इस मंदिर में हर रात चौसर पांसे खेलते है भगवान शिव और माता पार्वती, जानिए इस मंदिर के बारे में..
ओंकारेश्वर मंदिर : भारत एक धार्मिक देश है और यहां पर मंदिरों की कोई कमी नहीं है। भारत में आपको एक से बढ़कर एक मंदिर देखने को मिल जाएंगे उनमें से कई मंदिर ऐसे हैं जो सदियों पुराने हैं। शायद आपको मालूम होगा कि हमारे देश में हर मंदिर की अपनी कुछ खास विशेषता होती हैं जिनके लिए वो जाने जाते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिस का इतिहास काफी पुराना है और यह मंदिर लाखों लोगों की आस्था का प्रतीक है। आप को बता दें कि यह भगवान शिव का मंदिर है, वैसे तो भारत में आपको भगवान शिव के बहुत से मंदिर देखने को मिल जाएंगे परंतु इस मंदिर की बात ही कुछ अलग है।
ओंकारेश्वर मंदिर
भगवान शिव के इस प्रसिद्ध मंदिर का नाम है ओंकारेश्वर मंदिर , ‘ओंकारेश्वर’ जिसका मतलब है ओमकार के देवता व ओम ध्वनि के भगवान। यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। इस मंदिर के प्रसिद्ध होने के पीछे जो वजह है वो ये है कि, इस मंदिर के बारे में कहा जाता हैं कि यहाँ हर रोज भगवान शिव और माता पार्वती आकर चौसर-पांसे खेलते हैं और यह सिलसिला सदियों से चला आ रहा हैं।
ओंकारेश्वर मंदिर नर्मदा नदी के किनारे पर बना है और कहते हैं यहाँ 33 करोड़ देवता अपने परिवार के साथ निवास करते हैं तथा 2 ज्योतिस्वरूप लिंगों सहित कुल 108 प्रभावशाली शिवलिंग हैं और मान्यता है कि जो भी इन शिवलिंग का दर्शन कर पूजन करता है उसे सभी तीर्थ यात्रा के समान फल प्राप्त होता है। पुराणों के अनुसार विन्ध्य पर्वत ने भगवान शिव की पार्थिव लिंग रूप में पूजन व तपस्या की थी एवं भगवान शिव ने यहां प्रकट होकर उन्हें आशीर्वाद दिया था।
भगवान शिव और पार्वती रोज रात में आते हैं ओंकारेश्वर मंदिर
ओंकारेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी डंकेश्वर दीक्षित के अनुसार मान्यता है कि भगवान शिव और पार्वती रोज रात में यहां आते हैं और चौसर-पांसे खेलते हैं। शयन आरती के बाद ज्योतिर्लिंग के सामने रोज चौसर-पांसे की बिसात सजाई जाती है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि रात में गर्भगृह में कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता, लेकिन जब सुबह देखते हैं तो वहां पांसे उल्टे मिलते हैं, यह अपने आप में एक बहुत बड़ा रहस्य है जिसके बारे में कोई नहीं जानता।
इस मंदिर में हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है। इस मंदिर का शांतपूर्ण और सुखदाय वातावरण कई तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान शिव की गुप्त आरती की जाती है जहां पुजारियों के अलावा कोई भी गर्भगृह में नहीं जा सकता। पुजारी भगवान शिव का विशेष पूजन एवं अभिषेक करते हैं। हर साल शिवरात्रि को भगवान शिव के लिए नए चौसर-पांसे लाए जाते हैं। शिवजी को प्रसन्न करने के लिए आदिकाल से सोलह सोमवार की परंपरा चली आ रही है। सोलह सोमवार की व्रत कथा में भी शिव और पार्वती के चौसर खेलने का जिक्र मिलता है। कहते हैं एक बार भगवान शिव माता पार्वती के साथ चौसर खेलने बैठे थे और जुए में अपना सब कुछ हार गए, जिसके बाद अपनी जीत को पति की हार मानकर पार्वती दुखी हो गई थी और गंगा के तट पर एकान्त वास करने चली गई थी।