जानिए क्यों फरवरी में होते हैं सिर्फ 28 दिन और क्या है इसकी खास वजह?
क्यों होते हैं फरवरी महीने में 28 दिन : फरवरी का महीना चल रहा है और ये जानकारी आपके लिए जाननी जरुरी हो सकती है कि फरवरी महीने में 28 दिन ही क्यों होते हैं। जबकि बाकी के महिनों में 30 या 31 दिन होते हैं। इसलिए आज हम आपको ये बताएंगे कि फरवरी में 28 दिन ही क्यों होते हैं। इसका एक इतिहास रहा है और इसकी खास वजह भी है। आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि क्यों कैंलेडर में केवल फरवरी महीने को ही 28 दिनों का रखा गया है। हो सकता है कि आपके मन में भी कभी न कभी ये सवाल आया होगा कि फरवरी महीने में 28 दिन ही क्यों होते हैं। तो आईये हम आपको बताते है की फरवरी में 28 या 29 दिन रखने की वजह क्या है?
सितंबर, अप्रैल, जून और नवंबर में 30 दिन,
सभी महिनों में 31दिन,
फरवरी महीने में 28 दिन या 29 दिन।
क्यों होते हैं फरवरी महीने में 28 दिन?
इससे पहले की हम आपको बताये कि फरवरी महीने में 28 दिन ही क्यों होते हैं। आपको बता देते हैं कि फरवरी में हर चौथे साल 29 दिन होने का कारण क्या है। इसकी वजह ये है कि पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा पूरा करने में 365 दिन और 6 घंटे का समय लगता है। जिसकी वजह से हर साल अतिरिक्त 6 घंटे बच जाते हैं। इन बाकी 6 घंटों को हर तीन सालों के बाद अगले साल में जोड दिए जाते है, जिससे फरवरी में एक दिन बढ़ाकर साल का कैंलेडर बनाया जाता है। अब बात करते हैं कि फरवरी 28 दिन ही क्यों होते हैं?
इसकी वजह ये है कि हम अभी जिस कैंलेडर का इस्तेमाल करते हैं वह रोमन नागरिकों द्वारा बनाये गए पुराने कैंलेडर पर आधारित है। इतिहास से इस बात के तथ्य मिले हैं कि रोम के पहले शासक रोमुलुस के समय मार्च से शुरू होकर दिसंबर पर खत्म होने वाले कैलेंडर का इस्तेमाल होता था। बाकी दिसंबर की समाप्ति और मार्च के पहले के समय को इस कैंलेडर में नहीं दिया था। इसकी वजह ये थी कि सर्दी के मौसम में कृषि नहीं होती थी। इसलिए इस समय को रोमन लोग अधिक महत्व नहीं देते थे।
ऐसे हुआ कैंलेडर में सुधार
रोम के पहले शासक रोमुलुस के शासन काल में इस्तेमाल होने वाले कैंलेडर को रोम के दूसरे शासक नुमा पोम्पिलियुस ने सुधारा और इसे चांद के हिसाब से एक वर्ष का पूरा कैंलेडर बनाया। उस वक्त चंद्र वर्ष 354 दिन लंबा होता था। नुमा ने अपने शासन काल में कैलेंडर में दिसंबर के बाद जनवरी और फरवरी के महीने जोड़े। नुमा ने जनवरी और फरवरी को 28 दिनों का बनाया। क्योंकि चंद्र वर्ष में 56 दिन अतिरिक्त बचे थे। क्योंकि, रोम में 28 नंबर को अशुभ माना था इसलिए जनवरी में एक दिन जोड़ा गया। जिसके बाद जनवरी 29 दिन की हो गई और वर्ष 355 दिनों का हो गया।
हालांकि, बाद में नुमा द्वारा चंद्रमा के हिसाब से बनाये गये कैंलेडर में बदलाव कि जरुरत पड़ी क्योंकि मौसम में बदलाव पृथ्वी द्वारा सुर्य परिक्रमा से होता है। इसके बाद, जुलियस सीजर ने 45 BC में कैंलेडर में बदलाव किया और वर्ष में 10 दिन और जोड़ दिए गए और वर्ष 365 दिन और 6 घंटे का हो गये। 6 हर साल अतिरिक्त 6 घंटे बच जाते हैं। इन बाकी 6 घंटों को हर तीन सालों के बाद अगले साल में जोड़ दिए जाते है, जिससे फरवरी में एक दिन बढ़ाकर साल का कैंलेडर बनाया जाता है। और बाकी के 3 साल फरवरी के 28 दिन के रखे गए।