6000 करोड़ का मालिक था बाप, लेकिन 500 रुपए लेकर घर से निकला बेटा और फिर किया कुछ ऐसा..
नई दिल्ली – अक्सर हम सुनते हैं कि कुछ बच्चे दुनिया के सामने अपने बाप की अमीरी और पद की धौंस देते रहते हैं। अमूमन देखा जाता है कि कुछ लोग ये डॉयलाग मारते हैं “तू जनता है मेरा बाप कौन है।” इससे पता चलता है कि उनकी जो पहचान और रुतबा है वो उनका नहीं बल्कि उनके बाप का है। लोग अपने बाप की हैसियत बताकर लोगों को धमकी देते हैं। यह अमूमन इसलिए कहा जाता है कि सामने वाला उसके बारे में जान सके और इसकी बात मान ले।
लेकिन, क्या हो अगर कोई अमिर शख्स अपनी पहचान या रुतबे का इस्तेमाल अपने बेटे से न करने के लिए कहे और उसे अपनी खुद की मेहनत से पैसे और नाम कमाने के लिए कहे। ऐसा ही कुछ सामने आया जब एक 6000 करोड़ का मालिक ( घनश्याम ढोलकिया ) अरबपति ने अपने बेटे को महज 500 रुपये देकर नौकरी करने भेज दिया।
6000 करोड़ का मालिक बाप ( घनश्याम ढोलकिया ) ने एक अजीब कदम उठाया :
आपने देखा होगा कि आजकल के बच्चे अपने पिता की दौलत की बदौलत नौकर-चाकर, सुख-सुविधाओं से घिरे होते हैं। ऐसे बच्चे अमूमन कोई काम नहीं करते और अपने पिता के नाम और पैसे का इस्तेमाल कर अपनी लाइफ जीते हैं। सुख, सम्पत्ति और ऐशो आराम विरासत में मिलती है वो इसकी अहमियत नहीं समझ पाते। इसी बात को अपने बेटे को समझाने के लिए एक 6000 करोड़ का मालिक बाप ने एक अजीब कदम उठाया।
हम बात कर रहे हैं देश के दुसरे सबसे बड़े हीरा व्यापारी घनश्याम ढोलकिया की, जो 6000 करोड़ का मालिक हैं। हीरा व्यापारी घनश्याम ढोलकिया ने अपने 23 साल के बेटे हितार्थ को सिर्फ 500 रुपए देकर घर से दूर अपने दम पर कमाने के लिए हैदराबाद भेज दिया। घनश्याम ने ऐसा इसलिए किया ताकि उनका बेटा उनका कारोबार संभालने से पहले आम आदमी की ज़रूरतों औऱ उनकी परेशानियों को अच्छी तरह से समझ सके।
500 रुपये दिये और उसे नौकरी के लिए हैदराबाद भेज दिया
6000 करोड़ का मालिक घनश्याम ढोलकिया ने एक मिशाल कायम करते हुए अपने बेटे को महज 500 रुपये दिये और उसे नौकरी के लिए हैदराबाद भेज दिया। घनश्याम चाहते थे कि उनका बेटा अपने दम पर कुछ करे। 500 रुपए लेकर घर से निकले हितार्थ ने बताया कि उन्होंने एक अपने पिता की बात मान ली और एक महीने जॉब करने के बाद 5000 रूपये की बचत करके घर वापस आ गए। अपने बेटे की मेहनत और खुद के दम पर 5000 रुपए कमाकर दिखाने से घनश्याम काफी खुश हैं।
हितार्थ ढोलकिया ने इन दिनों के दौरान अपने साथ होने वाली बातों को शेयर करते हुए कहा कि, वो कभी कामने या नौकरी के लिए घर से बाहर नहीं निकले थे इसलिए उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। आईडी कार्ड ना होने से उन्हें रहने के लिए जगह भी नहीं मिली। हितार्थ के मुताबिक, उन्होंने अपने एक महिने ठेले से खाना खाकर गुजारे। हितार्थ ने मैकडॉनल्ड और एक व्हाइट बोर्ड बनाने वाले कारखाने में काम करके 5000 रुपए बचाए। हितार्थ के मुताबिक अब वो समझ गए हैं कि मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं है। आपको बता दें कि घनश्याम परिवार का हर सदस्य बिजनेस में आने से पहले इस परीक्षा से गुजरता है ताकि वह आम लोगों से जुड़ सके और उनकी परेशानियों को समझ सके।