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इस तरह से बुधवार के दिन करें भगवान गणेश की पूजा, बनी रहेगी घर में सुख-शांति और बरकत

हिन्दू धर्म में प्राचीनकाल से ही कुछ परम्पराओं का पालन किया जाता रहा है। किसी भी धर्म में पूजा-पाठ का अपना ही महत्व होता है। ठीक वैसे ही हिन्दू धर्म में भी पूजा पाठ का अपना महत्व है। वैसे तो हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं को माना जाता है। लेकिन इनमें से कुछ देवी-देवताओं की पूजा सभी लोग करते हैं। इन्ही में से एक हैं भगवान गणेश। गणेश जी को देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय बताया गया है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत बिना भगवान गणेश की पूजा के सफल ही नहीं होता है।

भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा करें सिंदूर से:

पूजा के दौरान कई चीजें चढ़ाई जाती हैं, इन्ही में से सबसे महत्वपूर्ण है सिंदूर। सिंदूर को बहुत ही शुभ माना जाता है। भगवान शिव के सभी अवतारों और उनके परिवार में से किसी की भी पूजा के लिए सिंदूर का इस्तेमाल जरुर करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि सिंदूर भगवान शिव के तेज से निकले पारे से बना होता है। यह भी कहा जाता है कि भगवान गणेश को सिंदूर चढाने या सिंदूर से चोला चढाने पर व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। नित्यकर्म पूजा प्रकाश पुस्तक के अनुसार सप्ताह के प्रत्येक बुधवार को इस मन्त्र के साथ गणेश जी को सिंदूर चढ़ाया जा सकता है।

भगवान गणेश की पूजा मंत्र:

सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्।।

यह भी कहा जाता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से घर-परिवार के साथ ही जीवन की सभी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं। गणेश जी की पूजा शमी के पत्ते से भी की जाती है। दूर्वा की तरह ही शमी का पत्ता भी गणेश जी को बहुत प्रिय है। यही वजह है कि गणेश जी की पूजा में शमी के पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है। बुधवार के दिन गणेश जी को शमी का पत्ता चढाने से बुद्धि तेज हो जाती है। इसके साथ ही सभी तरह के क्लेशों से मुक्ति मिलती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है। बुधवार को भगवान गणेश की पूजा को चावल,फूल सिंदूर के साथ ही इस मंत्र के साथ शमी का पत्ता भी अर्पित करें।

भगवान गणेश की पूजा मंत्र:

त्वत्प्रियाणि सुपुष्पाणि कोमलानि शुभानि वै।
शमी दलानि हेरम्ब गृहाण गणनायक।।

इसके अलावा बुधवार के दिन सुबह जागकर स्नान आदि करके घर के मंदिर में गणेश जी के समक्ष एक पान के पत्ते पर सिंदूर में घी या कुमकुम में घी मिलकर स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं। इसके ऊपर लाल धागे में लिपटी हुई सुपारी रखें। इसके बाद भगवान गणेश की मूर्ति को चावल, पुष्प, वस्त्र, रोली के साथ ही इस मंत्र का जाप करते हुए दूर्वा अर्पित करें।

मंत्र:

दूर्वा करान्सह रितान मृतन्मंगल प्रदान।
आनी तांस्तव पूजार्थ गृहाण परमेश्वर।।

अगर आपको इन मन्त्रों का जाप करने में परेशानी हो रही है तो आप ‘ॐ गं गणपतये नमः’ या ‘श्री गणेशाय नमः’ के साथ भी गणेश जी की पूजा कर सकते हैं। इसके बाद आप गणेश जी के प्रिय मोदक से भोग लगाएं। अंत में घी का दीपक जलाकर भगवान श्री गणेश की आरती करें। ऐसा कहा गया है कि दूर्वा मंत्र से गणेश जी की पूजा करने पर व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियाँ और संकट हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं।

आपको बता दें ये सभी बातें पुस्तक के आधार पर लिखी गयी हैं। अगर आपको इन उपायों को करने में किसी प्रकार की कोई शंका हो रही हो तो आप किसी पंडित से इस बात की पुष्टि करवा सकते हैं।

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