श्रीकृष्ण के हैं भक्त तो पूजा में अवश्य चढ़ाएं ये 3 चीजें, वर्ना बेकार जाती है पूजा
राधा की बात हो और कृष्ण का ज़िक्र न हो, भला ये कैसे संभव है! दोनों को एक दूसरे के बिना अधूरा माना जाता है, तभी तो सभी भक्त कृष्ण को राधा-कृष्ण के नाम से पुकारते हैं. ये दोनों नाम एक दूसरे के लिए ही बने हैं और इन्हें अलग नहीं किया जा सकता. इस नाम के जपने से जीवन-रुपी नैया पार लग जाती है. किसी भी मंदिर में चले जाइए भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधा जी की मूर्ती अवश्य होती है. दोनों की प्रेमलीला पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. जीवन में सुख और दुख दोनों ही आते-जाते रहते हैं. दुख के बाद सुख आता है और सुख के बाद दुख. इस प्रकार सुख और दुख एक दूसरे से जुड़े रहते हैं.
इस संसार में न तो कोई पूर्ण रूप से सुखी है और न ही कोई पूर्ण रूप से दुखी. लेकिन गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से अपनी 3 प्रिय वस्तुओं के बारे में जिक्र किया है जिसे चढ़ाने से वह जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. वैसे तो हर व्यक्ति अपने-अपने हिसाब से पूजा करता है. लेकिन कई बार अनजाने में वह कुछ ऐसी गलतियां कर देता है जिससे भगवान नाराज हो जाते हैं. इसलिए यदि आप भी श्री कृष्ण के भक्त हैं और उनकी डेली पूजा अर्चना करते हैं तो आज हम आपको 3 ऐसी वस्तुओं के बारे में बताएंगे जिसे आस्था के साथ भगवान को अर्पण करने पर इसका फल अवश्य मिलता है. जो व्यक्ति ऐसा करता है भगवान उस पर जल्दी प्रसन्न होते हैं. कौन सी हैं वो 3 चीजें? आईये जानते हैं.
श्लोक-
पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो में भक्या प्रयच्छति I
तदहं भक्त्युप्वहतमश्रामि प्रयतात्मन: II
पहली वस्तु- फूल
भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करने वाले लोगों को भक्तिभाव से ताजे और सुगंधित फूल चढ़ाने चाहिए. जो व्यक्ति ऐसा करता है उससे भगवान श्री कृष्ण बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और उसे बहुत जल्दी फल देते हैं. इसलिए भगवान की पूजा में सुगंधित व ताजे फूलों का इस्तेमाल करें.
दूसरी वस्तु- फल
वैसे तो फल और फूल किसी भी पूजा में भगवान को चढ़ाया जाता है. लेकिन आमतौर पर जब हम घर पर पूजा करते हैं तब इनका इस्तेमाल नहीं करते. इसलिए भगवान श्री कृष्ण को आप जब भी भोग लगाएं ताजे फलों का भोग लगाएं. श्रद्धापूर्वक चढ़ाये गए फल भगवान तुरंत ही ग्रहण कर लेते हैं.
तीसरी वस्तु- जल
इन सारी वस्तु के साथ जल को भी किसी पात्र में भरकर भगवान श्री कृष्ण को अर्पित करना चाहिए. यह आपको भगवान की विशेष कृपा प्रदान करता है.
आगे भगवान ने कहा है कि पूजा की सामग्री से हर व्यक्ति को कुछ न कुछ गुण सीखना चाहिए.
फूलों से सीखें
फूलों की तरह हमें खुद खिले रहते हुए हमेशा दूसरों को सुंगंध (खुशियां) प्रदान करते रहने का गुण सीखना चाहिए.
जल से सीखें
जल से हमें शीतलता यानी शांति और निर्मलता यानी छल-कपट रहित रहने का गुण सीखना चाहिए.
भोग से सीखें
मीठे प्रसाद की तरह हमें दूसरों के मन में मिठास घोलने का गुण सीखना चाहिए.
अक्षत से सीखें
अक्षत से प्रिय लोगों के प्रति अटूट निष्ठा का गुण सीखना चाहिए.
दीपक से सीखें
दीपक से हमें खुद को जलाकर यानी परेशानी में रहकर दूसरों को प्रसन्न करने का गुण सीखना चाहिए.