मां-बाप बदनामी के डर से भाग गए, 13 साल की बेटी पाल रही 4 भाई-बहनों को
हमारे समाज के लिए बालमजदूरी वो बद्नुमा दाग बन गई है जिससे लाख कोशिशों के बावजूद छुटकारा नहीं मिल रहा है.. कभी इसके पीछे सामाजिक परिस्थितियां उत्तरदायी होती हैं तो कभी इसके लिए पारिवारिक कारण जिम्मेदार होते हैं। ऐसे ही सामाजिक परिस्थितियों का शिकार बनी एक 13 साल की लड़की .. कुसुम नाम की ये लड़की मजदूरी कर अपने साथ अपने चार भाई-बहनों का पेट पाल रही है .. ऐसे में कुसुम का स्कूल छूट गया है और वो पिछले 6 महीने से दिहाड़ी मजदूरी कर खुद का और अपने चार भाई-बहनों का पेट पालने में जुटी है। बेटी पाल रही 4 भाई-बहनों को :
13 साल की कुसुम मीणा अपने चारों छोटे भाई-बहनों की देखभाल कर रही है
दरअसल उदयपुर के कुराबड़ गांव की रहने वाली कुसुम की कहानी कुछ ऐसी है कि 6 माह पूर्व कुसुम का उसका बड़ा भाई पड़ोस के किसी गांव की लड़की के साथ भाग गया था .. ऐसे में भाई के गांव से भागने के बाद कुसुम के मा-बाप पर कुछ लोग दबाव बनाने लगे। जिसके बाद बदनामी के डर से 6 माह पूर्व उसके मां-बाप भी गांव को छोड़ चले गए। उसके बाद से 13 साल की कुसुम मीणा अपने चारों छोटे भाई-बहनों की देखभाल कर रही है। वो हर रोज दिहाड़ी मजदूरी कर किसी तरह 200-250 रुपयों का जुगाड़ करती है और इसी से छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई और अपने बीमार भाई का खर्च भी उठाती है।
दरअसल कुसुम के 11 साल के छोटे भाई सुरेश मीणा की सेहत बहुत खराब है। डॉक्टर जांज में उसे टीबी होने की पुष्टि हुई है.. ऐसे में कुपोषण से वो इतना कमजोर हो गया है कि उसकी गर्दन तक बिना सहारे के नहीं टिकती नहीं है लेकिन पैसों के अभाव में उसका इलाज नहीं हो पा रहा है।
वहीं जब गांव में कुछ रिसर्च करने वाले छात्र आए तो उन्हें इस घर की स्थिति और पांच बच्चों के दयनीय जीवन के बारे पता चला और उन्ही के जरीए मीडिया में खबर आई। बताया जा रहा है कि गांव में सबको इन बच्चों की स्थिति के बारे में पता है, पर कोई उनकी मदद को आगे नहीं आ रहा है। यहां तक कि गांव के वार्ड पंच, सरपंच भी इससे अच्छी तरह वाकिफ हैं। वहीं जब मीडिया ने इस मामले में पूछताछ की तो सभी एक दूसरे पर आरोप मड़ने लगे।
कुराबड़ पंचायत समिति की प्रधान आश्मा खान का कहना है कि गांव के बच्चों को इस तरह की समस्या होगी , इसका मुझे पता नहीं है पर अब पंचायत सचिव से बात कर उनकी समस्या का समाधान कराएंगे।