऐसे किसी भी व्यक्ति के घर भोजन नहीं करना चाहिए जो बहुत ज्यादा क्रोध करता हो, ऐसा करने से उसके अन्दर का क्रोध भोजन करने वाले व्यक्ति में आ जाता है। वह भी अच्छे- बुरे में फर्क करना भूल जाता है।

Scriptures forbidden – 3

5- किन्नरों को दान देना बहुत ही शुभ मन जाता है, यह भी कहा जाता है कि किन्नरों की बद्दुआ बहुत ही बुरी होती है। इसलिए इन्हें सभी लोग बिना सवाल किये दान दे देते हैं, दान देने वालों में कुछ अच्छे भी होते हैं और कुछ बुरे भी होते हैं। तो यह पता नहीं लग पता है कि भोजन किसके दान से बना हुआ है। इसलिए किन्नरों के घर भोजन ग्रहण करने से मन किया गया है।

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6- ऐसे व्यक्ति के घर में भी नहीं जाना चाहिए जिसके मन में किसी के लिए प्रेम और दया ना हो, जिसको दूसरों को दुःख देने में मजा आता हो। शास्त्रों में ऐसे व्यक्ति के घर का भोजन भूलकर भी ग्रहण करने की इजाजत नहीं है। अन्यथा उसके किये गए पापों का दंड भोजन करने व्वाले व्यक्ति को भुगतना पड़ता है।

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7- प्रजा पर जुल्म करने वाले शासक के यहाँ भी कभी भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह अपना धन प्रजा को दुःख देकर और उसपर जुल्म करके इकठ्ठा करता है। इसतरह से इकठ्ठा किया गया धन दूषित होता है और उससे बनने वाला भोजन भी दूषित होता है।

8- जो लोग दूसरों की चुगली करते हैं और अपना काम निकालने के लिए किसी का इस्तेमाल करके सारा दोष उसी पे लगा देते हैं, वह किसी पापी से कम नहीं होते हैं। ऐसे लोगों के यहाँ भी भोजन करके उनके पापों का भागी नहीं बनना चाहिए।

9- नशे का व्यापार करने वाला व्यक्ति भी बहुत बड़ा पापी होता है, उसके ऊपर हजारों घरों को बर्बाद करने का पाप होता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसे लोगों के घर भी भोजन नहीं करना चाहिए।

दूषित अन्न वह नहीं होता है जो बासी हो चुका होता है या जो ख़राब हो चुका होता है, शास्त्रों के अनुसार दूषित अन्न वह होता है जो गलत तरीके से कमाए हुए धन से बनता है। इस प्रकार के किसी भी अन्न को ग्रहण करने से इंसान का दिमाग और मन भी दूषित हो जाता है और इंसान अपना विवेक खो देता है। इसलिए शास्त्रों में ऐसे अन्न को ग्रहण ना करने की सलाह दी गयी है।

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