नरेंद्र मोदी के इस कदम से टूटा पाकिस्तानी सेना, सरकार और आतंकियों का गठबंधन
नई दिल्लीः भारतीय सेना के एक सर्जिकल स्ट्राइक ने ही पाकिस्तान के भीतर सेना (Pakistani Army), सरकार और आतंकवादियों के दशकों से चले आ रहे रिश्तों को तहस-नहस कर दिया है। हालात यह है कि भारत के खिलाफ इस युद्ध में एक-दूसरे की सहयोगी भूमिका निभाने वाली सरकार, सेना और आतंकियों के बीच आपस में ही ठन गई है और मौजूदा हालात के लिए तीनों एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
सेना(Pakistani army) को नवाज शरीफ सरकार ने दिया अल्टीमेटम –
अंतरराष्ट्रीय दबाव में नवाज शरीफ सरकार को सेना को अल्टीमेटम देना पड़ा कि अलग-थलग होने से बचने के लिए आतंकी संगठनों पर कार्रवाई जरूरी है। पिछले दिनों एक बैठक में इस मुद्दे पर पाकिस्तान के पंजाब सूबे के मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ और आईएसआई के महानिदेशक जनरल रिजवान अख्तर के बीच तीखी नोकझोंक तक हो गई।
नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल (एन) के सांसद राणा मुहम्मद अफजल ने यहां तक सवाल उठा दिया कि आखिरकार हाफिज सईद जैसा आतंकी सरगना हमारे लिए कौन से अंडे दे रहा है, जिसके कारण हम उसे पाले हुए हैं। नवाज शरीफ सरकार को डर है कि दो साल बाद होने वाले चुनाव में उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
कूटनीतिक विफलता का आरोप –
पिछले सात दशक से पाकिस्तान के नीति निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाली और जनता द्वारा चुनी हुई सरकारों को अपनी बात मानने के लिए मजबूर करने वाली पाक सेना आसानी से इसे मानने को तैयार नहीं है। सेना मौजूदा हालात को नवाज सरकार की कूटनीतिक नाकामी से जोड़ रही है।
पाक सेना का कहना है कि नवाज सरकार पाकिस्तान का पक्ष दुनिया के सामने ठीक ढंग उठाने में नाकाम रही है। इसी का नतीजा है कि दुनिया का कोई भी देश कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ नहीं है। सेना को डर है कि कहीं आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई आगे जाकर सेना के अधिकार को सीमित करने तक न पहुंच जाए।
उठा आतंकियों का भरोसा –
सर्जिकल स्ट्राइक का सबसे बड़ा डर आतंकियों में देखने को मिल रहा है। आतंकी संगठनों की हवा खराब है। पिछले तीन दशक में भारत के खिलाफ बड़े-से-बड़े आतंकी हमले के बाद भी जिस पाकिस्तान में वे सुरक्षित महसूस करते थे, वह उनके लिए अब महफूज नहीं रहा।
आतंकियों को डर है कि आगे किसी भी हमले के बाद भारत बदले की कार्रवाई जरूर करेगा और पाकिस्तान सेना तथा सरकार उसे रोकने में नाकाम रहेगी। पाक सेना से उनकी नाराजगी सर्जिकल स्ट्राइक में मारे गए आतंकियों के शवों को दफनाने के तरीके को लेकर भी है।
बताया जाता है कि सेना ने अपने जवानों के शव दिन में उठाए और पूरे सम्मान के साथ उन्हें दफनाया भी। आतंकियों को केवल रात में ही अपने साथियों के शव उठाने की अनुमति दी गई और बाद में उन्हें चुपके से दफना दिया गया। इससे आतंकियों का मनोबल काफी टूट गया है।
आतंकियों को यह भी डर है कि पाकिस्तान सरकार और आम जनता की ओर से बढ़ रहे दबाव के आगे कहीं पाक सेना उनके खिलाफ कार्रवाई करने को मजबूर न हो जाए।