होलिका में जला दें ये चीज, उसके साथ ही भस्म हो जाएंगी आपकी सारी परेशानियां
होली के टोटके एवं उपाय : होली हिंदु धर्म का सबसे मुख्य त्योंहार माना जाता है जिसका शास्त्रों और ज्योतिष में भी विशेष महत्व बताया गया है। ज्योतिष की दृष्टि से होलिका दहन विशेष सिद्धीदायी मानी जाती है .. मान्यता है कि होलिका दहन की रात्रि में किए गए सभी धार्मिक अनुष्ठान सिद्ध होते हैं और इनका उचित फल मिलता है। साथ ही ये भी मान्यता है कि होली की पवित्र अग्नि में सभी तरह के परेशानी, व्याधि और रोग-भय आदी को नाश करने की क्षमता होती है। ऐसे में आज हम आपको होलिका दहन के किए जाने वाले एक ऐसे ही विशेष उपाय के बारे में बता रहे हैं जिसके जरिए आप जीवन की सारी परेशानियों और चिंताओं से मुक्ति पा सकते हैं।
इस उपाय के लिए आपको गोपनीयता का विशेष ध्यान रखना होगा.. यानि कि आपको ये उपाय बिना किसी को बताए करना है .. तभी जाकर आपको इसका उचित परिणाम मिलेगा।
ऐसे करें उपाय : होली के टोटके
इसके लिए सबसे पहले होलिका दहन के पूर्व स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और फिर एक बेल को लेकर उसे अपने और परिवार के सदस्यों के सिर के ऊपर से 7 बार घड़ी की सुई की दिशा में न्योछावर कर दें। अगर आपके घर में किसी सदस्य को कुछ खास दिक्कत हो तो फिर उसके लिए अलग से एक बेल उतारें। इसके बाद अपने अभीष्ट देवता का ध्यान करें और उन्हें अपनी समस्या बताकर उस बेल को चुपचाप होलिका अग्नि में डाल दें और फिर होलिका की सात बार परिक्रमा करते हुए प्रार्थना करें । इन सबके बाद घर आकर सबसे पहले अपने ईष्टदेव को प्रणाम करें और फिर घर में मौजूद सभी बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें। आखिर में भगवान को किसी मीठे फल या मिष्ठान्न का भोग लगाकर ग्रहण करें।
उपाय करते समय बरते ये सावधानियां : होली के टोटके
इस उपाय को करते समय ये ध्यान रखना है कि उस दिन आपको मांसाहार नहीं करना है साथ ही नशे का सेवन करने से भी बचें .. जबकि अक्सर लोग होली का जश्न मनाने के लिए नशा आदी का सेवन कर ही लेते हैं लेकिन अगर आप ये उपाय कर रहे हैं तो आपको विशेषकर इन सारी चीजों से बचना होगा।
उपाय का प्रभाव : होली के टोटके
ज्योतिष के अनुसार जो कोई भी इस उपाय को पुरे श्रद्धा भाव से करता है उसके जीवन की सारी समस्याएं होली की अग्नि में स्वाहा हो जाती हैं और बाकि जीवन जीवन सरल, सुगम और समृद्धिशाली हो जाता है।
दरअसल पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होलिका के दिन प्रजवल्लित अग्नि में ईश्वरीय शक्ति पाई जाती है जिसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है.. जिसके अनुसार प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा घोर ईश्वर-विरोधी था लेकिन उसके पुत्र प्रहलाद पिता के मना करने के बावजूद ईश्वर में असीम आस्था रखते थें । ऐसे में राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी आज्ञा की अवहेलना करने के लिए पुत्र प्रहलाद को मृत्युदण्ड दे दिया और अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को गोद में रखकर जलती लकड़ियों में बैठ जाने का आदेश दिया ।
दरअसल होलिका को देवताओं से ये वरदान मिला था कि वह अग्नि से नहीं जल सकती, लेकिन जब होलिका प्रहलाद को मारने के उद्देश्य से अग्नि में बैठी तो होलिका खुद ही उस अग्नि में जल गई और भगवान की कृपा से भक्त प्रहलाद की सुरक्षित बच गए । ऐसे में तब से प्रतिवर्ष होलिका दहन के माध्यम से बुराई और असत्य का नाश किया जाता है और इसके साथ ही एक-दूसरे को रंग लगाकर अच्छाई की जीत की प्रसन्नता व्यक्त की जाती है।